ढाका. बीते कुछ दिनों से बांग्लादेश और भारत के रिश्तों में तल्खियां बढ़ती ही जा रही है. इस बीच बांग्लादेश ने एक ऐसा निर्णय लिया है जिससे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी ठप पड़ सकती है. बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने बैंडविड्थ ट्रांजिट की सुविधा को लेकर भारत के साथ जो समझौता किया था, उसे रद्द कर दिया है.
बांग्लादेश ने भारत के साथ रद्द किया समझौता
डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश के इंटरनेट रेगुलेटर ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बैंडविड्थ की आपूर्ति के लिए ट्रांजिट पॉइंट के रूप में काम करने की योजना को रद्द कर दिया, क्योंकि उसे चिंता है कि इससे देश (बांग्लादेश) के क्षेत्रीय इंटरनेट हब बनने का सपना पूरा नहीं होगा. दो साल पहले, जब बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना सत्ता में थीं, तब सीट कम्युनिकेशन औऱ फाइबर एट होम जैसी बांग्लादेशी कंपनियों ने भारती एयरटेल के साथ मिलकर यह बीटीआरसी (बांग्लादेश टेलिकम्युनिकेशन रेगुलेटरी कमीशन) के पास ये प्रस्ताव रखा था. भारत ने बांग्लादेश से अपने नॉर्थ ईस्ट राज्यों के लिए इंटरनेट की मांग की थी. इसके तहत भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर इंटरनेट सर्किट स्थापित करके डेटा ट्रांसमिशन के लिए एक ट्रांजिट लिंक बनाया जाना था. जब शेख हसीना बांग्लादेश की सत्ता में थीं, तब इस पर सहमति बन चुकी थी.
शेख हसीना के सत्ता में रहते हुआ था करार
रिपोर्ट के अऩुासर बीटीआरसी ने कहा कि इससे सारा लाभ सिर्फ भारत को ही मिलता है. हालांकि इस फैसले के पीछे का कारण दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को माना जा रहा है. समिट कम्युनिकेशंस और फाइबर एट होम जैसी कंपनियों को शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी का करीबी माना जाता है. समिट कम्युनिकेशंस के चेयरमैन मोहम्मद फरीद खान अवामी लीग के वरिष्ठ नेता और सांसद फारुक खान के छोटे भाई हैं. यूनुस सरकार ने इन कंपनियों के प्रभाव को कम करने और खुद की स्थिति मजबूत करने के लिए यह फैसला किया है. यूनुस सरकार के इस फैसले का भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है.
साभार : एबीपी न्यूज
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