नई दिल्ली. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कथित शराब नीति घोटाला मामले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी और छह दिन की रिमांड को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को रात करीब 9 बजे गिरफ्तार किया था। कल, ट्रायल कोर्ट ने उन्हें 28 मार्च तक ईडी की हिरासत में भेज दिया था। याचिका में कहा गया है कि गिरफ्तारी और रिमांड अवैध है और इसलिए केजरीवाल तुरंत रिहा होने के हकदार हैं। केजरीवाल ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की थी। इस पर कोर्ट ने उनकी याचिका को तत्काल सूचीबद्ध और सुनवाई के इनकार कर दिया है।
केजरीवाल को केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद ट्रायल कोर्ट में पेश किया गया था, जिसके कुछ घंटों बाद दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने उन्हें दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण देने के आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था। केजरीवाल ने ईडी द्वारा उन्हें जारी किए गए नौ समन को नजरअंदाज कर दिया था। इस मामले में आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसौदिया और संजय सिंह भी आरोपी हैं और फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। अपनी गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल ने तुरंत अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक तत्काल याचिका दायर की थी। हालांकि इसे वापस ले लिया गया। इसके अलावा, उन्होंने पहले केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा उन्हें जारी किए गए समन को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था। उन्होंने अंतरिम सुरक्षा की मांग करते हुए एक आवेदन भी दायर किया है।
इससे पहले ईडी ने केजरीवाल के खिलाफ शहर के राउज एवेन्यू कोर्ट में दो आपराधिक शिकायतें दर्ज की थीं, जिसमें उन पर समन का पालन न करने का आरोप लगाया गया था। केजरीवाल ने समन को गैरकानूनी बताते हुए नजरअंदाज कर दिया है। ईडी ने आरोप लगाया है कि कुछ निजी कंपनियों को थोक व्यापार में 12 प्रतिशत का लाभ देने की साजिश के तहत उत्पाद शुल्क नीति लागू की गई थी, हालांकि मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठकों के मिनटों में ऐसी शर्त का उल्लेख नहीं किया गया था। केंद्रीय एजेंसी ने यह भी दावा किया है कि थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए विजय नायर और साउथ ग्रुप के साथ अन्य व्यक्तियों द्वारा एक साजिश रची गई थी। ईडी के मुताबिक, नायर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसौदिया की ओर से काम कर रहे थे।
साभार : अमर उजाला
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं