वाशिंगटन. इजरायल और लेबनान के हिजबुल्लाह के बीच हुआ युद्ध विराम समझौता हुआ है. दो महीने के लिए हुआ यह समझौता बुधवार तड़के से लागू हो गया.इसकी घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने की. इस समझौते के लिए अमेरिका ने मध्यस्थता की. इस समझौते के तहत दक्षिण लेबनान से इजरायली सैनिक पीछे हटेंगे और हिजबुल्लाह वहां से हट जाएगा. हालांकि इजरायल ने कहा है कि अगर हिजबुल्लाह ने समझौते का उल्लंघन किया तो आत्मरक्षा का उसका अधिकार उसके पास है. लेकिन लेबनान ने इसका विरोध किया है.इस समझौते से पिछले 13 महीने से जारी तनाव को कम करने में मदद मिलेगी.इसरायल और हिजबुल्लाह के बीच तनाव इस साल सितंबर में युद्ध में बदल गया था. ‘
इसरायल-हिजबुल्लाह समझौते की घोषणा
ह्वाइट हाउस में समझौते की घोषणा करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि इस समझौते को स्थायी युद्धविराम के रूप में लाया गया है. अमेरिका और फ्रांस ने एक संयुक्त बयान जारी किया. इसमें कहा गया है कि इस समझौते से लेबनान में जारी युद्ध रुक जाएगा और इजरायल पर हिजबुल्लाह और अन्य आतंकवादी संगठनों की ओर से हमले का खतरा टल जाएगा. इस युद्ध विराम की शर्तों के मुताबिक हिजबुल्लाह दो महीने में अपने लड़ाकों और हथियारों को ब्लू लाइन के बीच से हटा लेगा.इससे दोनों देशों के लोग अपने घरों को लौट पाएंगे.
क्या हैं इस समझौते की शर्तें
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच हुए युद्धविराम समझौते की शर्तों के मुताबिक हिजबुल्लाह इसरायल-लेबनान सीमा से करीब 40 किलोमीटर पीछे हटेगा.वहीं इजरायली सेना को लेबनान का इलाका पूरी तरह से खाली करना होगा. अमेरिकी नेतृत्व वाला एक अंतरराष्ट्रीय निगरानी समूह इस बात पर नजर रखेगा कि सभी पक्ष समझौते का पालन कर रहे हैं या नहीं. अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक हिजबुल्लाह के लड़ाकों के पीछे हटने के बाद,इस इलाके की सुरक्षा लेबनानी सशस्त्र बलों के हाथ में होगी.इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हिजबुल्लाह के हथियार और गोला-बारूद वहां से हटा दिए जाएं और वहां पुनर्निर्माण की गतिविधियां न होने पाएं.
युद्धविराम समझौते की शर्तों के मुताबिक लेबनान की सेना दक्षिणी इलाके में करीब पांच हजार सैनिकों को तैनात करेगी. समझौते में यह भी कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र शांति सेना,लेबनान की सेना और एक अंतरराष्ट्रीय निगरानी समिति ईरान समर्थित हिजबुल्लाह पर नजर रखेगी. हालांकि इस बात का जिक्र नहीं है कि युद्ध विराम के उल्लंघन की स्थिति में ये लेबनानी सैनिक हिजबुल्लाह के लड़ाकों से लड़ेंगे या नहीं. युद्ध विराम के बाद हिजबुल्लाह के मारे गए प्रमुख हसन नसरूल्लाह के चित्रों के साथ अपने घर लौटते लेबनानी बच्चे. लेबनान और उसकी सेना की माली हालत को देखते हुए इस समझौते के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं. लेकिन कहा जा रहा है कि इलाके में अमेरिकी सेना मौजूद तो नहीं रहेगी, लेकिन अमेरिकी सैनिक वहां मदद के लिए मौजूद रहेंगे. फ्रांस ने भी लेबनान की मदद करने की बात कही है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प 1701
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच अंतिम युद्ध 2006 में हुआ था. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 1701 के जरिए इसे खत्म कराया गया था. यही प्रस्ताव इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच हुए युद्धविराम समझौते का आधार है. प्रस्ताव 1701 के मुताबिक लिटानी नदी के दक्षिणी किनारे में कोई हथियार नहीं होगा. यह इलाका किसी भी सशस्त्र लड़ाकों से मुक्त होना चाहिए.इस इलाके की सुरक्षा का काम केवल लेबनानी सेना और संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के हथियारों से ही की जा सकती है. इजरायल और हिजबुल्लाह दोनों ही इस प्रस्ताव के उल्लंघन का आरोप लगाते रहे हैं. इजरायल का आरोप है कि हिजबुल्लाह को इस इलाके में बुनियादी ढांचे के निर्माण की इजाजत दी गई. वहीं लेबनान आरोप लगाता रहा है कि इजरायली सेना के विमान उसके इलाके में मंडराते रहते हैं.
युद्धविराम समझौते पर इसरायल और हिजबुल्लाह ने कहा क्या है
इजरायल की सुरक्षा संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने 10-1 के बहुमत से अमेरिका की ओर से दिए गए युद्ध विराम समझौते को मंजूरी दे दी. इसके बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने एक बयान में कहा,”इजरायल इस प्रक्रिया में अमेरिकी योगदान की सराहना करता है. वह अपने लिए किसी भी खतरे के खिलाफ कार्रवाई के अपनी सुरक्षा के अधिकार को बरकरार रखता है.” हालांकि नेतन्याहू का जोर इस बात पर रहा कि खतरे की स्थिति में सैन्य कार्रवाई की पूर्ण स्वतंत्रता का अधिकार इजरायल के पास सुरक्षित है. उन्होंने कहा है,”अगर हिजबुल्लाह समझौते का उल्लंघन करता है और खुद को हथियारबंद करने की कोशिश करता है,तो हम हमला करेंगे.”
युद्ध विराम समझौते के बाद अपने घर को लौटते लेबनानी
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने नेतन्याहू का समर्थन किया है. उन्होंने कहा है,”अगर हिजबुल्लाह या किसी ने समझौते को उल्लंघन किया और इजरायल के लिए खतरा पैदा किया तो उसके पास अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक आत्मरक्षा का अधिकार होगा.इसके साथ ही बाइडेन ने यह भी कहा है कि समझौता लेबनान की संप्रभुता को बरकरार रखता है. हालांकि लेबनान ने इसका विरोध किया है.
लेबनान ने समझौते पर क्या कहा है
वहीं लेबनान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री नजीब मिकाती ने युद्धविराम समझौते का स्वागत किया.उन्होंने इसे इलाके में स्थिरता लाने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम बताया.वहीं हिजबुल्लाह ने कहा है कि उसे प्रस्ताव स्वीकार है. हिजबुल्लाह के राजनीतिक परिषद के उपाध्यक्ष महमूद कमाती ने कतर के टीवी चैनल अल जजीरा से कहा,” हम इस लड़ाई का अंत चाहते हैं, लेकिन अपने देश की संप्रभुता की कीमत पर नहीं.संप्रभुता के किसी भी उल्लंघन को स्वीकार नहीं किया जाएगा.”
साभार : एनडीटीवी
भारत : 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि) व/या भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं