नई दिल्ली. भारत में कोरोना वायरस का खतरा एक बार फिर मंडराने लगा है. 31 मई को भारत में कोविड-19 के 3395 एक्टिव केस दर्ज हुए। बताया जा रहा है कि 4 मरीजों की मौत भी हो गई है। हालांकि यह संख्या ज्यादा नहीं लेकिन कोरोना का कहर फिर बढ़ने लगा है। कोरोना की चपेट में आए ज्यादातर नए मरीज होम आइसोलेशन में इलाज करवा रहे हैं। हालांकि स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है। पर ध्यान देने वाली बात यह है कि वायरस पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।
बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस कमजोर स्वास्थ्य वाले लोगों को ज्यादा निशाना बना रहा है। इन 4 मौतों में एक समानता यह थी कि सभी मरीजों को पहले से कोई गंभीर बीमारी थी। ये लोग पूरी तरह स्वस्थ नहीं थे, बल्कि उनकी पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याओं ने उन्हें ज्यादा कमजोर बना दिया था, जिससे वायरस उन्हें ज्यादा नुकसान पहुंचा पाया। कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग कोरोना की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं. हर किसी की इम्यूनिटी मजबूत नहीं होती और जिन मरीजों की मौत हुई, उन्हें पहले से हार्ट की बीमारी, सेप्सिस (गंभीर इंफेक्शन) या सर्जरी के बाद की जटिलताएं थीं। जिन लोगों को पुरानी बीमारियां हैं या जो सर्जरी के बाद रिकवर कर रहे हैं, उनके लिए संक्रमण ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
एक्सपर्ट सलाह दे रहे हैं कि कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग ज्यादा सतर्क रहे। अगर किसी को कोई पुरानी बीमारी है तो उसे अपनी पुरानी बीमारी का ध्यान रखना जरूरी है। इसके लिए रेगुलर हेल्थ चेकअप कराते रहें, चाहे कोविड का खतरा कम लगे। टेस्ट में लापरवाही खतरा बढ़ा रही है। अब लोग बुखार या थकान को मौसमी फ्लू या हीट स्ट्रोक मानकर कोविड-19 का टेस्ट नहीं कराते। इससे सही आंकड़े नहीं मिल पा रहे, और कमजोर लोग ज्यादा खतरे में हैं। खासकर बुजुर्गों के आसपास अगर कोई लक्षण दिखे, तो टेस्ट जरूर कराएं। एक टेस्ट से कई लोगों की सुरक्षा हो सकती है।
साभार : नवभारत टाइम्स
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