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युवा भारत को 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनाने का नेतृत्व करेंगे: पीयूष गोयल

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केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली स्थित भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) के 58वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, प्रौद्योगिकी और नवाचार भारत की विकास गाथा की प्रेरक शक्तियां होंगी। 2025 के स्नातक छात्रों को बधाई देते हुए श्री गोयल ने उनकी उपलब्धियों की सराहना की और उनसे देश को विकसित भारत 2047 की ओर ले जाने के लिए अपने कौशल, दक्षता और विज़न का उपयोग करने का आह्वान किया।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि भारत का भाग्य उसके युवाओं के सक्षम हाथों में है। उन्होंने इस अवसर को उत्सव, गौरव और चिंतन का दिन बताया और कहा कि स्नातक होने का मतलब है कि छात्र अब वास्तविक दुनिया में कदम रख रहे हैं, जहां उन्हें पाठ्यपुस्तकों और सिद्धांतों से परे चुनौतियों और अवसरों का सामना करना होगा।

मंत्री महोदय ने कहा कि आज दुनिया अस्थिरता, अनिश्चितता, जटिलता और अस्पष्टता के दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा कि भारत के युवा देश की साहसी, चुस्त, दूरदर्शी और सक्षम होने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करते हैं जो, देश को 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनाने के लिए आवश्यक गुण हैं।

स्नातक करने वाले 709 छात्रों को बधाई देते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि पुरस्कार और सम्मान प्रोत्साहन तो देते ही हैं, साथ ही जीवन सभी को कड़ी मेहनत और उत्कृष्टता के माध्यम से अपनी योग्यता सिद्ध करने के भरपूर अवसर भी प्रदान करता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आईआईएफटी से स्नातक होने वाला प्रत्येक छात्र वास्तविक दुनिया में एक विजेता बनकर उभरेगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के आर्थिक विज़न पर प्रकाश डालते हुए श्री गोयल ने कहा कि इसका उद्देश्य एक विकसित राष्ट्र, ‘विकसित भारत’ निर्माण करना है, जो देश में पैदा होने वाले हर बच्चे की समृद्धि सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य ध्यान मजबूती, स्थिरता, समावेशिता और नवाचार-संचालित विकास पर है, जिसका लक्ष्य जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना, ग्रामीण-शहरी विभाजन को कम करना, गरीबी को कम करना, व्यापार करने में आसानी और जीवन जीने में आसानी को बढ़ावा देना है।

श्री गोयल ने भारत की विकास गाथा को गति देने में प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका को रेखांकित करते हुए विनिर्माण, कृषि, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स, मशीन लर्निंग, क्वांटम कंप्यूटिंग और नवाचार की परिवर्तनकारी क्षमता को उजागर किया। उन्होंने कहा कि भारत में हर साल 2.3 मिलियन एसटीईएम स्नातकों की विशाल संख्या के साथ ये प्रगति विदेशी प्रौद्योगिकी पर निर्भरता को कम कर सकती है और उद्योगों और सेवाओं को सशक्त बना सकती है, साथ ही समाज के सबसे निचले तबके के लोगों का उत्थान भी कर सकती है।

सीआईआई, एनएसडीसी, किंड्रिल और आईबीएम के साथ मिलकर मुंबई में एक कौशल विकास केंद्र चलाने के अपने अनुभव को साझा करते हुए मंत्री महोदय ने बताया कि कैसे साधारण पृष्ठभूमि के छात्रों ने साइबर सुरक्षा जैसी नये युग की प्रौद्योगिकियों को तेज़ी से अपनाया, जो ज्ञान और नवाचार को अपनाने की भारत की सहज क्षमता को दर्शाता है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत की युवा आबादी—जिसकी औसत आयु 28.4 वर्ष है—4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था से 30-35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के सफ़र में इसकी सबसे बड़ी ताकत है।

श्री गोयल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता के विज़न को दोहराया – ऑपरेटिंग सिस्टम से लेकर साइबर सुरक्षा और डीप टेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक स्तर पर प्रौद्योगिकी में सर्वोच्चता हासिल करनी चाहिए और राष्ट्र को गौरवान्वित करना चाहिए।

भारत के मज़बूत व्यापक आर्थिक बुनियादी ढांचे, कम मुद्रास्फीति और सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के दर्ज का हवाला देते हुए श्री गोयल ने भारत में बढ़ती वैश्विक रुचि पर प्रकाश डाला, जहां 2,500 से ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय कंपनियां पहले से ही देश में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि यह अभूतपूर्व अवसर राष्ट्र के भाग्य को युवाओं के सक्षम हाथों में सौंपता है।

स्नातक छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए मंत्री महोदय ने उनसे आईआईएफटी में बनी आजीवन मित्रता को बनाए रखते हुए सीखना, पुनः कौशल प्राप्त करना और वैश्विक मेगाट्रेंड्स से जुड़ना जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने उनसे बड़े सपने देखने, साधारण से परे जाने और अवसरों को हासिल करने के लिए समझदारी से काम करने का आह्वान किया।

श्री गोयल ने यह कह कर अपनी बात समाप्त की कि प्रत्येक स्नातक की प्रगति का मतलब भारत की भी प्रगति होगी, जिससे अंततः देश को वैश्विक व्यवस्था में अपना सही स्थान मिलेगा। उन्होंने स्नातक छात्रों को आश्वस्त दिया कि ऐसी कोई ताकत नहीं है जो उन्हें अपने सपनों को पूरा करने और अपने परिवार, संस्थान तथा राष्ट्र को गौरवान्वित करने से रोक सके।

आईआईएफटी के कुलाधिपति और वाणिज्य विभाग के सचिव श्री सुनील बर्थवाल ने समारोह की अध्यक्षता की। वाणिज्य सचिव ने अपने संबोधन में आईआईएफटी की उस महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया जो वो तेजी से बदलती दुनिया में वैश्विक व्यापार और व्यवसाय की जटिलताओं को समझने के लिए नेतृत्व को तैयार करने में निभा रहा है। उन्होंने जोर दिया कि मजबूती, अनुकूलनशीलता और नैतिक नेतृत्व की वे निर्णायक गुण होंगे जो अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की निरंतर सफलता को आकार देंगे। भविष्य के अवसरों के बारे में बोलते हुए उन्होंने छात्रों से अपनी आकांक्षाओं को राष्ट्र के व्यापक लक्ष्यों के साथ जोड़ने का आग्रह किया और उन्हें याद दिलाया कि उनके करियर में आगे बढ़ाया गया उनका हर कदम भारत की प्रगति में योगदान देता है।

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