नई दिल्ली. पिछले 48 घंटों में एलन मस्क के सैटलाइट इंटरनेट की चर्चा अपने देश में तेज हो चली है. भारत में एंट्री से पहले देश की कंपनियों के साथ करार भी होने लगा है. इस बीच, केंद्र सरकार ने विदेशी कंपनी के इंटरनेट सेवा देने से पहले ही कड़ी शर्त रख दी है. हां, इसे आप ‘लक्ष्मण रेखा’ ही समझिए. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र ने स्टारलिंक से भारत में कंट्रोल सेंटर स्थापित करने को कहा है. सरकार ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जब भी जरूरी होगा, अशांत और संवेदनशील इलाकों में सर्विसेज बंद या कुछ समय के लिए रोकनी पड़ेगी. कंपनी से साफ कहा गया है कि सुरक्षा प्रतिष्ठानों को स्पष्ट रूप से अनुमति देनी होगी कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां जब चाहें आधिकारिक चैनलों के जरिए कॉल इंटरसेप्ट कर सकेंगी. यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब सैटलाइट कम्युनिकेशन लाइसेंस को लेकर स्टारलिंक का आवेदन अंतिम चरण में है.
कंट्रोल सेंटर क्यों है जरूरी?
हां, आपके मन में सवाल होगा कि कंट्रोल सेंटर भारत में होना क्यों जरूरी है? दरअसल, देश के किसी भी हिस्से में अगर अचानक कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा होती है तो सैटलाइट से दी जाने वाली संचार सेवाओं को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित और बंद करने की जरूरत पड़ सकती है. एक सूत्र ने टीओआई से कहा, ‘जब भी ऐसी कोई जरूरत महसूस होगी तो हमें उनका (स्टारलिंक) दरवाजा खटखटाने अमेरिका में उनके मुख्यालय से संपर्क करना होगा.’ इधर, दूरसंचार कानून में ऐसे प्रावधान हैं जो केंद्र या राज्य सरकार को आपदा प्रबंधन सहित ऐसे किसी आपातकाल की स्थिति में या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में किसी अधिकृत संस्था से किसी भी दूरसंचार सेवा या नेटवर्क पर ‘अस्थायी कंट्रोल’ लेने की अनुमति देते हैं. इसके अलावा इंटरनेट बंद करने के भी प्रावधान हैं. इंटरसेप्शन के मुद्दे पर सूत्रों ने साफ कहा है कि यह कोई नई बात नहीं है. जियो, एयरटेल, वोडा आइडिया के लिए पहले से ऐसे नियम हैं.
सीधे कॉल भी नहीं…
इसके अलावा, सैटलाइट कंपनी से यह भी कहा गया है कि वे सीधे सैटेलाइट नेटवर्क के माध्यम से कॉल ट्रांसफर न करें, इसके बजाय उन्हें अपने इंडिया गेटवे पर वापस भेजें और फिर किसी भी पारंपरिक संचार सेवा द्वारा लिए गए चैनल का उपयोग करें, जैसे कि लैंडलाइन या मौजूदा मोबाइल फोन सेवा से आने वाली कॉल.
मिनिस्टर ने किया वेलकम
दो दिन पहले रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उद्योगपति एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक का भारत में स्वागत करते हुए कहा था कि इससे दूरदराज के इलाकों में रेलवे परियोजनाओं को मदद मिलेगी. वैष्णव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘स्टारलिंक, भारत में आपका स्वागत है! इससे दूरदराज के क्षेत्रों की रेलवे परियोजनाओं को मदद मिलेगी.’ वैष्णव सूचना एवं प्रसारण के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री भी हैं. उनकी यह टिप्पणी उद्योगपति मुकेश अंबानी की ‘जियो प्लेटफॉर्म्स’ और सुनील मित्तल की ‘भारती एयरटेल’ के साथ दो अलग-अलग समझौते के बाद आई है. ये समझौते मस्क के नेतृत्व वाली कंपनी स्पेसएक्स द्वारा भारत में स्टारलिंक की ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं लाने के लिए किए गए हैं.
साभार : जी न्यूज
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