रायपुर. छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सल मोर्चे पर सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है. कुल 27 सक्रिय माओवादियों ने हथियार डालकर आत्मसमर्पण कर दिया. इनमें से दो खूंखार नक्सली पीएलजीए बटालियन-01 के सदस्य थे, जो माओवादियों की सबसे खतरनाक टुकड़ी मानी जाती है. आत्मसमर्पण करने वाले इन माओवादियों पर कुल 50 लाख रुपये का इनाम था. इनमें से एक नक्सली पर 10 लाख, तीन पर 8-8 लाख, एक पर 3 लाख, दो पर 2-2 लाख और नौ पर 1-1 लाख रुपये का इनाम घोषित था.
आत्मसमर्पण करने वालों में 10 महिलाएं और 17 पुरुष शामिल हैं. इनमें एक सीवायसीएम (सेंट्रल कमेटी सदस्य), 15 पार्टी सदस्य और 11 अग्र संगठन से जुड़े लोग हैं. ये सभी माओवादी संगठन के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय थे और कई हिंसक घटनाओं में शामिल रहे. इस आत्मसमर्पण से नक्सलियों की ताकत को बड़ा झटका लगा है. इस कामयाबी के पीछे छत्तीसगढ़ सरकार की कई योजनाओं और नीतियों का महत्वपूर्ण योगदान है. सरकार की “आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति” और “नियद नेल्ला नार योजना” ने माओवादियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया. इसके अलावा, अंदरूनी इलाकों में बढ़ते सुरक्षा बलों के कैंपों ने भी माओवादियों पर दबाव बनाया. इन कैंपों ने नक्सलियों की गतिविधियों को सीमित किया और उन्हें आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया.
इस ऑपरेशन में जिला पुलिस बल, डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड), विआशा, एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स), सीआरपीएफ (02, 74, 131, 151, 216, 217 वाहिनी) और कोबरा 203 बटालियन ने मिलकर अहम भूमिका निभाई. इन बलों ने न केवल नक्सलियों पर दबाव बनाया, बल्कि स्थानीय लोगों में विश्वास भी जगाया. सुरक्षाबलों की सक्रियता और समन्वय ने इस ऑपरेशन को सफल बनाया. यह आत्मसमर्पण सुकमा और पूरे छत्तीसगढ़ के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. यह दिखाता है कि सरकार की नीतियां और सुरक्षाबलों की मेहनत रंग ला रही है. आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को अब पुनर्वास नीति के तहत नया जीवन शुरू करने का मौका मिलेगा. इससे न केवल नक्सलवाद कमजोर होगा, बल्कि क्षेत्र में शांति और विकास को भी बढ़ावा मिलेगा.
साभार : न्यूज18
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