नई दिल्ली. 21वीं सदी में अभी तक दुनिया दो बड़े युद्ध की गवाह बन चुकी है. रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास-ईरान युद्ध ने नेशनल सिक्योरिटी मेकेनिज्म को बदल कर रख दिया है. डिफेंस सिस्टम को अपग्रेड करने के साथ ही हथियारों की खरीद प्रक्रिया में तेजी आ गई है. एशिया के साथ ही यूरोपीय देश भी मॉडर्न वेपन सिस्टम और फाइटर जेट खरीदने की होड़ में शामिल हो चुके हैं. भारत भी इसमें पीछे नहीं रहना चाहता है. देसी तकनीक से मिसाइल और फाइटर जेट बनाने की मुहिम को रफ्तार दे दी है. मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम में भारत दिन लगातार नई इबारत लिख रहा है. अब इस कार्यक्रम में चीन न चाहते हुए भी भारत की मदद कर रहा है. दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने चीन निर्मित एडवांस PL-15 मिसाइल का इस्तेमाल किया था. यह मिसाइल भारतीय सीमा के तकरीबन 100 किलोमीटर अंदर पंजाब के होशियारपुर में गिरी थी, पर उसमें ब्लास्ट नहीं हुआ था. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिकों ने इसका प्रॉपर तरीके से एनालिसिसि किया है. बताया जा रहा है कि अब डीआरडीओ PL-15 मिसाइल की खासियतों को Astra Mark-2 मिसाइल में एड करेगा.
दरअसल, भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने चीन की PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइल का तकनीकी विश्लेषण करने के बाद उसकी कुछ उन्नत विशेषताओं को देश में विकसित हो रही Astra Mark-2 मिसाइल परियोजना में शामिल करने का निर्णय लिया है. यह कदम मई में पाकिस्तान द्वारा दागी गई एक PL-15E मिसाइल के विश्लेषण के बाद उठाया गया है, जो पंजाब के होशियारपुर के पास एक खेत में मिली थी. यह मिसाइल फटी नहीं थी. यह मिसाइल पाकिस्तान वायुसेना के JF-17 या J-10C लड़ाकू विमान से दागी गई थी, लेकिन टारगेट को मार गिराने में विफल रही और भारतीय सीमा में लगभग 100 किलोमीटर अंदर आकर गिरी. JF-17 और J-10C फाइटर जेट चीन निर्मित हैं. मिसाइल में सेल्फ-डिस्ट्रक्ट मैकेनिज्म नहीं होने के कारण यह पूरी तरह सुरक्षित स्थिति में बरामद हुई. बरामदगी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुई थी. यह ऑपरेशन भारत ने 7 मई को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले (जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे) के बाद शुरू किया था.
PL-15E मिसाइल में कई एडवांस फीचर
‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, DRDO की रिपोर्ट में चीनी मिसाइल में कई एडवांस फीचर होने की बात कही गई है. इनमें मिनीएचर AESA (एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैनड एरे) रडार, हाई-एनर्जी प्रोपेलेंट (जो मिसाइल को मैक 5 यानी 6000 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक गति तक बनाए रख सकता है) और एंटी-जैमिंग तकनीकें शामिल हैं. DRDO अब इन सभी प्रमुख तकनीकों को Astra Mark-2 मिसाइल में सम्मिलित करने की दिशा में काम कर रहा है. इसी बीच, सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान भी अपने हथियार भंडार को मजबूत करने में जुटा है. वह लॉन्ग-रेंज PL-17 मिसाइलें, तुर्की से 2,000 YIHA कामिकाज़े ड्रोन, और अमेरिका से उन्नत हथियारों की सूची मांगने की प्रक्रिया में है.
PL-15E में ऐसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जिससे इसकी रफ्तार 6000 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा है. अब यदि इसी तकनीक का इस्तेमाल अस्त्र-2 मिसाइल में किया गया तो इसकी रफ्तार भी मैक 5 या उससे ज्यादा हो जाएगी. बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय हथियार प्रणालियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. ब्रह्मोस, रैम्पेज और SCALP मिसाइलों ने अपने लक्ष्यों को सटीकता से साधा. इसके बावजूद, भारतीय वायुसेना भविष्य की झड़प में संख्या की कमी से बचने के लिए राफेल विमानों के लिए अतिरिक्त Meteor मिसाइलें हासिल करने की योजना बना रही है. साथ ही 800 किलोमीटर रेंज वाली नेक्स्ट-जेनरेशन ब्रह्मोस मिसाइल भी विकसित की जा रही है, जो पाकिस्तान के लगभग पूरे क्षेत्र को कवर कर सकेगी.
साभार : न्यूज18
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