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डोनाल्ड ट्रंप ने अपने खिलाफ नो किंग्स प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर की मल-मूत्र की बारिश

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वाशिंगटन. अमेरिका से लेकर यूरोप और ऑस्ट्रेलिया तक डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ नो किंग्स विरोध प्रदर्शन एक बड़ा जन आंदोलन बनकर खड़ा हो गया है. हजारों नागरिकों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और उनके सत्तावादी रवैये के विरोध में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया. लंदन, मैड्रिड से लेकर वाशिंगटन, बोस्टन, अटलांटा, शिकागो और लॉस एंजिल्स जैसे बड़े शहरों से लेकर कई रिपब्लिकन राज्यों की राजधानियों तक, करीब ढाई हजार स्थानों पर लोगों ने एक साथ आवाज उठाई.

प्रदर्शनकारी हाथों में तख्तियां लेकर लोकतंत्र की रक्षा की मांग कर रहे हैं, जिन पर साफ-साफ लिखा है  कि सच्ची देशभक्ति सत्ता का विरोध करने में है, न कि अंध-समर्थन में. सैन फ्रांसिस्को में ओशन बीच पर सैकड़ों लोगों ने अपने शरीर से NO KING शब्द बनाकर प्रदर्शन किया. कई लोगों ने कहा कि वर्तमान माहौल में उन्हें वह अमेरिका नहीं दिख रहा जिसके लिए वे हमेशा गर्व महसूस करते थे. लोगों का कहना है कि देश की लोकतांत्रिक पहचान खतरे में है.

No Kings प्रोटेस्ट पर क्या बोले ट्रंप?

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स बिजनेस चैनल से बात करते हुए कहा कि उन्हें राजा कहा जा रहा है, जबकि वे खुद को राजा नहीं मानते. हालांकि, बयान देने के कुछ ही घंटे बाद उन्होंने अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर कई एआई-जनरेटेड वीडियो साझा किए. इन वीडियो में उन्हें मुकुट और केप पहने हुए दिखाया गया, जैसे वे किसी साम्राज्य के शासक हों. एक वीडियो में उन्हें लड़ाकू विमान उड़ाते हुए दिखाया गया, जो प्रदर्शनकारियों पर अपमानजनक सामग्री (मल) फेंक रहा था. वहीं दूसरे वीडियो में उन्हें राजा की तरह पेश किया गया, जबकि डेमोक्रेटिक नेताओं को झुकते हुए दिखाया गया. इन क्लिप्स के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर जबरदस्त बहस छिड़ गई. आलोचकों का कहना है कि ट्रंप इस तरह डिजिटल माध्यमों का उपयोग राजनीतिक प्रचार के लिए कर रहे हैं.

प्रदर्शनों पर ट्रंप ने साधी चुप्पी

पूरा देश जब विरोध प्रदर्शनों में शामिल था, तब ट्रंप फ्लोरिडा के मार-ए-लागो स्थित अपने घर पर विकेंड की छुट्टी मना रहे थे. समाचार एजेंसी एपी के अनुसार, व्हाइट हाउस या रिपब्लिकन पार्टी की ओर से इस दौरान कोई आधिकारिक बयान नहीं आया. यह आंदोलन इस साल का तीसरा सबसे बड़ा विरोध बन गया है. जून में भी इसी तरह के नो किंग्स प्रदर्शन दो हजार से अधिक स्थानों पर आयोजित किए गए थे.

लोकतंत्र को बचाना अब हमारी जिम्मेदारी-प्रदर्शनकारी

एक प्रदर्शनकारी, जो पूर्व में सीआईए के लिए काम कर चुके हैं उसने कहा कि उन्होंने हमेशा विदेशों में चरमपंथ के खिलाफ काम किया, लेकिन अब उन्हें वही खतरा अपने ही देश में दिखाई दे रहा है. उनका कहना है कि ट्रंप प्रशासन लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है और देश को विभाजन की ओर धकेल रहा है. कई संगठनों ने इस आंदोलन को केवल विरोध नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा का प्रयास बताया है. लोगों का मानना है कि यह लड़ाई सत्ता से अधिक स्वतंत्रता और समानता के लिए है.

साभार : एबीपी न्यूज

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