नई दिल्ली. ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी वाले ऐप्स (Betting Apps) को लेकर चल रही लंबी बहस पर आखिरकार सरकार ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठा लिया है. सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार, केंद्रीय कैबिनेट ने ऑनलाइन गेमिंग बिल को अपनी मंजूरी दे दी है. इस बिल का मकसद बिल्कुल साफ है – देश में असली गेमिंग इंडस्ट्री को तो बढ़ावा देना है, लेकिन सट्टेबाजी के नाम पर चल रहे ‘खेल’ को पूरी तरह से बंद करना है. इस बिल का सबसे बड़ा और सीधा असर उन सट्टेबाजी वाले ऐप्स पर पड़ेगा जो टीवी से लेकर यूट्यूब तक, हर जगह अपने आकर्षक विज्ञापन दिखाकर युवाओं को अपनी ओर खींच रही थीं. सरकार अब इन पर पूरी तरह से नकेल कसने की तैयारी में है.
पिछले कुछ सालों में, भारत में ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया बहुत तेजी से बढ़ी है. यह एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री बन चुकी है, जिसमें हजारों करोड़ का निवेश है और लाखों लोगों को रोजगार मिला है. लेकिन इस चमक-दमक के पीछे एक अंधेरा कोना भी था, और वह था अवैध सट्टेबाजी वाले ऐप्स का. ये ऐप्स गेमिंग की आड़ में सीधे-सीधे जुआ और सट्टेबाजी को बढ़ावा दे रही थीं. कई युवा और आम लोग इनके विज्ञापनों के झांसे में आकर अपनी मेहनत की कमाई गंवा रहे थे, कर्ज में डूब रहे थे और कई मामलों में तो आत्महत्या जैसे दुखद कदम भी उठा रहे थे. सरकार का लक्ष्य इसी समस्या को जड़ से खत्म करना है.
बिल की सबसे बड़ी और सख्त बातें
सूत्रों के अनुसार, इस नए बिल में कुछ बहुत ही कड़े प्रावधान किए गए हैं, ताकि सट्टेबाजी के इस नेटवर्क को पूरी तरह से तोड़ा जा सके.
1. सेलिब्रिटीज और विज्ञापनों पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’
यह इस बिल का सबसे कठोर प्रावधान है. अब कोई भी सेलिब्रिटी, चाहे वह फिल्म स्टार हो, क्रिकेटर हो या कोई और बड़ी हस्ती, किसी भी सट्टेबाजी वाले ऐप का विज्ञापन नहीं कर सकता. इन विज्ञापनों से इन ऐप्स को एक भरोसा मिलता था, जिसे सरकार अब खत्म करना चाहती है. सिर्फ रोक ही नहीं, बल्कि नियम तोड़ने पर भारी जुर्माने और सजा का भी प्रावधान किया गया है. जो भी व्यक्ति या कंपनी सट्टेबाजी वाले ऐप का विज्ञापन करती पाई जाएगी, उस पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी.
2. गेमिंग और सट्टेबाजी के बीच खींची गई ‘लक्ष्मण रेखा’
सरकार यह समझती है कि हर ऑनलाइन गेम सट्टा नहीं होता. इस बिल का मकसद गेमिंग और सट्टेबाजी के बीच एक साफ लकीर खींचना है. जो प्लेटफॉर्म सिर्फ ‘गेम ऑफ स्किल’ को बढ़ावा देते हैं और जिनमें सट्टेबाजी या पैसे के दांव लगाने जैसा कोई तत्व नहीं है, सरकार उन्हें पूरी तरह से सपोर्ट करेगी. इसका मतलब है कि असली गेमिंग इंडस्ट्री को अब और बढ़ने का मौका मिलेगा.
3. बिना सट्टेबाजी वाले प्लेटफॉर्म को मिलेगा बढ़ावा
सरकार चाहती है कि भारत गेमिंग का एक ग्लोबल हब बने. इसलिए, जो कंपनियां इनोवेशन और टेक्नोलॉजी पर काम कर रही हैं और एक सुरक्षित गेमिंग माहौल बना रही हैं, उन्हें इस बिल से फायदा होगा. उनके लिए नियम और स्पष्ट होंगे और वे बिना किसी कानूनी अनिश्चितता के अपना कारोबार बढ़ा पाएंगी.
इस फैसले का किस पर क्या पड़ेगा असर?
सट्टेबाजी वाले ऐप्स पर:इन पर पूरी तरह से ताला लग जाएगा. उनका संचालन और विज्ञापन, दोनों ही अवैध हो जाएगा.
असली गेमिंग इंडस्ट्री पर:इन्हें एक बड़ी राहत मिलेगी. अब उन्हें सट्टेबाजी वाले ऐप्स के साथ एक ही तराजू में नहीं तौला जाएगा. इससे इंडस्ट्री में निवेश बढ़ेगा और नई नौकरियां पैदा होंगी.
सेलिब्रिटीज और इन्फ्लुएंसर्स पर:उन्हें अब कोई भी विज्ञापन करने से पहले दस बार सोचना पड़ेगा. किसी भी ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म का प्रचार करने से पहले उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वह सट्टेबाजी वाला ऐप तो नहीं है, वरना वे भी कानूनी पचड़े में फंस सकते हैं.
आम यूजर्स पर:आम लोगों के लिए ऑनलाइन दुनिया और सुरक्षित हो जाएगी. अब वे आकर्षक विज्ञापनों के झांसे में आकर अपनी मेहनत की कमाई नहीं गंवाएंगे.
आगे क्या होगा?
कैबिनेट से मंजूरी मिलना इस प्रक्रिया का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है. अब इस बिल को संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में पेश किया जाएगा. वहां इस पर बहस होगी और पास होने के बाद, राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह एक कानून बन जाएगा.
निष्कर्ष (Conclusion)
ऑनलाइन गेमिंग बिल को कैबिनेट की मंजूरी, देश में एक जिम्मेदार और सुरक्षित डिजिटल इकोसिस्टम बनाने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है. यह सरकार के उस संतुलित दृष्टिकोण को दिखाता है, जहां वह एक तरफ तो नई टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्री को बढ़ावा देना चाहती है, लेकिन साथ ही वह समाज पर पड़ने वाले इसके बुरे प्रभावों को लेकर भी उतनी ही सख्त है. यह बिल न केवल युवाओं को वित्तीय बर्बादी से बचाएगा, बल्कि यह असली गेमिंग इंडस्ट्री को भी एक साफ-सुथरा और फलने-फूलने का मौका देगा. यह एक ऐसा फैसला है जो ‘डिजिटल इंडिया’ को और ज्यादा सुरक्षित और जिम्मेदार बनाएगा.
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
सवाल 1: इस बिल का मुख्य उद्देश्य क्या है?
जवाब: इस बिल का मुख्य उद्देश्य वैध ऑनलाइन गेमिंग (गेम ऑफ स्किल) को बढ़ावा देना और अवैध सट्टेबाजी ऐप्स (गेम ऑफ चांस) पर पूरी तरह से रोक लगाना है, ताकि वित्तीय धोखाधड़ी और सामाजिक समस्याओं को रोका जा सके.
सवाल 2: किस तरह के गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर पड़ेगा असर?
जवाब: जब तक इनमें सट्टेबाजी का कोई तत्व शामिल नहीं होता, इन पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा. बल्कि, इस बिल से ऐसी वैध गेमिंग कंपनियों को और बढ़ावा मिलेगा.
सवाल 3: उन सेलिब्रिटीज का क्या होगा जो पहले से ही ऐसे ऐप्स का विज्ञापन कर चुके हैं?
जवाब: कानून आमतौर पर पिछली तारीख से लागू नहीं होता है. लेकिन, कानून बनने के बाद अगर कोई भी सेलिब्रिटी ऐसे विज्ञापनों में पाया जाता है या उनका प्रचार करना जारी रखता है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है.
सवाल 4: यह नया कानून कब से लागू होगा?
जवाब: अभी बिल को सिर्फ कैबिनेट से मंजूरी मिली है. इसे संसद के दोनों सदनों से पास होने और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ही लागू किया जाएगा, जिसमें कुछ महीनों का समय लग सकता है.
सवाल 5: मैं एक असली गेमिंग ऐप और सट्टेबाजी वाले ऐप में कैसे फर्क कर सकता हूँ?
जवाब: सट्टेबाजी वाले ऐप्स में अक्सर किसी खेल के नतीजे पर सीधे पैसा लगाने, बहुत जल्दी अमीर बनने का वादा करने और अस्पष्ट नियमों का इस्तेमाल किया जाता है. जबकि असली गेमिंग ऐप्स आपके कौशल, रणनीति और अभ्यास पर आधारित होती हैं.
साभार : जी न्यूज
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