मुजफ्फराबाद. पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो अपने अच्छे नहीं बल्कि बुरे कामों की वजह से हमेशा चर्चाओं में रहता है. इस देश के हालात पूरी तरह से खराब हैं, कभी इंटरनेट की चुनौतियां को कभी बलूचिस्तान की चुनौतियां. अब पाक अधिकृत कश्मीर से एक बड़ी खबर आई है. यहां पर रहने वाले लोगों को बोलने पर पाबंदी लगाई जा रही है. हालांकि पाकिस्तान दावा करता है की वैश्विक स्तर पर अभिव्यक्ति की आजादी है लेकिन ये महज एक दावा है.
रिपोर्ट में हुआ खुलासा
ब्रिटेन मीडिया पोर्टल मिल्ली क्रॉनिकल की रिपोर्ट ने पाकिस्तान स्थित कश्मीर को लेकर बड़ा खुलासा किया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि युवा ब्लॉगर और कवयित्री असमा बतूल का ‘गुनाह’ सिर्फ इतना था कि उन्होंने अपनी कविता में महिलाओं के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न और शोषण को उजागर किया. बहस छेड़ने के बजाय, उनकी पंक्तियों ने स्थानीय मौलवियों को भड़का दिया, जिन्होंने इसे ‘ईशनिंदा’ करार दिया. इसके कुछ ही दिनों बाद बतूल को कठोर कानूनों के तहत गिरफ्तार कर लिया गया, साथ ही साथ भीड़ ने उनके घर पर हमला कर दिया. सरकार ने उन्हें सुरक्षा देने के बजाय कट्टरपंथियो के आगे घुटने टेकने पर मजबूर किया और उनकी कलम को जेल का कारण बना दिया.
पहले भी सामने आए हैं मामले
हालांकि रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पाकिस्तान के कश्मीर में आवाजों को दबाना कोई नई बात नहीं है. इससे पहले नीलम घाटी में पत्रकार हयात अवान और कार्यकर्ताओं वासी ख्वाजा व अजहर मुगल को सिर्फ इस कारण हिरासत में ले लिया गया था. उनका दोष इतना है कि उन्होंने लड़कियों के लिए सेना द्वारा चलाए जा रहे हथियार प्रशिक्षण कार्यक्रम पर सवाल उठाए थे. सोशल मीडिया पर किए गए कुछ पोस्ट को भी असहनीय माना गया और उन्हें जेल भेज दिया गया. रिपोर्ट में ये कहा गया था कि सेना या फिर उससे जुड़ी हुई किसी भी गतिविधियों पर सवाल उठाना प्रतिबंधित है. उनकी रिहाई के लिए लोग लगातार प्रदर्शन करते रहे, इसके बावजूद भी उन्हें आज तक कैद रखा गया है.
लगातार बिगड़ रहे हालात
इस रिपोर्ट से पहले अंतरराष्ट्रीय निगरानी संगठनों ने भी पाकिस्तान की बिगड़ती प्रेस स्वतंत्रता पर चिंता जताई है. साल 2025 में प्रेस स्वतंत्रता रैंकिंग में गिरकर 180 देशों में 158वें स्थान पर आ गया, जो उसकी अब तक की सबसे खराब रैंकिंग है. रिपोर्ट के अनुसार, देश में डर, धमकी और मनमाने ढंग से की जाने वाली गिरफ्तारियों का माहौल है, जिसमें पत्रकारों पर राज्य और गैर-राज्य दोनों तत्वों का दबाव बना हुआ है. इस स्थिति के बावजूद भी पाकिस्तान वैश्विक मंचों पर खुद को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का रक्षक बताता है. हालांकि पीओके जैसी जगहों की स्थित और ज्यादा खतरनाक है.
साभार : जी न्यूज
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