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भारत से दोस्ती की कीमत पर नहीं करेंगे पाकिस्तान से दोस्ती : अमेरिका

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वॉशिंगटन. पाकिस्‍तान को लेकर अमेरिका का कन्‍फ्यूजन समझ से परे है. कभी अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की तारीफ करते तो कभी वह सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के लिए तालियां बजाते. अब अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस पर एक अहम बयान दिया है. रूबियो ने शनिवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ अमेरिका के संबंधों को मजबूत करने के प्रयास भारत के साथ ‘अच्छी साझेदारी’ की कीमत पर नहीं होंगे. उन्होंने यह भी बताया कि वाशिंगटन का आतंकवाद-रोधी अभियानों में इस्लामाबाद के साथ लंबे समय से सहयोग का इतिहास रहा है.

कुछ कठिनाइयां और चुनौतियां 

रूबियो ने यह बात तब कही जब एक पत्रकार ने उनसे अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में आए नए मोड़ पर एक सवाल पूछा था. इसके जवाब में रुबियो ने कहा कि अमेरिका इन संबंधों को आतंकवाद-रोधी सहयोग से आगे बढ़ाना चाहता है, अगर संभव हो सके. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस प्रक्रिया में कुछ कठिनाइयां और चुनौतियां आ सकती हैं. आसियान शिखर सम्मेलन से पहले ट्रंप ने भारत के ‘दुश्‍मन नंबर 1’ की खुलकर तारीफ की. साथ ही उन्‍होंने भारत-पाकिस्तान युद्धविराम दावे पर अपनी बात को फिर से दोहराया.

पाकिस्‍तान के साथ भी काम करना 

एक पत्रकार ने रूबियो से पूछा, ‘मैं आपसे पाकिस्तान के साथ रिश्तों के बारे में पूछना चाहता था. ऐसा लगता है कि इस साल उनके साथ संबंध काफी मजबूत हुए हैं. क्या यह उनके इस तथ्य को मान्यता देने के आधार पर था कि अमेरिका और राष्‍ट्रपति की भूमिका भारत-पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध को रोकने और हल करने में महत्वपूर्ण रही?’ इस सवाल के जवाब में अमेरिका के विदेश मंत्री ने, ‘नहीं, मुझे लगता है कि उन्होंने यह सराहा, जब आप किसी के साथ काम करते हैं तो आप उन्हें जानते हैं और उनके साथ बातचीत करते हैं. इसलिए मुझे लगता है कि इसमें खुशी की भावना थी. लेकिन उस संघर्ष के शुरू होने से पहले ही मैंने उनसे संपर्क किया था और कहा था कि हम आपके साथ एक गठबंधन और रणनीतिक साझेदारी फिर से बनाने में रुचि रखते हैं. हमें लगता है कि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें हम उनके साथ मिलकर काम कर सकते हैं.’

पाकिस्‍तान के साथ इतिहास 

रूबियो ने आगे कहा, ‘देखिए, हम भारत और बाकी मामलों से जुड़ी चुनौतियों को पूरी तरह समझते हैं लेकिन हमारा काम उन देशों के साथ साझेदारियों के अवसर पैदा करना है जहां यह संभव हो. और आतंकवाद-रोधी प्रयासों और इसी तरह की गतिविधियों में पाकिस्तान के साथ हमारा लंबे समय से साझेदारी का इतिहास रहा है.’ इसके बाद रूबियो ने आगे कहा, ‘अगर संभव हो तो हम इसे उससे आगे बढ़ाना चाहेंगे, यह समझते हुए कि इसमें कुछ कठिनाइयां और चुनौतियां भी आएंगी. लेकिन मुझे लगता है कि यह बहुत ही एनकर‍ेजिंग है कि यह रिश्ता जिस तरह मजबूत हुआ है. मुझे नहीं लगता कि यह भारत या किसी और देश के साथ अच्छे संबंध के नुकसान या उसके स्थान पर हो रहा है.’

बोले, भारतीय हैं मैच्‍योर 

रूबियो ने पूछा गया कि क्या भारत ने अमेरिका के पाकिस्तान के साथ बढ़ते संबंधों को लेकर चिंता जताई है तो उन्‍होंने कहा कि भारतीय ‘मैच्योर’ हैं. उनका कहना था कि अमेरिका एक व्यावहारिक विदेश नीति अपना रहा है. इसका मकसद एक ही समय में कई साझेदार देशों के साथ संबंध बनाए रखना है. रूबियो के मुताबिक, ‘वास्तव में उन्होंने ऐसा नहीं किया, मेरा मतलब है, हम जानते हैं कि उनके चिंता के कारण स्‍पष्‍ट हैं क्योंकि भारत पाकिस्‍तान के बीच तनाव एतिहासिक है. लेकिन मुझे लगता है कि उन्हें यह समझना होगा कि हमें कई अलग-अलग देशों के साथ संबंध रखने होंगे. हम पाकिस्तान के साथ अपने रणनीतिक संबंध को विस्तार देने का अवसर देखते हैं. मेरा मानना है कि यह हमारा काम है,  यह समझना कि हम कितने देशों के साथ और कैसे सामान्य हितों के क्षेत्रों में काम कर सकते हैं.’

दोस्‍ती का नुकसान नहीं झेल सकते 

फिर रूबियो ने कहा, ‘मुझे लगता है कि भारतीय कूटनीति और इस प्रकार के मामलों में बहुत परिपक्व हैं. उनके कुछ ऐसे देशों के साथ संबंध हैं जिनके साथ हमारे संबंध नहीं हैं. तो यह एक परिपक्व, व्यावहारिक विदेश नीति का हिस्सा है. मुझे नहीं लगता कि हम जो कुछ भी पाकिस्तान के साथ कर रहे हैं, वह हमारे भारत के साथ संबंध या दोस्ती के नुकसान पर हो रहा है, जो ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण है.’

यह सवाल ऐसे समय में पूछा गया जब अमेरिका और पाकिस्तान एक हैरान करने वाले तरीके से करीब होते जा रहे हैं. ट्रंप ने कभी एक समय पाकिस्तान को ‘आतंकवादियों का सुरक्षित ठिकाना’ कहा था, ने अब पूरी तरह रुख बदल लिया है और देश के साथ समझौते कर रहे हैं. पाकिस्तान में यूएस स्ट्रैटेजिक मेटल्स (USSM) और फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गेनाइजेशन (FWO) ने एक समझौता ज्ञापन (MoU) को साइन किया है. इसके तहत एक महत्वपूर्ण खनिज साझेदारी विकसित की जाएगी. इसमें 500 मिलियन डॉलर का निवेश समझौता भी शामिल है.

साभार : एनडीटीवी

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