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भारत को 20 साल बाद मिली कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 की मेजबानी

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नई दिल्ली. भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 की मेजबानी के अधिकार मिल गए हैं। बुधवार को स्कॉटलैंड के ग्लासगो में कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स एग्जीक्यूटिव बोर्ड की बैठक के बाद अहमदाबाद को होस्ट सिटी घोषित किया गया। भारत 20 साल के बाद कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी करेगा।

इससे पहले 2010 में नई दिल्ली इन गेम्स का आयोजन किया गया था। तब भारतीय खिलाड़ियों ने 38 गोल्ड समेत 101 मेडल जीते थे। मेजबानी मिलने पर पीएम मोदी ने खुशी जताई है।

गौरतलब हो कि अहमदाबाद में कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 के आयोजन के लिए तैयारियां पहले से ही शुरू हो चुकी हैं। यहां खिलाड़ियों, अधिकारियों और दर्शकों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने की तैयारी जोर-शोर पर है। मुख्य वेन्यू के तौर पर नरेंद्र मोदी स्टेडियम, नारणपुरा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, और सरदार वल्लभभाई पटेल स्पोर्ट्स एंक्लेव को प्रस्तावित किया गया है।

ओलंपिक दावेदारी होगी मजबूत

बता दें कि कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन किसी भी देश के लिए सिर्फ खेल आयोजन नहीं, बल्कि उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि, विकास क्षमता, इन्फ्रास्ट्रक्चर और विजन का भी प्रतीक माना जाता है। अब तक ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, भारत, कनाडा और न्यूजीलैंड सहित कुल 9 देश इसकी मेजबानी कर चुके हैं। भारत को दूसरी बार मेजबानी करने के अधिकार मिले हैं।

कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 की मेजबानी मिलने से ओलंपिक गेम्स 2036 की मेजबानी के लिए भारत की दावेदारी मजबूत होगी। भारत 2036 के ओलंपिक गेम्स की मेजबानी की तैयारी भी कर रहा है। PM नरेंद्र मोदी ने लाल किले की से इसका एलान भी किया था। पिछले साल नवंबर में भारत ने ओलंपिक गेम्स-2036 की मेजबानी हासिल करने के लिए दावेदारी पेश की थी।

कॉमनवेल्थ गेम्स का इतिहास

कॉमनवेल्थ गेम्स का इतिहास बेहद दिलचस्प है। यह एक मल्टी-स्पोर्ट्स अंतरराष्ट्रीय आयोजन है, जिसमें ब्रिटिश शासन वाले देशों के खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं। फिलहाल, इसमें 54 सदस्य देश हैं। इन गेम्स की शुरुआत 1930 में कनाडा के हैमिल्टन शहर से हुई थी। पहले इसे ब्रिटिश एम्पायर गेम्स कहा जाता था। 1978 से इसका नाम ‘कॉमनवेल्थ गेम्स’ हो गया। 2030 के आयोजन में कॉमनवेल्थ गेम्स को 100 साल पूरे होंगे।

साभार : दैनिक जागरण

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