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6 व्यक्तियों की गिरफ्तारी, 43 लाख रुपये मूल्‍य के रेलवे टिकट किए गए जब्‍त

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नई दिल्ली (मा.स.स.). 130 करोड़ से अधिक आबादी वाले देश की मांग को पूरा करने के लिए भारतीय रेलवे के यात्री परिवहन में सीटों और बर्थ की बहुत अधिक मांग है। भारतीय रेलवे द्वारा क्षमता वृद्धि के बावजूद मांग आपूर्ति के अंतर में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई है। इस मांग और आपूर्ति के अंतर के कारण दलालों की संख्या में बढ़ोत्‍तरी हुई है जो आरक्षित सीटों का अलग-अलग तरीकों से उपयोग करते हैं और उन्‍हें जरूरतमंदों को अधिक मूल्‍य पर बेचते हैं।

ऑनलाइन कन्फर्म रेलवे आरक्षण करने के लिए अवैध सॉफ्टवेयर के उपयोग से आम आदमी के लिए कन्फर्म टिकटों की उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। आरपीएफ दलाली (रेलवे टिकटों की खरीद और आपूर्ति के व्यापार को अनधिकृत रूप से चलाने) में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कोडनेम “ऑपरेशन उपलब्‍ध” के तहत मिशन मोड में गहन और निरंतर कार्रवाई कर रहा है। हाल ही में ह्यूमन इंटेलिजेंस द्वारा डिजिटल इनपुट के आधार पर दी गई जानकारी के आधार पर आरपीएफ की टीम ने राजकोट के मन्नान वाघेला (ट्रैवल एजेंट) को पकड़ने में सफलता हासिल की, जो बड़ी मात्रा में रेलवे टिकटों को हथियाने के लिए अवैध सॉफ्टवेयर यानी कोविड-19 का उपयोग कर रहा था।

इसके अलावा, एक अन्य व्यक्ति कन्हैया गिरी (अवैध सॉफ़्टवेयर कोविड-एक्‍स, एएनएमएसबीएसीके, ब्‍लैक टाइगर आदि के सुपर विक्रेता) को वाघेला द्वारा प्रदान की गई जानकारी के आधार पर मुंबई से गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ के दौरान गिरी ने अन्य सहयोगियों और वापी के एडमिन/डेवलपर अभिषेक शर्मा के नामों का खुलासा किया, जिन्हें गिरफ्तार किया गया था। अभिषेक शर्मा ने इन सभी अवैध सॉफ्टवेयर्स के एडमिन होने की बात कबूल की है। गिरफ्तार आरोपी व्यक्तियों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर, 3 और आरोपी व्यक्तियों- अमन कुमार शर्मा, वीरेंद्र गुप्ता और अभिषेक तिवारी को क्रमशः मुंबई, वलसाड (गुजरात) और सुल्तानपुर (यूपी) से गिरफ्तार किया गया। आरपीएफ इस मामले में शामिल कुछ और संदिग्धों की तलाश कर रही है।

ये आरोपी व्यक्ति आईआरसीटीसी के फर्जी वर्चुअल नंबर और फर्जी यूजर आईडी प्रदान करने के साथ-साथ सोशल मीडिया यानी टेलीग्राम, व्हाट्सएप आदि का उपयोग करके इन अवैध सॉफ्टवेयरों के विकास और बिक्री में शामिल थे। इन आरोपियों के पास नकली आईपी पते बनाने वाले सॉफ्टवेयर थे, जिनका इस्तेमाल ग्राहकों पर प्रति आईपी पते की सीमित संख्या में टिकट प्राप्त करने के लिए लगाए गए प्रतिबंध को दूर करने के लिए किया जाता था। उन्होंने डिस्पोजेबल मोबाइल नंबर और डिस्पोजेबल ईमेल भी बेचे हैं, जिनका उपयोग आईआरसीटीसी की फर्जी यूजर आईडी बनाने के लिए ओटीपी सत्यापन के लिए किया जाता है।

इस मामले में आरोपित सभी व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने से 43,42,750/- मूल्‍य के 1688 टिकटों को भी जब्त किया गया, जिनपर यात्रा शुरू नहीं की जा सकी थी। विगत में, इन आरोपियों ने 28.14 करोड़ रूपये मूल्‍य के टिकट खरीदे और बेचे थे, जिसमें उन्हें भारी कमीशन मिला। यह काले धन की उत्पत्ति की सीमा को दर्शाता है जो अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों को वित्तपोषित करते हैं। आरोपियों द्वारा दी गई जानकारी की एक टीम द्वारा जांच की जा रही है ताकि खामियों को दूर किया जा सके और इस तरह की गलत प्रथा को रोकने के उपाय किए जा सकें। इस तरह का ऑपरेशन भविष्य में भी जारी रहेगा।

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