नई दिल्ली (मा.स.स.). फ्रांस की मिनिस्टर ऑफ़ स्टेट फॉर डेवलपमेंट क्रिसौला ज़ाचारोपोलू वर्तमान में भारत यात्रा पर हैं और उन्होंने परमाणु ऊर्जा में भारत-फ्रांस सहयोग पर चर्चा करने के लिए आज यहां नॉर्थ ब्लॉक, नई दिल्ली में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह से भेंट की। उनके साथ एक उच्च स्तरीय फ्रांसीसी प्रतिनिधिमंडल भी था। दोनों पक्षों ने संयुक्त सहयोग से महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में जैतापुर स्थल पर परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों की स्थापना में तेजी लाने के तरीकों पर चर्चा की। भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनैन और परमाणु सलाहकार थॉमस मियूसेट सहित अन्य फ्रांसीसी अधिकारी भी इस विचार-विमर्श में सम्मिलित हुए।
भारत सरकार ने पहले ही फ्रांस के साथ तकनीकी सहयोग में 1650 मेगावाट के छह परमाणु ऊर्जा रिएक्टर स्थापित करने के लिए अपनी ‘सैद्धांतिक’ स्वीकृति दे दी है और सितंबर 2008 में फ्रांस के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद अब यह एक छत्र परमाणु के हिस्से के रूप में 9900 मेगावाट की कुल क्षमता वाला सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा उत्पादन स्थल बन जाएग। फ्रांसीसी कंपनी ईडीएफ ने पिछले वर्ष न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) को जैतापुर में छह यूरोपीय दबावयुक्त रिएक्टर (यूरोपियन प्रेशराइज्ड रिएक्टर्स – ईपीआरएस) का निर्माण करने के लिए अपनी बाध्यकारी तकनीकी-व्यावसायिक पेशकश प्रस्तुत की थी। इसी वर्ष मई में, ईडीएफ की एक उच्च स्तरीय टीम ने भारत का दौरा किया और एनपीसीआईएल के अधिकारियों के साथ विस्तृत बातचीत की। डॉ. जितेंद्र सिंह ने फ्रांस के मंत्री को आश्वासन दिया कि जैसा कि क्रिसौला ज़ाचारोपोलू ने अभी घोषित किया है, तकनीकी, वित्तीय और नागरिक परमाणु दायित्व से सम्बन्धित मुद्दों को दोनों पक्षों द्वारा शीघ्रातिशीघ्र और 2023 की शुरुआत में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन की निर्धारित यात्रा से पहले हल कर लिया जाएगा। फ्रांस के वित्त मंत्री ब्रूनो ले मायेर का भी दिसंबर के मध्य तक भारत आने का कार्यक्रम है।
दोनों देशों के बीच घनिष्ठ और व्यापक द्विपक्षीय संबंधों का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने रेखांकित किया कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जब इस वर्ष मई में 3 दिवसीय यूरोप यात्रा पर थे, तब उन्होंने अपने दौरे के अंतिम चरण के दौरान पेरिस में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की थी। दोनों नेताओं ने उस समय द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों सहित विभिन्न विषयों पर बात की, और तब मोदी ने टिप्पणी की थी कि “भारत और फ्रांस गर्वित विकास भागीदार हैं और यह साझेदारी विभिन्न क्षेत्रों में फैली हुई है।” आज की बैठक में दोनों पक्षों ने विश्वसनीय, सस्ती और कम कार्बन वाली ऊर्जा तक पहुंच के लिए रणनीतिक जैतापुर ईपीआर परियोजना की सफलता के लिए अपनी–अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की और लंबित मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाने पर सहमति व्यक्त की। न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) इन इकाइयों के निर्माण और उन्हें चालू करने के साथ-साथ संयंत्रों के स्वामी तथा भविष्य के संचालक के रूप में भारत में सभी आवश्यक अनुमतियों एवं सहमति प्राप्त करने के लिए जिम्मेदार होगा। इसमें भारतीय नियामक द्वारा ईपीआर तकनीक का प्रमाणन भी शामिल है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने याद किया कि परमाणु ऊर्जा स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल है, इसके अलावा देश की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा को स्थायी आधार पर सुनिश्चित करने की एक बड़ी क्षमता है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों ने अब तक लगभग 755 अरब (बिलियन) यूनिट बिजली उत्पन्न की है जिससे लगभग 65 करोड़ टन कार्बनडाइऑक्साइड (CO2) का उत्सर्जन कम हुआ है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि परमाणु ऊर्जा सहित विभिन्न स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के संयोजन के माध्यम से शुद्ध शून्य (नेट जीरो) लक्ष्यों को पूरा करने की उम्मीद है। इस संदर्भ में निर्माणाधीन परियोजनाओं के क्रमशः पूर्ण होने और स्वीकृत होने के बाद 6780 मेगावाट की वर्तमान परमाणु ऊर्जा क्षमता को 2031 तक बढ़ाकर 22480 मेगावाट करने की योजना है।