देहरादून. उत्तराखंड के चमोली जिले में बद्रीनाथ धाम के पास एक ग्लेशियर के फटने से भारी हिमस्खलन हुआ, जिसमें माणा गांव में एक कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट में लगे 57 श्रमिक फंस गए। 27 फरवरी, 2025 की सुबह हुई इस घटना में कई मजदूर बर्फ के नीचे दब गए। जबकि अब तक 33 मजदूरों को बचाया जा चुका है। हालांकि बचाव दल सीमा सड़क संगठन (BRO) के तहत दबे हुए मजदूरों का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है।
बता दें, भले ही अभी तक बद्रीनाथ धाम खुला नहीं है, लेकिन साल के इस समय में चमोली और विशेष रूप से माणा गांव में जाना काफी जोखिम भरा है। बद्रीनाथ धाम के आगे स्थित माणा को भारत का अंतिम गांव या पहला गांव कहा जाता है। आइए जानते हैं, यहां आने वाले टूरिस्ट्स को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। पढ़ें एडवाइजरी।ग्लेशियर फटने से क्षेत्र में भूस्खलन और भारी बर्फबारी हुई। जिसकी वजह से सड़कों पर काफी प्रभाव पड़ा, बता दें, जिस क्षेत्र में भूस्खलन हुआ है, वहां आवाजारी रोक दी गई है। अभी इन सड़कों से सफर करना खतरे से खाली नहीं है।
एडवाइजरी के अनुसार, हिमस्खलन की गंभीरता और चल रहे बचाव कार्यों को देखते हुए, बद्रीनाथ और आसपास के क्षेत्रों की सभी गैर-जरूरी यात्रा से बचने की सलाह दी है। बता दें, भूस्खलन और बर्फ जमा होने से सड़कें खतरनाक हो गई हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में वर्तमान और आने वाले कुछ दिनों में इन क्षेत्रों में आना अवॉइड करें। अगर आप इन रास्तों पर आ रहे हैं, तो उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन से नियमित रूप से अपडेट लें। बता दें, उत्तराखंड टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड और बीआरओ जैसे आधिकारिक सोर्स भी सड़क की स्थिति को लेकर समय- समय पर अपडेट कर रहे हैं। इसी के साथ सभी टूरिस्ट्स को अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देने और सरकार की ओर से जारी की गई एडवाइजरी को पालन करने की सलाह दी जाती है।
साभार : नवभारत टाइम्स
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