नई दिल्ली (मा.स.स.). राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) ने ‘ऑप्रेशनलाइजिंग यूनीफाइड हेल्थ इंटरफेस (यूएचआई) इन इंडिया’ पर एक परामर्श-प्रपत्र जारी किया है, जिसमें बाजार के उन नियमों का खाका खींचा गया है, जो यूएचआई नेटवर्क को चलायेंगे। यूएचआई की परिकल्पना आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) की बुनियाद के तौर पर की गई है। इसका उद्देश्य मुक्त प्रोटोकॉल के जरिये भारत में स्वास्थ्य सेवाओं सम्बंधी सूचनाओं के आदान-प्रदान और उपयोग को विस्तार देना है।
परामर्श-प्रपत्र में यूएचआई के विभिन्न तत्त्वों और बाजार के नियमों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो उनका परिचालन करेंगे। इनमें दिशा-निर्देश भी शामिल हैं, जो इस बात को नियमबद्ध करेंगे कि तलाश व खोज का कार्य, भुगतान व निपटारे की प्रक्रिया, रद्द करने व समय को फिर से तय करने का काम तथा शिकायत निवारण प्रणाली निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चल सके। हर वर्ग में विशिष्ट प्रश्नावली होगी, जिनके तहत हितधारकों से फीडबैक लिया जायेगा। जनता से टिप्पणियां मांगी गई हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यूएचआई नेटवर्क सहयोग और परामर्श के आधार पर तैयार व संचालित किया जा रहा है।
इस परामर्श-प्रपत्र के महत्त्व के बारे में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. आरएस शर्मा ने कहा, “एकीकृत स्वास्थ्य इंटरफेस से भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की आंतरिक परस्परता सक्षम हो जायेगी। चूंकि यूएचआई के विकास में अनेक हितधारक संलग्न रहे हैं, इसलिये यह तय करना जरूरी है कि निष्पक्ष, कारगर और पारदर्शी तरीके से कैसे विभिन्न घटकों का संचालन किया जायेगा। हम सभी हितधारकों से आग्रह करते हैं कि वे अपनी अमूल्य टिप्पणियां दें और भारत के डिजिटल स्वास्थ्य-सुविधा इको-प्रणाली को आकार देने में भूमिका निभायें। हितधारकों की भागीदारी से क्रियान्वयन की अड़चनें दूर करने में तथा इसे तेजी व आसानी से अपनाने में मदद मिलेगी।”