नई दिल्ली (मा.स.स.). विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), अर्थ विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को शासन का “सतत” मॉडल दिया, जिसने हर वर्ष लाभ में बढ़ोतरी करके घटते फायदे के सिद्धांत को रद्द कर दिया। दिल्ली में न्यूज-X टीवी चैनल के “कैपिटल डायलॉग” कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुये डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पिछले 20 वर्षों में मोदी का शासन मॉडल हर नई चुनौती के सामने मजबूत होता गया है
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, उनकी पहली चुनौती भुज में आए विनाशकारी भूकंप से उबरना और नए सिरे से निर्माण करना था। सरकार का नेतृत्व करते हुये 20 साल पूरे करने के बाद, उनके सामने नवीनतम चुनौती कोविड महामारी थी,जिसने देशभर के 140 करोड़ लोगों को प्रभावित किया। डॉ. सिंह ने कहा कि इन चुनौतियों का सामना नये विचारों से किया गया। प्रधानमंत्री ने लंबे समय तक आत्मनिरीक्षण किया कि कैसे नये विचारों को लाया जा सकता है। इसी तरह जमीनी हकीकत के साथ उनके आत्मिक सम्बंध ने भी हर चुनौती को अवसर में बदलने के लिये उन्हें सक्षम बनाया।
उनके शासन मॉडल के बारे में सवालों के जवाब में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जब से मोदी ने मई, 2014 में कार्यभार संभाला है, उनका पहला मंत्र “अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार” रहा है। अब लगभग नौ वर्षों के बाद, यह एकीकरण का माध्यम है, जिसके जरिये “संपूर्ण सरकार” के दृष्टिकोण के साथ टुकड़ों-टुकड़ों में काम करने के बजाय योजनाओं तथा विचारों को आपस में जोड़कर काम किया जा रहा है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पारदर्शिता, जवाबदारी और नागरिक-अनुकूलता मोदी के शासन मॉडल का प्रतीक बन गयी है। उन्होंने कहा कि केंद्र में कार्यभार संभालने के तीन महीने के भीतर, पहले बड़े फैसलों में से एक स्व-सत्यापन की शुरूआत करना और राजपत्रित अधिकारी द्वारा दस्तावेजों को प्रमाणित करने की प्रथा को खत्म करना था। इस तरह भारत के युवाओं में विश्वास कायम करने का जतन किया गया; वे युवा, जिनमें से 70 प्रतिशत 40 वर्ष से कम आयु के हैं।
इसी तरह, नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2015 को लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान साक्षात्कारों को समाप्त करने का सुझाव दिया था,जिसे डीओपीटी ने एक जनवरी 2016 से लागू किया था। इस पहल ने सभी उम्मीदवारों के लिए समान अवसर का मार्ग प्रशस्त किया था। सरकार ने 1500 से अधिक नियमों को समाप्त कर दिया, जो बेकार हो गए थे और कामकाज में बाधा थे। डॉ. सिंह ने कहा कि सभी सुधार न केवल शासनात्मक सुधार हैं, बल्कि वे बड़े सामाजिक सुधार भी हैं जिनका समाज पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 का उल्लेख किया, जिसे मोदी सरकार ने 30 वर्षों के बाद 2018 में संशोधित कर कई नए प्रावधानों के साथ पेश किया। इसमें रिश्वत लेने के अलावा रिश्वत देने को भी आपराधिक बनाना शामिल किया गया। इसके दायरे में व्यक्तियों के साथ-साथ कॉर्पोरेट संस्थाओं को भी रखा गया है। उन्होंने कहा कि सूचना तक मुफ्त और अप्रतिबंधित पहुंच भ्रष्टाचार का तोड़ है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और ई-गवर्नेंस का उपयोग विशेष रूप से सार्वजनिक सेवा उपलब्ध कराने के दौरान होने वाले भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए शक्तिशाली औजार साबित हुए हैं।
प्रश्नों के उत्तर में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में कई क्रांतिकारी पेंशन सुधार पेश किए गए, जिनमें तलाकशुदा बेटियों और दिव्यांगों के लिए पारिवारिक पेंशन के प्रावधान में छूट, मोबाइल ऐप के माध्यम से फेस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी की शुरूआत शामिल है। बुजुर्ग पेंशनभोगियों द्वारा जीवन प्रमाण पत्र, मृतक सरकारी कर्मचारी/पेंशनभोगी के दिव्यांग बच्चे को पारिवारिक पेंशन दायरे में लाना न केवल पेंशन सुधार हैं बल्कि ये व्यापक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव वाले सामाजिक सुधार भी हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह, जिनके पास अंतरिक्ष विभाग का भी काम है, को श्रोताओं से कई मुद्दों पर सवालों की झड़ी का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र गोपनीयता की आड़ में काम करता है, और यहां फिर से मोदी ने ही दो साल पहले निजी भागीदारी के लिए इस क्षेत्र को खोल दिया। इसके नतीजे काफी सुखद हैं, क्योंकि अंतरिक्ष सुधारों ने स्टार्ट-अप और नवीन संभावनाओं को उजागर किया है। तीन-चार साल पहले कुछ स्पेस स्टार्ट-अप्स ही थे, लेकिन बहुत कम समय में, आज हमारे पास 102 स्टार्ट-अप्स हैं, जो अंतरिक्ष मलबे के प्रबंधन, नैनो-सैटेलाइट, लॉन्च व्हीकल, ग्राउंड सिस्टम, रिसर्च आदि के अत्याधुनिक क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
डॉ. सिंह ने कहा कि समान हिस्सेदारी के साथ अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा और उद्योग के एकीकरण के आधार पर अब यह कहना वाजिब है कि निजी क्षेत्र और स्टार्ट-अप के सहयोग से इसरो के नेतृत्व में एक अंतरिक्ष क्रांति निकट आ गई है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत के लिए इसरो के पहले अध्यक्ष और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई ने अपने पुरातन वैज्ञानिक दायरे में बैठकर जिस महत्वाकांक्षी सपने को देखा था, अब वह गौरवशाली मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। पूरी दुनिया भारत को सबकी आकांक्षा पूरी करने वाले स्थान के रूप में देख रही है, क्योंकि भारत उदीयमान देशों के क्षमता निर्माण और नैनो उपग्रहों सहित उपग्रह निर्माण में मदद कर रहा है। मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के आठ वर्षों के दौरान, भारत की युवा प्रतिभा, जिसकी क्षमता को जाना-परखा नहीं गया था, वह अपनी क्षमता को पूरे जोश के साथ प्रस्तुत कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत के युवाओं में हमेशा विशाल प्रतिभा भंडार रहा है। वे हमेशा से बड़े स्वप्न देखते आ रहे थे। और, आखिरकार मोदी ने उन्हें एक उचित मार्ग दर्शा दिया।
आम आदमी के लिए ‘जीवन को आसान’ बनाने के मद्देनजर रेलवे, राजमार्ग, कृषि, वॉटर मैपिंग,स्मार्ट सिटी, टेलीमेडिसिन और रोबोटिक सर्जरी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के प्रयोगों का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि परमाणु ऊर्जा के समान प्रयोग जैसे परमाणु कृषि और फसल सुधार, पौधों और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए कृषि-प्रौद्योगिकियां और खाद्य संरक्षण के लिए विकिरण प्रौद्योगिकियां, फसल वृद्धि और जल संरक्षण को बढ़ाने के लिए विकिरण-आधारित प्रौद्योगिकियां अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा क्षेत्रों के विकास के आदर्श उदाहरण हैं। ये सब उपग्रह प्रतिस्थापना और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के हवाले से महत्त्वपूर्ण हैं।