पटना (मा.स.स.). केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज बिहार में भारत-नेपाल सीमा की फतेहपुर BOP का दौरा कर पिलर न. 151 व 152 का अवलोकन किया और SSB के साथ सीमा क्षेत्र की विभिन्न गतिविधियों की समीक्षा की। अमित शाह ने फतेहपुर BOP पर फतेहपुर, पेकटोला, बेरिया, आमगाछी व रानीगंज बी.ओ.पी. भवनों का उद्घाटन किया। केन्द्रीय गृह मंत्री ने एसएसबी के जवानों के साथ संवाद किया एवं उनके साथ अल्पाहार किया। शाह ने किशनगंज में बूढ़ी काली माता मंदिर में दर्शन और पूजन भी किया।
बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में पांच बॉर्डर आउटपोस्ट के नए भवनों के उद्घाटन के मौक़े पर केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश की सीमाओं की सुरक्षा को देश के सुरक्षाबलों के जवान कठिन परिस्थितियों में भी सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश के सुरक्षाबलों के लिए अनेक सुविधाएं प्रदान की हैं जिनमें से कुछ का आज लोकार्पण हो रहा है। शाह ने कहा कि देश में क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने, आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्यों और निष्पक्ष चुनाव कराने में देश के सुरक्षाबलों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है।
अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार पिछले आठ वर्षों में सीमा पर तैनात सुरक्षाबलों के जवानों और उनके परिवारों के लिए आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए समयबद्ध और चरणबद्ध तरीक़े से काम कर रही है। इसी राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत आज 25 करोड़ रूपए की लागत से पांच भवनों का लोकार्पण हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार का ये मानना है कि हमारे सुरक्षाबलों के जवान अपने जीवन का स्वर्णिमकाल देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर कठिन परिस्थितियों में बिताते हैं, उनकी सुविधाओं का ख़याल रखना भारत सरकार का कर्तव्य है। शाह ने कहा कि इसी के तहत जवानों के आवास, एनसीओ बैरक, चौकी इंचार्ज आवास, मैस, शस्त्रागार, भंडार और लगभग 10 किलोवॉट क्षमता वाले सौर ऊर्जा प्लांट का आज लोकार्पण हो रहा है। इसके साथ ही पेकटोला में 5 एकड़ भूमि पर साढ़े सात करोड़ रूपए, बेरिया में साढ़े चार करोड़ रूपए और अररिया और रानीगंज में लगभग साढ़े तीन करोड़ रूपए की लागत से भवनों का निर्माण हुआ है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सशस्त्र सीमा बल का एक इतिहास है और जबसे अटल जी के समय से एक देश और एक सीमा का सुरक्षाबल की नीति को भारत सरकार ने अपनाया, तबसे भारत-नेपाल और भारत-भूटान की खुली सीमाओं की सुरक्षा की कठिन ज़िम्मेदारी सशस्त्र सीमा बल को दी गई है और इस बल ने बख़ूबी अपनी ज़िम्मेदारी को निभाया है। उन्होंने कहा कि खुली सीमाओं की रक्षा और चौकसी अधिक सतर्कता से करने की ज़रूरत होती है और एसएसबी ने ये काम बहुत अच्छे तरीक़े से कर किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि को रोकने में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि ऐसे में गांवों से हमारा संपर्क, सूचनाओं का नेटवर्क और ग्रामीणों के साथ सेवा के माध्यम से हमारा व्यवहार ही सीमाओं को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण सिद्ध होता है। इसी कारण सेवा, सुरक्षा और बंधुत्व का नारा बहुत सोच समझकर सशस्त्र सीमा बल को दिया गया है।
शाह ने कहा कि जब बिहार और झारखंड में वामपंथी उग्रवाद चरम सीमा पर था तब एसएसबी के जवानों ने वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में बहुत बड़ा योगदान दिया है, जिसे देश कभी भूल नहीं सकता। एसएसबी के जवानों ने देश के पूर्वी क्षेत्र में फैले नक्सलवाद के खिलाफ अनेक बलिदान देकर एक कठिन लड़ाई लड़ी और इसी के परिणामस्वरूप आज बिहार और झारखंड में नक्सलवाद लगभग समाप्त होने की कगार पर है। उन्होंने कहा कि जब सीमा खुली होती है वहां टेक्नोलॉजी का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। चाहे सीसीटीवी हो या ड्रोन हो, अनेक प्रकार की तकनीकों को अपनाकर सीमाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी बलों को एक-दूसरे की गुड प्रैक्टिसेज को अपनाकर टेक्नोलॉजी को अपनाना चाहिए क्योंकि टेक्नोलॉजी सीमाओं को सुरक्षित रखने का एक बहुत बड़ा माध्यम बन सकती है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जब 2019 में केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने वृक्षारोपण अभियान शुरू किया, तब अपने लक्ष्य को सबसे पहले प्राप्त करने वाले सुरक्षा बलों में एसएसबी सबसे आगे रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में देश ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अमृत महोत्सव मनाया, हर घर तिरंगा अभियान चलाया और खासकर सीमांत क्षेत्र के गांवों में राष्ट्रभक्ति की भावना को और प्रदीप्त करने का लक्ष्य हमने रखा था। इसके तहत एसएसबी के जवानों ने 10 लाख तिरंगे घर-घर जाकर वितरित किए और उन्हें फहराने का काम भी किया। शाह ने कहा कि एसएसबी के सभी जवान दो राष्ट्रों से जुड़ी इतनी बड़ी अंतर्राष्ट्रीय सीमा की कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्रभक्ति के साथ सुरक्षा कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि एसएसबी के अंतर्गत आने वाला इलाका सिलिगुड़ी कॉरिडोर के नजदीक है और यह हमारे देश के लिए बहुत संवेदनशील क्षेत्र है। एक ओर, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और असम और दूसरी ओर नेपाल, भूटान और बांग्लादेश हैं।इस प्रकार यह पूरी सीमा बहुत संवेदनशील है जहां सिलिगुड़ी जैसे संवेदनशील गलियारे के साथ ही आपकी ड्यूटी है और इसी कारण आपको ज्यादा सजग होकर काम करना होगा।
अमित शाह ने कहा कि 2014 में केन्द्र में नरेन्द्र मोदी जी की सरकार बनने के बाद सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। 2008 से 2014 के बीच, लगभग 23,700 करोड रुपए खर्च किए गए। लेकिन नरेन्द्र मोदी जी की सरकार बनने के बाद 23,700 करोड़ रूपए से बढ़ाकर 44,600 करोड रुपए खर्च किए गए हैं। पहले प्रतिवर्ष जो खर्च 4000 करोड़ रूपए होता था वह आज 6000 करोड़ रूपए होता है। सड़कों के निर्माण में लगभग साढ़े तीन गुना वृद्धि की गई है और यही भारत सरकार की सीमाओं की सुरक्षा को लेकर प्राथमिकता को दर्शाता है। देश की सीमाओं की सुरक्षा सुरक्षाबलों के अथक परिश्रम और बलिदान के बिना सुनिश्चित नहीं हो सकती।
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