शुक्रवार, नवंबर 22 2024 | 03:00:27 AM
Breaking News
Home / राष्ट्रीय / विज्ञान और तकनीकी विकास के एकीकरण के लिए “साइंस लीडर्स” की आवश्यकता है : डॉ. जितेंद्र सिंह

विज्ञान और तकनीकी विकास के एकीकरण के लिए “साइंस लीडर्स” की आवश्यकता है : डॉ. जितेंद्र सिंह

Follow us on:

नई दिल्ली (मा.स.स.). केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि साइंस लीडर्स को समाज में विज्ञान और तकनीकी विकास के एकीकरण को इस तरह से चलाने की आवश्यकता है कि विज्ञान नागरिक और क्षेत्र की जरूरतों को पूरा कर सके।

 “बिल्डिंग साइंस लीडर्स प्रोग्राम” के शुभारंभ के बाद अपने संबोधन में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकारी सर्विस डिलीवरी के लिए, वैज्ञानिकों को अपने काम में सबसे आगे रहना चाहिए और जनता की भलाई के लिए विज्ञान की डिलीवरी दक्षताओं को सुधारना महत्वपूर्ण है।डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सामाजिक भलाई पर जोर दिया गया है, इसका एक अच्छा उदाहरण तटीय क्षेत्रों में जीवन रक्षक चक्रवात की भविष्यवाणी के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग है। इसी तरह, इंडिया स्टैक पर निर्मित यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस जैसी तकनीक सभी के लिए भुगतान में क्रांति ला रही है। यूपीआई दुनिया का एकमात्र एपीआई-संचालित इंटरऑपरेबल रीयल-टाइम मनी ट्रांसफर प्लेटफॉर्म है जिसे केवल-मोबाइल दुनिया के लिए डिज़ाइन किया गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रौद्योगिकी, नवाचार और आर्थिक अनुसंधान केंद्र (सीटीआईईआर) तथा अहमदाबाद विश्वविद्यालय के साथ ‘बिल्डिंग साइंस लीडर्स इन इंडिया’ कार्यक्रम को विकसित और वितरित करने के मकसद से जुड़ने के लिए क्षमता निर्माण आयोग, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) के कार्यालय, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की भूमिका की सराहना की। मंत्री ने कहा कि ‘बिल्डिंग साइंस लीडर्स इन इंडिया’ विशिष्ट रूप से डिज़ाइन किया गया सहयोगी कार्यकारी विकास कार्यक्रम है जो उन वैज्ञानिकों के लिए है जो या तो अग्रणी प्रयोगशालाओं में हैं या फिर अनुसंधान संगठनों में नेतृत्व की भूमिका और जिनमें भविष्य में अनुसंधान प्रोजेक्ट का निर्देशन करने की संभावना है। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम वैज्ञानिकों में संचार, डिजाइन सोच और परियोजना प्रबंधन जैसी प्रमुख दक्षताओं को निखारेगा।

कार्यक्रम के पहले बैच में भारत सरकार के 7 वैज्ञानिक विभागों – डीएसटी, डीबीटी, इसरो, डीएई, सीएसआईआर, एमओईएस और एमओईएफसीसी की भागीदारी है। एक साथ संगठित होने के दृष्टिकोण का उद्देश्य यह भी सुनिश्चित करना है कि सभी विभागों के वैज्ञानिक एक दूसरे के साथ काम करें। कार्यक्रम को दो चरणों में डिजाइन किया गया था- चरण 1 (ऑनलाइन): 7 और 8 सितंबर को आयोजित दो दिवसीय ऑनलाइन कार्यक्रम, जबकि चरण 2 (व्यक्तिगत रूप से): इसरो बैंगलोर में 27 और 30 सितंबर के बीच व्यक्तिगत रूप से चार दिवसीय कार्यक्रम।

भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

https://vyaparapp.in/store/Pustaknama/15

https://www.meesho.com/hindi-paperback-history-books/p/2r4nct

इस पुस्तक को ई-बुक के रूप में खरीदने हेतु कृपया निम्न लिंक पर क्लिक करें –

https://www.amazon.in/dp/B0BCH59SF8

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

भारत में रोजगार के संदर्भ में बदलना होगा अपना नजरिया

– प्रहलाद सबनानी भारतीय प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति की सदस्य सुश्री शमिका रवि द्वारा …