इस्लामाबाद. पाकिस्तान के लाहौर में खालिस्तानी आतंकवादी परमजीत सिंह पंजवड़ मारा गया है। पजंवड़ खालिस्तान कमांडो फोर्स का सरगना था और पाकिस्तान से अपनी आतंकी गतिविधियों को जारी रखे था। वह 1990 में भारत से फरार होकर पाकिस्तान जा छिपा था। बताया जा रहा है कि अज्ञात बाइक सवारों ने लाहौर के जौहर कस्बे की सनफ्लावर सोसाइटी में घुसकर परमजीत सिंह पंजवड़ पर तबाड़तोड़ गोलियां बरसा दी।
हमला इतना सटीक था कि परमजीत सिंह पंजवड़ की मौके पर ही मौत हो गई। पजंवड़ लाहौर में मलिक सरदार सिंह के छद्म नाम से रह रहा था। जानकारी के अनुसार, हमलावर सुबह 6 बजे बाइक पर सवार होकर सोसाइटी में घुसे थे। उन्होंने परमजीत सिंह पंजवड़ पर हमला किया और मौके से फरार हो गए। खालिस्तान कमांडो फोर्स का सरगना परमजीत पंजवड़ ने 30 जून 1999 को पासपोर्ट कार्यालय के पास बम ब्लास्ट कराया था। इस विस्फोट में चार लोग घायल हुए थे, जबकि कई गाड़ियों को नुकसान पहुंचा था। बताया गया था कि बम को एक स्कूटर की डिग्गी में रखा गया था। इस स्कूटर का रजिस्ट्रेशन हरियाणा के पानीपत का था। पुलिस ने इस स्कूटर के मालिक को पानीपत से गिरफ्तार कर पूछताछ की थी।
पंजाब के तरनतारन का रहने वाला था परमजीत सिंह
परमजीत सिंह पंजवड़ पंजाब के तरनतारन जिले के झब्बाल गांव का रहने वाला था। वह पहले पंजाब के सोहल में एक बैंक में नौकरी करता था। बाद में वह पंजाब में आतंकवादियों के संपर्क में आया और खुद का आतंकी संगठन खालिस्तान कमांडो फोर्स खड़ा किया। भारत के केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2020 में आतंकवादियों की एक लिस्ट जारी की थी, जिसमें परमजीत सिंह पंजवड़ का नाम था।
सीमा पार ड्रग्स और हथियारों की तस्करी में था शामिल
परमजीत सिंह पंजवड़ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के हाथों की कठपुतली था। आईएसआई उसका इस्तेमाल भारत में ड्रोन के माध्यम से नशीली दवाओं, ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के लिए करती थी। वह हथियारों और ड्रग्स की तस्करी के जरिए पैसे जुटाकर खालिस्तान कमांडो फोर्स की जरूरतों को पूरा करता था।
कैसे आतंकी बना था परमजीत पंजवड़
परमजीत सिंह पंजवड़ 1986 में अपने चचेरे भाई लाभ सिंह के आतंकी बनने के बाद खालिस्सान कमांडो फोर्स में शामिल हुआ था। लाभ सिंह को भारतीय सुरक्षा बलों ने मार गिराया था, जिसके बाद परमजीत ने खालिस्तान कमांडो फोर्स की कमान संभाली। भारत में सुरक्षाबलों के खतरे को देखते हुए वह 1990 में पाकिस्तान भाग गया था।
साभार : नवभारत टाइम्स
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