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मरा नहीं जिंदा है खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू

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वाशिंगटन. दूसरे मुल्कों से भारत में आतंकवाद फैलाने वाले दो मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकी अवतार सिंह खांडा और हरदीप सिंह निज्जर जब ‘120’ घंटे के भीतर मारे गए, तो सिख फॉर जस्टिस का संस्थापक एवं खालिस्तानी गुरपतवंत सिंह पन्नू भूमिगत हो गया था। उसके बाद कनाडा में खालिस्तान समर्थकों ने यह दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया कि इन हत्याओं के पीछे भारत सरकार का हाथ है। ये भारतीय राजनयिकों की शरारत है।

बुधवार को मीडिया में यह खबर फैल गई कि आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू मारा गया है। सोशल मीडिया पर अमेरिका में एक कार हादसे का फोटो डाल कर हादसे को पुख्ता बताने का प्रयास हुआ। गुरुवार सुबह ‘पन्नू’ ने न्यूयार्क से खुद ही अपना एक वीडियो डाल दिया। उसने कहा, मैं यूएन मुख्यालय के बाहर खड़ा हूं। एक दिन, यहां पर खालिस्तान का झंडा चढ़ेगा। पन्नू ने कनाडा में होने वाले जनमत संग्रह की तिथि भी घोषित कर दी। दूसरी तरफ केंद्रीय जांच एजेंसियों के सूत्रों ने कहा, ये सब एक रणनीति का हिस्सा है। खालिस्तानी पन्नू, खुद ही ‘जाल’ में फंसने जा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर खड़ा है पन्नू

पन्नू ने अपने वीडियो में कहा, कनाडा या ब्रिटेन में जो खालिस्तानी मारे गए हैं, उसके लिए यूएस, यूके और कनाडा के दूतावास अधिकारी जिम्मेदार हैं। उसने दावा किया है कि वह अभी जिंदा है। उसका यह वीडियो 5 जुलाई को बनाया गया है। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर खड़ा पन्नू कह रहा है कि 16 जुलाई को मालटोन ‘कनाडा’ में खालिस्तान के मुद्दे पर वोटिंग होगी। इसके बाद पन्नू ने वोटिंग के दूसरे चरण की भी घोषणा कर दी। उसने कहा, 10 सितंबर को वैंकुवर ‘कनाडा’ में वोट डाले जाएंगे।

पन्नू ने कहा, भारत सरकार, पंजाब में ठीक नहीं कर रही। पंजाब को आजाद कराया जाएगा। साथ ही पन्नू ने खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारतीय राजनयिकों का हाथ होने की बात कही है। ऐसे लोगों को कानूनी तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा। जिस किसी को मुझसे मिलना है, वो न्यूयार्क आ जाए। मैं यही पर हूं। पन्नू की मौत की खबर को कैलिफोर्निया में द खालसा टुडे के एडिटर इन चीफ और सीईओ सुक्खी चहल ने गलत बताया था। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा था कि ये महज एक अफवाह है।

वहां तक भारतीय एजेंसियों की पहुंच

इस मामले में विश्वस्त सूत्रों का कहना है, ‘पन्नू’ एक जाल में फंस रहा है। खालिस्तान की समस्या को लेकर भारत सरकार कई मोर्चों पर काम कर रही है। खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह, जहां भी है, उसे कानूनी तरीके से पकड़ा जाएगा। इसके लिए अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन की सरकार से पत्राचार शुरू हुआ है। खुद विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर इस मामले में सख्त प्रक्रिया अपनाने की बात कह चुके हैं। सूत्रों ने बताया, राजयनिक तरीकों पर काम हो रहा है।

जिस दायरे में पन्नू रह रहा है, वहां तक भारतीय एजेंसियों की पहुंच है। बस, इतना कहा जा सकता है कि ‘पन्नू’ अब बहुत लंबा नहीं खेलेगा। कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से वह शिकंजे में आ जाएगा। सूत्र के मुताबिक, मोस्ट वांटेड व्यक्ति जब सार्वजनिक स्थान पर अपना वीडियो बनाता है, तो संभव है कि वह किसी दूसरे की रणनीति के तहत ऐसा कर रहा हो। हालांकि पन्नू के भूमिगत होने या उसके बाद अब वीडियो जारी करने को लेकर सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

तब खालिस्तान समर्थकों का पसीना छूटने लगा

विदेशी मुल्कों की धरती से भारत में आतंकवाद फैलाने वाले दो मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकियों का जब ‘120’ घंटे के भीतर मारे गए तो पन्नू को गहरा झटका लगा था। 15 जून को बर्मिंघम के एक अस्पताल में खालिस्तानी आतंकी अवतार सिंह खांडा की मौत हो गई थी। उसने लंदन स्थित भारतीय दूतावास पर राष्ट्रीय ध्वज को उताकर उसका अपमान किया था। इसके बाद 19 जून को कुख्यात खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में मौत हो गई। वह दो अज्ञात बंदूरधारियों की गोलियों का निशाना बना था। ये दोनों आतंकी, एनआईए की मोस्ट वांटेड टेररिस्ट लिस्ट में शामिल थे। हरदीप सिंह निज्जर पर तो एनआईए ने दस लाख रुपये का इनाम रखा था। इन घटनाओं के बाद कनाडा और दूसरे मुल्कों में बैठे खालिस्तान समर्थकों का पसीना छूटने लगा था। इसके बाद ही खालिस्तानी आतंकी ‘गुरपतवंत सिंह पन्नू’ भूमिगत हो गया था।

किसान आंदोलन से लेकर जी20 तक मिली धमकियां

गुरपतवंत सिंह पन्नू ही एकमात्र ऐसा शख्स रहा है, जिसने कभी भारतीय सुरक्षा एवं जांच एजेंसियों की परवाह नहीं की। किसान आंदोलन के दौरान उसने कई बार यह कहा था कि जो व्यक्ति लाल किला से तिरंगा उतारकर वहां खालिस्तानी झंडा फहराएगा, उसे भारी इनामी राशि दी जाएगी। उसके बाद 26 जनवरी और 15 अगस्त को लेकर भी पन्नू ने धमकी भरे ऑडियो-वीडियो टेप जारी किए थे। पंजाब में जब अमृतपाल सिंह फरार हुआ तो उस दौरान भी केंद्रीय नेताओं को धमकी दी गई। जी20 की पंजाब और जेएंडके में हुई बैठकों से पहले भी उसने हमला करने की धमकी दी थी। खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर भारत, अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन की सरकारों के साथ अपनी नाराजगी जाहिर कर चुका है। अवतार सिंह खांडा, जिसने लंदन में स्थित भारतीय दूतावास पर तिरंगे को उतारने का दुस्साहस किया था, वह खुलेआम घूमता रहा। भारत सरकार ने पिछले साल गुरपतवंत सिंह के खिलाफ इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने का आग्रह किया था, जिसे स्वीकार नहीं किया गया।

खालिस्तान मूवमेंट के पीछे पाकिस्तानी आईएसआई

पंजाब और दूसरे मुल्कों में एक साजिश के तहत खालिस्तान मूवमेंट को खड़ा करने के प्रयासों के पीछे पाकिस्तानी आईएसआई का हाथ है। पन्नू ने भी खालिस्तान के मुद्दे पर जनमत संग्रह कराने को लेकर पाकिस्तान की यात्रा की थी। इस दौरान आईएसआई व उसके गुर्गें आतंकी संगठनों के सदस्यों के साथ पन्नू की मुलाकात हुई। पन्नू ने आईएसआई को अपने उन समर्थकों की सूची भी सौंपी थी, जो दूसरे मुल्कों में इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं। अमेरिका और ब्रिटेन में भारतीय दूतावासों पर हमले के पीछे आईएसआई ने खालिस्तान समर्थकों को उकसाया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पन्नू को यूएपीए के तहत आतंकी घोषित किया गया है। पंजाब और हरियाणा में भी पन्नू के खिलाफ केस दर्ज हैं। इसके बावजूद उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी। वजह, पन्नू भारत का नागरिक नहीं है। ‘पन्नू’ कभी अमेरिका में रहता तो कभी ब्रिटेन व कनाड़ा में। वहां से पन्नू खालिस्तानी आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। पन्नू के पास वहां की नागरिकता है। इस वजह से उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई में मुश्किल आ रही है।

साभार : अमर उजाला

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