टोरंटो. विमान खराब होने के कारण जी20 समिट के बाद भारत में ही अटके कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को अब घरेलू स्तर पर भी तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ रहा है। कनाडा के प्रमुख अखबार टोरंटो सन ने ‘दिस वे आउट’ शीर्षक के साथ पहले पन्ने पर वह तस्वीर प्रकाशित की है, जिसमें मोदी ने राजघाट पर पारंपरिक रूप से हाथ मिलाने के बाद ट्रूडो को आगे बढ़ने का इशारा किया था। अखबार ने कहा कि ट्रूडो को अहसास हुआ कि भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन में उनके सीमित दोस्त हैं।
कनाडाई पीएम के विमान की तकनीकी खराबी दूर, आज रवाना होगा प्रतिनिधिमंडल
कनाडा के प्रधानमंत्री के विमान में तकनीकी खराबी मामले में नया अपडेट आया है। कनाडा के प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रेस सचिव मोहम्मद हुसैन ने बताया है कि विमान की तकनीकी समस्या को हल कर लिया गया है उसे उड़ान भरने की मंजूरी दे दी गई है। उन्होंने बताया कि कनाडाई प्रतिनिधिमंडल के आज दोपहर रवाना होने की उम्मीद है। इससे पहले खबर आई थी कि विमान खराब होने के बाद भारत में फंसे कनाडाई पीएम को वापस ले जाने के लिए आने वाला वैकल्पिक विमान भी डायवर्ट कर दिया गया है। सीबीसी न्यूज की खबर के अनुसार कनाडा से आ रहे ट्रूडो के वैकल्पिक विमान को भी लंदन डायवर्ट कर दिया गया जिससे उनकी स्वदेश वापसी में और देरी होने की आशंका बढ़ गई है। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली जाने के लिए रोम से होकर जा रहे विमान को लंदन की ओर मोड़ दिया गया।
ट्रूडो जी20 समिट के दौरान हुए रात्रिभोज में भी नहीं हुए थे शामिल
द सन अखबार की एक अन्य रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया था कि ट्रूडो एक रात पहले भारत की ओर से दिए गए रात्रिभोज में शामिल नहीं हुए थे और प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह बताने से इनकार कर दिया था कि ऐसा क्यों हुआ? इसमें कहा गया है कि ट्रूडो ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस के लॉन्चिग में भी शामिल नहीं हुए जो स्वच्छ, हरित ईंधन को रोल आउट करने पर प्रगति करने के लिए हुई एक साझेदारी है। समाचार रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “ट्रूडो ने कहा था कि उनके पास अन्य काम हैं।” वहीं दूसरी ओर, लौटने के दौरान ट्रूडो का विमान भी उड़ान भरने में विफल रहा, जिससे कनाडाई प्रतिनिधिमंडल 24 घंटे से अधिक समय तक दिल्ली में फंसा रहा।
कनाडा के विपक्षी नेता ने भी जस्टिन ट्रूडो को घेरा
कनाडा के विपक्षी नेता पियरे पोइलीवरे ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर टोरंटो सन फ्रंट पेज पोस्ट किया और कहा, “पक्षपात को एक तरफ रखते हुए, कोई भी यह देखना पसंद नहीं करता कि कनाडा के प्रधानमंत्री को बाकी दुनिया द्वारा बार-बार अपमानित किया जाए और रौंदा जाए। यह स्थिति अपमानजनक है।” मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि कैसे ट्रूडो को उनके अनुरोध के बावजूद भारत की ओर से द्विपक्षीय बैठक करने की अनुमति नहीं दी गई थी और उन्होंने केवल भारतीय प्रधानमंत्री के साथ बातचीत का मौका मिला। रॉयटर्स और ब्लूमबर्ग जैसी विदेशी समाचार एजेंसियों ने बताया कि ट्रूडो को उनकी बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी से अलोचनात्मक प्रतिक्रिया मिली, जिसे कनाडाई समाचार पत्रों ने भी प्रकाशित किया।
खालिस्तानी मुद्दे पर भारत और कनाडा के राजनयिक संबंधों में तनाव
कनाडा के प्रधानमंत्री के भारत पहुंचने के बाद मोदी ने अन्य नेताओं की तरह कोई ‘स्वागत नोट’ भी पोस्ट नहीं किया। माना जा रहा है कि खालिस्तानी मुद्दे पर भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों में तनाव के बाद ऐसा हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रूडो के साथ अपनी बैठक में कड़ा रुख अपनाते हुए उन्हें स्पष्ट शब्दों में कहा कि कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियां जारी रहना ‘कड़ी चिंता’ का विषय है। कनाडा का कहना है कि वह भारतीय प्रवासियों द्वारा अपने क्षेत्र में ‘शांतिपूर्ण प्रदर्शन’ के अधिकार की रक्षा करेगा।
कनाडा के प्रधानमंत्री ने बाद में कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ मुलाकात के दौरान ‘कनाडा के मामलों में भारत के हस्तक्षेप’ का मुद्दा उठाया। भारतीय बयान में कहा गया है कि मोदी ने कनाडा में चरमपंथी तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों को जारी रखने के बारे में भारत की गंभीर चिंताओं से उन्हें अवगत कराया। भारत के बयान में कहा गया है, “वे अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसा भड़का रहे हैं, राजनयिक परिसरों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है और कनाडा में भारतीय समुदाय और उनके पूजा स्थलों को नुकसान पहुचाने की धमकी दी जा रही है।
साभार : अमर उजाला
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं