नई दिल्ली (मा.स.स.). केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) समय-समय पर प्रत्यक्ष करों के संग्रह और प्रबंधन से संबंधित मुख्य आंकड़े सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराता रहा है। सीबीडीटी ने अधिक से अधिक जानकारियों को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराने के अपने प्रयासों को जारी रखते हुए टाइम-सीरीज डेटा जारी किया है जिसे वित्त वर्ष 2021-22 तक अपडेट किया गया है।
इनमें से कुछ आंकड़ों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- प्रत्यक्ष करों का शुद्ध संग्रह वित्त वर्ष 2013-14 के 6,38,596 करोड़ रुपये से 121.18 प्रतिशतबढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 14,12,422 करोड़ रुपये हो गया है।
- प्रत्यक्ष करों का शुद्ध संग्रह वित्त वर्ष 2013-14 के 6,38,596 करोड़ रुपये से 160.17प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 16,61,428 करोड़ रुपये (अनंतिम) हो गया है।
- प्रत्यक्ष करों का सकल संग्रह वित्त वर्ष 2021-22 में 73प्रतिशत से भी अधिक बढ़कर 16,36,081 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया है, जबकि वित्त वर्ष 2013-14 में प्रत्यक्ष करों का सकल संग्रह 7,21,604 करोड़ रुपये का हुआ था।
- प्रत्यक्ष करों का सकल संग्रह वित्त वर्ष 2022-23 में 83प्रतिशत से भी अधिक बढ़कर 19,68,780 करोड़ रुपये (अनंतिम) के स्तर पर पहुंच गया है, जबकि वित्त वर्ष 2013-14 में प्रत्यक्ष करों का सकल संग्रह 7,21,604 करोड़ रुपये का हुआ था।
- वित्त वर्ष 2021-22 में प्रत्यक्ष कर उछाल 2.52 आंकी गई, जो कि पिछले 15 वर्षों में दर्ज की गई सर्वाधिक प्रत्यक्ष कर उछाल है।
- प्रत्यक्ष कर-जीडीपी अनुपात वित्त वर्ष 2013-14 के 62प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 5.97 प्रतिशत हो गया है।
- कर संग्रह की लागत वित्त वर्ष 2013-14 में कुल संग्रह के 57प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2021-22 में कुल संग्रह का 0.53 प्रतिशत रह गई है।
भारत में प्रत्यक्ष करों के प्रबंधन की प्रभावशीलता और दक्षता के विभिन्न सूचकांकों के दीर्घकालिक रुझानों का अध्ययन करने में सार्वजनिक रूप से टाइम-सीरीज डेटा की उपलब्धता शिक्षाविदों, शोध विद्वानों, अर्थशास्त्रियों और आम जनता के लिए काफी उपयोगी साबित होगी।
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