नई दिल्ली (मा.स.स.). ‘मीटरिंग और बिलिंग प्रणाली की सटीकता पर मसौदा विनियमन, लाइट-टच रेगुलेशन के लिए आगे का भविष्य’ से संबंधित मुद्दों पर स्पष्टीकरण नोट:
- प्रस्तावित किये गए विनियमन वास्तव में एक वर्ष की अवधि में होने वाली लेखापरीक्षाओं की संख्या के संदर्भ में सेवा प्रदाताओं के भार में कमी लाते हैं। सभी एलएसए का ऑडिट प्रत्येक तिमाही में करने के स्थान पर ऑडिट को वार्षिक आधार पर प्रस्तावित किया गया है, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक एलएसए को वर्ष में केवल एक बार ऑडिट किया जाना है। (इससे 75 प्रतिशत प्रयासों में कमी आएगी)।
- हरेक एलएसए तक पहुंचने और सभी प्लान्स के डुप्लीकेट ऑडिट के बजाय केंद्रीकृत प्रणाली के ऑडिट पर बल दिया गया है। अब एलएसए ऑडिट केवल उन प्लान्स के अधीन ही होगा जो केंद्रीकृत ऑडिट के अंतर्गत नहीं हैं।
- सेवा प्रदाताओं द्वारा त्रुटियों के स्व-सुधार के लिए प्रावधान किए गए हैं। यदि सेवा प्रदाताओं द्वारा समय पर सुधारात्मक कार्रवाई की जाती है, तो कोई वित्तीय भार नहीं लगाया जाएगा। इस संबंध में एक स्व-प्रमाणपत्र लेखापरीक्षा की आवश्यकता को पूरा करेगा।
- वर्तमान में चल रही लेखापरीक्षा पद्धति प्री-पेड ग्राहकों के सभी खंडों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है, जिनका कुल ग्राहक संख्या में लगभग 95 प्रतिशत योगदान होता है। सभी प्रकार के प्लान्स का उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त करने के लिए योजनाओं के चयन की प्रक्रिया को युक्तिसंगत बनाया गया है। यह अलग बात है कि इस मामले में भी नमूनों की कुल मात्रा पहले की मात्रा के समान ही होगी।
- हालांकि भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण यह स्वीकार करता है कि पेश किये जाने वाले अधिकांश प्लान्स असीमित आधार पर हैं। वैसे तो प्रत्येक प्लान में उचित उपयोग नीति (एफयूपी) की सीमा होती है, जो उपभोक्ताओं द्वारा सेवा के उपयोग की गुणवत्ता एवं मात्रा निर्धारित करती है। सेवा प्रदाता और नियामक के प्रति उपभोक्ताओं का निरंतर विश्वास बनाए रखने के लिए ऑडिट प्रक्रिया को जारी रखना आवश्यक है।
- सेवा प्रदाताओं को प्रोत्साहित करने के प्रयास किए गए हैं कि लेखापरीक्षा के दौरान यदि कोई अतिरिक्त शुल्क लिया गया हो, तो उसे ग्राहकों को तुरंत वापस करने के लिए बाध्य किया जाए। इसके अलावा, वित्तीय भार के प्रभाव को भी युक्तिसंगत बनाया गया है।
- लेखापरीक्षा प्रक्रिया के माध्यम से प्रणाली की सटीकता पर हासिल किया गया भरोसा सेवा प्रदाताओं पर एलएसए लेखापरीक्षा के बोझ को और कम करेगा।
‘टैरिफ प्लान सत्यापन‘ से संबंधित मुद्दे पर भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण का स्पष्टीकरण नोट:
- प्राधिकरण द्वारा मौजूदा विनियामक प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए दूरसंचार कंपनियों द्वारा प्रस्तावित किए गए टैरिफ ऑफर्स की जांच नियमित रूप से की जा रही है।
- वर्ष 1999 में टीटीओ की स्थापना के बाद से पिछले कई वर्षों से टैरिफ की जांच प्रचलन में है।
- निरीक्षण के तहत विशिष्ट योजनाओं को छोड़कर दूरसंचार कंपनियों द्वारा प्रस्तावित सभी पिछले टैरिफ प्लान्स की जांच के लिए ट्राई द्वारा कोई विशेष अभियान नहीं चलाया जा रहा है।
- नियामक सिद्धांतों के गैर-अनुपालन की शिकायत प्राप्त होने पर प्राधिकरण के वैधानिक जनादेश के अनुसार किसी भी टैरिफ की नए सिरे से जांच की जा सकती है, जिसमें टीएसपी (एस) सहित किसी भी हितधारक द्वारा टैरिफ की अधिक पैसे लेने की प्रकृति की शिकायत शामिल है।
- कुछ टीएसपी द्वारा कथित नुकसान पहुंचाने की विशिष्ट शिकायतें प्राप्त होने के बाद मामले की जांच की जा रही है और नियामक प्रावधानों के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।
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