लखनऊ. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार को भगवान श्री कृष्ण की भक्त व कवयित्री मीराबाई की 525वीं जयंती के अवसर पर ‘मीराबाई जन्मोत्सव’ में भाग लेने मथुरा पहुंचे. यहां पीएम मोदी ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर पहुंचकर गर्भ गृह में पूजा और दर्शन किया. वे भागवत भवन के लिए ऊपरी तल पर गए. पीएम मोदी, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सीएम योगी, पुजारी सहित कुल 17 लोगों ने भागवत भवन में पूजा की. यहां पीएम मोदी ने मीराबाई के सम्मान में एक विशेष डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया. वे इस अवसर पर आयोजित होने वाले एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेंगे. यह कार्यक्रम मीराबाई की याद में साल भर चलने वाले कार्यक्रमों की शुरुआत का भी प्रतीक होगा. मीराबाई को भगवान श्री कृष्ण के प्रति उनकी भक्ति के लिए जाना जाता है. उन्होंने कई भजनों व छंदों की रचना की, जो आज भी लोकप्रिय हैं.
नरेंद्र मोदी ने कहा कि मथुरा और ब्रज विकास की दौड़ में पीछे नहीं रहेंगे. यहां भगवान के दर्शन और भी दिव्यता से होंगे. मुझे खुशी है कि यहां ब्रज तीर्थ विकास की स्थापना की गई है. संतों ने कहा है कि वृंदावन सा वन नहीं, नंदगांव जैसा गांव नहीं और वंशी वट जैसा कहीं वट नहीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये साधारण धरती नहीं है. ब्रज की रज भी पूरे संसार में पवित्र मानी जाती है. यहां कण-कण में राधा और कृष्ण समाए हैं. विश्व के सभी तीर्थ यात्रा से जो लाभ मिलता है. यहाँ आने से सब मिल जाता है. मुझे मीराबाई की जयंती पर आने का सौभाग्य मिला है. मैं राधा कृष्ण के चरणों में नमन करता हूं और सभी साधु- संतों को प्रणाम करता हूं. हेमा मालिनी यहां से सांसद तो हैं, लेकिन कृष्ण की भक्ति में रम गईं हैं.
जब देश आजाद हुआ जो लोग भारत को उसके अतीत से काटना चाहते थे. आजादी के बाद भी गुलामी की मानसिकता में जकड़ा रहा. ब्रजभूमि को विकास से वंचित रखा लेकिन अब राम मंदिर की तिथि भी आ गई है. वो दिन दूर नहीं जब यहां भगवान कृष्ण के दर्शन और भी दिव्य रूप में होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारा भारत हमेशा से नारीशक्ति का पूजन करने वाला देश रहा है. कृष्ण के आगे भी राधा ही लगा है. हमारे देश में महिलाओं ने हमेशा जिम्मेदारियां भी उठाईं और समाज को लगातार मार्गदर्शन भी किया है. मीराबाई जी इसका भी एक प्रखर उदाहरण रही है. मीराबाई एक पथ प्रदर्शक रही हैं.
मोदी ने कहा कि मथुरा के इस समारोह में आना इसलिए भी विशेष है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण से लेकर मीराबाई दोनों का गुजरात का अलग ही रिश्ता है. मथुरा के कान्हा ने यहां से जाकर गुजरात में द्वारिका बनाई और उनकी महान भक्त मीराबाई ने राजस्थान से आकर अंत समय गुजरात में बिताया था.
साभार : न्यूज़18
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