नई दिल्ली (मा.स.स.). राज्यों और राज्य विद्युत सुविधा केंद्रों के साथ समीक्षा योजना निर्माण और निगरानी (आरपीएम) बैठक का आयोजन 23 एवं 24 जनवरी, 2023 को नई दिल्ली में किया गया, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय बिजली और नवनीन तथा नवीकरणीय (एनआरई) मंत्री आर के सिंह ने केंद्रीय बिजली राज्य मंत्री कृष्ण पाल और सचिव (बिजली) की उपस्थिति में की।
आर के सिंह ने देश में एटीएंडसी हानि को दूर करने के लिए सभी हितधारकों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की, जिसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान एटीएंडसी नुकसान में 5 प्रतिशत की समग्र कमी दर्ज की गई। उन्होंने राज्यों द्वारा किए गए प्रयासों को स्वीकार किया जिन्होंने वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2021-22 तक एटीएंडसी नुकसान में 3 प्रतिशत से अधिक कमी दर्ज की है तथा इस प्रकार की कमी लाने के लिए की गई पहलों की सराहना की। इन राज्यों में – आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मेघालय, पंजाब, राजस्थान, त्रिपुरा तथा पश्चिम बंगाल शामिल हैं। गुजरात, हिमाचल प्रदेश, केरल और उत्तराखंड जैसे कुछ राज्यों की भी अपने नुकसान को विवेकपूर्ण सीमा तक निरंतर बनाये रखने के लिए सराहना की गई। इसके अतिरिक्त, जो राज्य अपने नुकसान में सुधार नहीं ला पाए हैं, उनको सुझाव दिया गया कि वे आरडीएसएस के तहत नुकसान में कमी के लक्ष्यों को अर्जित करने के लिए उपाय करें।
सिंह ने नुकसान में कमी लाने पर प्राथमिकता के साथ वितरण क्षेत्र में अक्षमताओं को दूर करने, उचित सब्सिडी खातों का रखरखाव करने, ऊर्जा लेखांकन तथा राजस्व वसूली बढ़ाने के लिए प्री-पेड स्मार्ट मीटरिंग सुनिश्चित करने और इस तरह अवांछित उधारियों से बचने की आवश्यकता पर बल दिया। बिजली क्षेत्र की वित्तीय व्यवहार्यता से सबंधित विभिन्न पहलुओं एवं वित्तीय अनुशासन और जेनको के बकाये के भुगतान से संबंधित मुद्वों पर भी विचार विमर्श किया गया। सिंह ने यह सुनिश्चित करते हुए कि सौर घटों के लिए प्रशुल्क युक्तिसंगत रखा जाए, लोड कव्र्स को समतल करने के लिए टाइम ऑफ डे (टीओडी) प्रशुल्क कार्यान्वित करने के महत्व पर भी बल दिया।
बैठक के दौरान, वितरण सेक्टर की वित्तीय व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए प्रचालन दक्षता बढ़ाने हेतु भारत सरकार द्वारा आरंभ की गई संशोधित वितरण सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) की स्थिति पर चर्चा की गई और स्कीम की राज्य वार प्रगति पर भी विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। सिंह ने डिस्कॉम/बिजली विभागों के राज्य वार निष्पादन, आरडीएसएस के तहत पूर्व-योग्यता मानदंड के अनुपालन, आरडीएसएस कार्यान्वयन पर प्रगति तथा सब्सिडी और ऊर्जा लेखांकन, कॉरपोरेट गवर्नेंस आदि सहित अन्य प्रमुख तत्वों की समीक्षा की। सिंह ने प्री-पेड मोड में स्मार्ट मीटरिंग के कार्यान्वयन पर जोर दिया। राज्यों को स्कीम के कार्यान्वयन में तेजी लाने का सुझाव दिया गया है। राज्यों को यह सुनिश्चित करने की भी सलाह दी गई है कि प्री-पेड मीटर लगाने के बाद पाए गए अधिक लोड के लिए किसी भी उपभोक्ता पर कोई आर्थिक जुर्माना न लगाया जाए तथा बिलिंग वास्तविक लोड के आधार पर की जाए।
सिंह ने कृषि फीडरों के सोलराइजेशन के लाभों को भी रेखांकित किया क्योंकि यह कृषि उपभोक्ताओं को दिन के समय कम लागत पर बिजली उपलब्ध कराएगा और राज्य सरकार के सबसिडी बोझ में कमी लाएगा। बैठक में बिजली वितरण बुनियादी ढांचे, स्मार्ट मीटर लगाने के लिए उपभोक्ता की संलग्नता, बिजली वितरण में आईटी पहलों तथा सब्सिडी लेखांकन तंत्र में आपदा अनुकूलता के लिए अपनाई गई सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणालियों को भी साझा किया गया। सिंह ने अन्य राज्यों द्वारा सहयोग करने और इसका अनुपालन करने पर बल दिया। सिंह ने ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता पर सर्वेक्षण कराने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। पूरे देश भर में 24 घंटे 7 दिन बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की दृष्टि से आरडीएसएस के कार्यान्वयन के बाद ऐसे सर्वेक्षणों के परिणामों की समीक्षा की जाएगी।
बिजली राज्य मंत्री ने सुधारों को आरंभ करने के लिए आरडीएसएस के तहत राज्यों/डिस्कॉम की सहभागिता पर संतोष व्यक्त किया तथा स्कीम के तहत स्वीकृत स्मार्ट मीटरिंग तथा नुकसान में कमी लाने के कार्यों को तेजी से कार्यान्वित करने की अपील की। इसे दोहराया गया कि राज्य/केंद्र सरकार, सुविधा केंद्रों तथा उद्योग सहित सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयास से आर्थिक रूप से व्यवहार्य तथा पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ बिजली वितरण सेक्टर की दिशा में निर्बाधित परिवर्तन सुनिश्चित होगा।