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म्यांमार में राहत कार्य में जुटे भारतीय वायुसेना के विमानों पर साइबर अटैक

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नेपीडा. पिछले महीने भूकंप प्रभावित म्यांमार में जब राहत सामग्री लेकर भारतीय वायुसेना के विमान पहुंचे तो उनपर साइबर अटैक हुआ था, वो ‘जीपीएस स्पूफिंग’ का शिकार हुए थे. इस संबंध में मीडिया रिपोर्ट सामने आने के एक दिन बाद भारतीय वायुसेना ने सोमवार, 14 अप्रैल को कहा कि उसके चालक दल ऐसी स्थितियों से निपटने में पूरी तरह सक्षम हैं और ‘‘हर मिशन योजना के अनुसार पूरा किया गया.”

जीपीएस स्पूफिंग क्या है? वायुसेना ने क्या बताया?

‘ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) स्पूफिंग’ को साइबर हमले का एक ऐसा रूप माना जा सकता है जिसमें विमान को गुमराह करने के लिए गलत ‘जीपीएस सिग्नल’ पैदा किए जाते हैं. इनकी वजह से विमान में लगे नेविगेशन उपकरण गुमराह हो जाते हैं. यह विमानों के लिए अत्यंत खतरनाक स्थिति होती है. वायुसेना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘जीपीएस की खराब उपलब्धता की संभावना को मांडले इंटरनेशनल एयरपोर्ट द्वारा नोटम के रूप में प्रकाशित किया गया था. ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए सभी आवश्यक सावधानियां बरती गईं.”

नोटम या ‘नोटिस टू एयरमैन’ ऐसा नोटिस होता है जो संभावित खतरों के बारे में विमान के पायलट को सचेत करने का प्रयास करता है. ‘एक्स’ पर लिखे पोस्ट में कहा गया, ‘‘भारतीय वायुसेना के चालक दल ऐसी अनुपलब्धता से निपटने में सक्षम हैं. वे साथ ही विमान की सुरक्षा सुनिश्चित करने और बताए गए काम या मिशन को पूरा करने में सक्षम हैं. उसी लाइन पर प्रत्येक मिशन योजना के अनुसार पूरा किया गया.”

वायुसेना के विमान के साथ क्या हुआ?

सूत्रों ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि भारत ने 29 मार्च को सी-130जे विमान से राहत सामग्री की पहली खेप म्यांमा भेजी थी और इसके पायलटों ने बताया था कि जब विमान म्यांमार के हवाई क्षेत्र में था तो उसके ‘जीपीएस सिग्नल’ के साथ छेड़छाड़ की गई थी. उन्होंने बताया कि नयी दिल्ली ने राहत सामग्री एवं बचाव दल ले जाने के लिए म्यांमार में कुल छह सैन्य विमान भेजे थे जिनमें से अधिकतर को ‘जीपीएस स्पूफिंग’ की समस्या झेलनी पड़ी थी. सैन्य प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि इससे सुरक्षा संबंधी चिंताएं पैदा हो गईं और पायलटों को ‘बैकअप’ सिस्टम पर निर्भर रहना पड़ा.

सवाल उठ रहा है कि आखिर भारत के विमानों के साथ जीपीएस स्पूफिंग कौन करेगा, वो भी उस समय जब वो किसी राहत मिशन पर निकले हों. ख्याल रहे कि म्यांमार में चीन ने बड़ी रणनीतिक घुसपैठ की है. साथ ही वहां की सैन्य सरकार के खिलाफ कई विद्रोही संगठन भी सक्रिय हैं. गौरतलब है कि ऐसी ही स्पूफिंग की घटनाएं भारत-पाकिस्तान सीमा के पास बार-बार देखी जाती हैं. नवंबर 2023 से अब तक अमृतसर और जम्मू के पास 465 मामले सामने आए हैं.

भारत ने 28 मार्च को म्यांमार में आए भीषण भूकंप के बाद उसे सहायता प्रदान करने के लिए ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ शुरू किया था. दरअसल म्यांमार में 7.7 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था, जिसमें 3,649 लोग मारे गए और 5,000 से अधिक अन्य घायल हो गए. इसके तुरंत बाद सौ से अधिक झटके आये. भूकंप के झटके इसके पड़ोसी देश थाईलैंड और पूर्वोत्तर भारत में भी महसूस किए गए.

साभार : एनडीटीवी

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