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सुप्रीम कोर्ट ने अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर रोक से किया इनकार

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लखनऊ. मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक नहीं लगाई है। कोर्ट ने UP सरकार को नोटिस जारी कर 8 हफ्ते में जवाब मांगा है। कोर्ट के इस फैसले के बाद ही परिसर में मधुमिता की बहन निधि शुक्ला फूट-फूटकर रोने लगीं। वहीं, अमरमणि की शाम 4 बजे जेल से रिहाई होने की उम्मीद है। अभी अमरमणि और उनकी पत्नी बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड नंबर 16 में भर्ती हैं। जेल प्रशासन के मुताबिक, रिहाई परवाना जेल पहुंचते ही उसे लेकर जेलर खुद बीआरडी मेडिकल कॉलेज जाएंगे। जहां से कागजी तौर पर अमरमणि और उनकी पत्नी को रिहा कर दिया जाएगा।

मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में अमरमणि और मधुमणि गोरखपुर की जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। गुरुवार रात मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई के आदेश कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग ने जारी किया था। उनकी रिहाई के आदेश जारी होने से पहले ही मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई पर रोक से इंकार कर दिया।

निधि ने कहा- 20 साल से दौड़ रहे हैं, परेशान न हों तो क्या करें?

कोर्ट परिसर में निधि रोने लगीं तो आसपास के लोगों ने उनको दिलासा देने की कोशिश की। इस पर निधि ने रोते हुए कहा, “20 साल से दौड़ रहे हैं। सीबीआई, सीबीसीआईडी, सेशन कोर्ट, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट सब कुछ हो गया। आज तक न्याय नहीं मिला। कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी, लेकिन सरकार कभी भी अमरमणि को जेल ही नहीं भेज पाई।” उन्होंने कहा, “आरटीआई से जो मेरे पास कागज थे। दो महीने से सबको भेज रही हूं। चाहे मुख्यमंत्री हों, गवर्नर साहब हों, राष्ट्रपति हों। सबसे कहा कि यह आरटीआई के सरकारी कागज हैं। अमरमणि आपसे झूठ बोलता है। भ्रमित कर रहा है।”

उन्होंने कहा, “वो कह रहा है कि मेरी सजा माफ कर दी जाए। जब वह जेल ही नहीं गया तो सजा माफी की बात कहां से आ गई? अभी 15 अगस्त को हमने फिर सबको लेटर भेजे। 24 अगस्त की रात में अचानक रिहाई का आदेश आ जाता है कि अमरमणि को रिहा किया जाता है। आपके पास तो सारे कागज हैं। फिर आप झूठ क्यों बोलते हैं। अब हम सुप्रीम कोर्ट चले आए। अब इन्हीं से उम्मीद है कि कम से कम रिहाई पर रोक लगा दो। मेरे पास जो कागज हैं, वह साबित करते हैं कि अमरमणि का चाल-चलन अच्छा नहीं हैं। मेरी गुजारिश है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला न आ जाए तब तक अमरमणि को रिहा न किया जाए।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा-इनकी रिहाई नहीं होनी चाहिए
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने अमरमणि त्रिपाठी के रिहाई वाले आदेश पर कहा कि इस क्राइम में शामिल लोगों को जेल से बाहर नहीं आना चाहिए। इससे समाज में गलत संदेश जाएगा। बीजेपी सिर्फ बेटी बचाओ का नारा देती है। असल में ये सब गुनहगार हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। ताकि ऐसी घटनाएं न हो।

चलिए, पूरे मामले को सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं। सबसे पहले रिहाई का आदेश…
अमरमणि और उनकी पत्नी की समय से पहले रिहाई होगी। रिहाई का शासनादेश उनके अच्छे आचरण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जारी किया है। दरअसल, 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का आदेश पारित किया। इसमें लिखा है कि उनकी उम्र 66 साल होने, करीब 20 साल तक जेल में रहने और अच्छे आचरण को देखते हुए किसी अन्य वाद में शामिल न हो तो रिहाई कर दी जाए। जिला मजिस्ट्रेट गोरखपुर की तरफ से आदेश जारी हुआ कि दो जमानतें और उतनी ही धनराशि का एक निजी मुचलका देने पर उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाए। इसके बाद अब शासन की ओर से अमरमणि की रिहाई का आदेश जारी हो गया था।

सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों जेल में अच्छा आचरण करने वाले कैदियों की रिहाई पर विचार करने को राज्य सरकार को सलाह दी थी। इसके बाद अमरमणि ने अपनी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सरकार को 10 फरवरी 2023 को रिहाई का आदेश दिया था। आदेश का पालन नहीं होने पर फिर अमरमणि की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई।

ज्यादातर वक्त मेडिकल कॉलेज में भर्ती रहे अमरमणि

अमरमणि और उनकी पत्नी कहने को तो जेल में रहे, लेकिन सूत्र बताते हैं कि उनका ज्यादातर वक्त गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बीता। जब से सजा हुई दोनों अधिकतर वक्त तक बीमार रहे और इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज में भर्ती रहे। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड की दूसरी मंजिल पर 32 कमरे हैं। इसमें ऊपरी हिस्से के 16 नंबर कमरे में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी एडमिट रहे हैं। वार्ड के सभी कमरों के ऊपर नंबर लिखा हुआ है। लेकिन कमरा नंबर 15 के बाद सीधे 17 नंबर का कमरा आ जाता है।

जिस कमरे में अमरमणि रहे हैं। उस पर 16 नंबर नहीं लिखा। यह कमरा सीढ़ियों से सटा है। कमरे के बाहर पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं। इसके साथ ही अमरमणि के अपने आदमी भी रहते हैं, जो किसी भी आने-जाने वाले पर निगाह रखते हैं। वहीं, अमरमणि त्रिपाठी के मामले में जेल प्रशासन से लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन कुछ बोलने को तैयार नहीं होते। सवाल करने पर कहा जाता है कि बिना ऊपर से आदेश के हम कोई जानकारी नहीं दे सकते हैं। हालांकि, अब यह देखना है कि क्या इस रिहाई के साथ उनकी बीमारी भी ठीक होगी या फिर वे अभी भी बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती होकर इलाज कराएंगे?

निधि ने कहा-SC में सुनवाई, तब तक रिहाई पर रोक लगाएं

अमरमणि के रिहाई के आदेश के बाद मधुमिता की बहन निधि शुक्ला का बयान सामने आया है। इसमें वह कह रही हैं, “राज्यपाल के आदेश पर मुझे बहुत हैरानी हुई। क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार और राज्यपाल को 15 दिन से बराबर हम सूचना दे रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में हमारी याचिका स्वीकार हो चुकी है। 25 तारीख को 11 बजे सुनवाई है। मुझे लगता है कि राज्यपाल को भ्रमित कराकर रिहाई का आदेश करवाया गया है। मेरी प्रार्थना है कि हमारी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश जब तक नहीं आता, तब तक रिहाई पर रोक लगा देनी चाहिए।”

अफेयर, फिर हत्या में खत्म हुआ राजनीतिक सफर
कवियत्री मधुमिता शुक्ला की हत्या में नाम आने के बाद अमरमणि त्रिपाठी का राजनीतिक जीवन खत्म हो गया। लखीमपुर की कवयित्री मधुमिता वीर रस की कविताएं पढ़ती थीं। अमरमणि संपर्क में आए तो उनका नाम बड़ा हो गया। मंच से मिली शोहरत और सत्ता से नजदीकी ने उन्हें पावरफुल बना दिया।

अमरमणि त्रिपाठी से उनका रिश्ता प्रेम में बदल गया। दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गए। मधुमिता प्रेग्नेंट हो गई। उन पर गर्भपात करवाने का दबाव बढ़ा पर उन्होंने नहीं करवाया। लखनऊ में निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई 2003 को 7 महीने की गर्भवती कवियत्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्याकांड के वक्त बसपा की सरकार थी और अमरमणि मंत्री थे।

अमरमणि उस वक्त बसपा सरकार में मंत्री थे
इस हत्याकांड से उत्तर प्रदेश में सियासी भूचाल आ गया। मधुमिता के परिवार की तरफ से दाखिल एफआईआर में अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी, भतीजे रोहित मणि त्रिपाठी, संतोष राय और पवन पांडे को आरोपी बनाया गया। प्रदेश में बसपा सरकार थी और अमरमणि त्रिपाठी मंत्री थे। CBCID ने 20 दिन की जांच के बाद मामला CBI को सौंपा। गवाहों से पूछताछ हुई तो दो गवाहों ने बयान बदले थे।

सजा दिलाने सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी मधुमिता की बहन
अमरमणि को सजा दिलाने मधुमिता की बहन सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। उन्होंने याचिका दायर करते हुए केस को लखनऊ से दिल्ली या तमिलनाडु ट्रांसफर करने की अपील की। कोर्ट ने 2005 में कैसे उत्तराखंड ट्रांसफर कर दिया। 24 अक्टूबर 2007 को देहरादून सेशन कोर्ट ने पांचों लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई। अमरमणि त्रिपाठी नैनीताल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन सजा बरकरार रही।

साभार : दैनिक जागरण

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