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भाजपा को लगातार मिल रही जीत ने सारे मिथक दूर कर दिए हैं : नरेंद्र मोदी

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नई दिल्ली. देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस बार दक्षिण भारत पर पूरा फोकस कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों दक्षिण पर नजर बनाए हुए हैं. हालांकि अब तक की कई कोशिशों के बावजूद कर्नाटक को छोड़कर अन्य दक्षिण राज्यों में मजबूत पैठ नहीं बना सकी है. ऐसे में बीजेपी पर हिंदी पट्टी की पार्टी होने के आरोप लगते रहे हैं. इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि यह गलत आकलन है. एक निजी मीडिया हाउस के साथ इंटरव्यू में पीएम नरेंद्र मोदी ने बीजेपी को हिंदी पट्टी की पार्टी कहे जाने को लेकर कहा, “यह एक गलत आकलन है. बीजेपी के बनने के समय से ही हम इस तरह की गलत बातें सुनते आ रहे हैं कि हम कौन हैं और किसका प्रतिनिधित्व करते हैं.”

‘जीत ने सभी लेबल को गलत साबित किया’

पीएम मोदी ने आगे कहा कि कभी हमारी पार्टी को ब्राह्मण और बनिया की पार्टी करार दे दिया गया, तो कभी हमें हिंदी पट्टी की पार्टी कहा गया. कभी हमें ऐसी पार्टी भी कहा गया, जिसका समर्थन सिर्फ शहरों में ही है. लेकिन हमारी पार्टी की एक के बाद एक चुनावों में मिली जीत ने इस तरह से सभी लेबल को गलत साबित कर दिया. बीजेपी को हिंदी पट्टी की पार्टी की बात को नकारते हुए पीएम मोदी ने कहा, “आज के समय देश का कोई ऐसा कोना नहीं बचा है जहां हमारी पार्टी के पक्ष में समर्थन नहीं मिल रहा है. दक्षिणी राज्य केरल के स्थानीय निकायों से लेकर कई राज्यों में प्रमुख विपक्षी दल होने तक बीजेपी लोगों के बीच जाकर जोरदार काम कर रही है.

उन्होंने आगे कहा कि 16 राज्यों में हम शासन कर रहे हैं, जबकि 8 जगहों पर मुख्य विपक्षी दल के रूप में हैं. पश्चिम बंगाल, बिहार, कर्नाटक, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ झारखंड में हम प्रमुख विपक्षी दल हैं. छह महीने पहले तक तो कर्नाटक में हमारी सरकार भी थी. पुड्डुचेरी में भी बीजेपी की सरकार है. पूर्वोत्तर भारत में बीजेपी की पकड़ का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कभी पूर्वोत्तर भारत में हमारी कोई उपस्थिति नहीं हुआ करती थी, लेकिन अब देखिए यहां पर 6 राज्यों में हमारी पार्टी सरकार में है. यहां तक मेघालय और नागालैंड जैसे ईसाई बहुल राज्यों में भी हमारी अच्छी पकड़ है.

J&K शांति और स्थिरता की ओर बढ़ रहाः PM मोदी

जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के खात्मे और विशेष राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के बाद वहां के हालात और शांति स्थापित करने से जुड़े सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि धारा 370 एक अस्थायी प्रावधान था, लेकिन इसे खत्म करने में काफी देरी हो गई. इस देरी से लोगों को खासी दिक्कत भी हुई. 7 दशकों तक यहां के लोगों खासकर महिलाओं और छोटे तथा वंचित समुदायों को उनके अधिकारों से दूर रखा गया. लेकिन अब हालात बदल गए हैं और लोग अपने लिए कुछ भी करने को स्वतंत्र हैं.

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद में आई कमी को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि यहां पर आतंकवाद अब निचले स्तर पर पहुंच गया है. पर्यटन के क्षेत्र में लगातार नई कीर्तिमान बन रहे हैं. यहां पर जी-20 की बैठकों का आयोजन किया गया. उन्होंने आगे कहा कि सरकार की कोशिश है कि यहां के लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाया जाए, रोजगार को बढ़ाया जाए और आर्थिक वृद्धि के जरिए क्षेत्र अब शांति तथा स्थिरता के रास्ते में निरंतर आगे बढ़ रहा है.

युवाओं को रोजगार हमारी प्राथमिकताः PM मोदी

हिंदी पट्टी के 3 राज्यों में नए चेहरों को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, “राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों के रूप में नए चेहरों को चुनना बीजेपी की पसंद हमारा कोई नया ट्रेंड नहीं है, और मैं खुद अपनी पार्टी का इस मामले में सबसे अच्छा उदाहरण रहा हूं.” पीएम मोदी ने कहा, “मैं जब गुजरात का मुख्यमंत्री बना, तो मेरे पास कोई पूर्व प्रशासनिक अनुभव नहीं था और विधानसभा के लिए भी नहीं चुना गया था.” मोदी साल 2001 में केशुभाई पटेल की जगह गुजरात के मुख्यमंत्री बने और 4 महीने बाद वह राज्य विधानसभा के लिए चुन लिए गए.

इस महीने की शुरुआत में 3 राज्यों में बीजेपी को शानदार जीत मिली थी. लेकिन जीत के बाद बीजेपी ने पुराने दिग्गजों को पीछे करते हुए नए चेहरों को तीनों प्रदेशों की कमान सौंप दी. बीजेपी ने राजस्थान के लिए भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया तो मध्य प्रदेश में मोहन यादव और छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय को सीएम बनाकर सभी को चौंका दिया. विपक्ष की ओर से देश में नौकरियों की कमी के आरोप पर पीएम मोदी ने इंटरव्यू में कहा कि युवाओं को रोजगार मुहैया कराना हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है. बुनियादी ढांचे में निवेश का विकास और रोजगार पर काफी ज्यादा असर पड़ता है. इसलिए, हमने पूंजी निवेश में लगातार बढ़ोतरी की है. उन्होंने कहा कि 2013-14 में 1.9 लाख करोड़ रुपये की तुलना में हमने 2023-24 के बजट में इसे कई गुना बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया है. मेरा मानना है कि यह बताया जाना चाहिए कि यह व्यय कैसे उत्पादक है और आम आदमी के लिए इतने सारे अवसर पैदा करता है.

साभार : टीवी9 भारतवर्ष

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