रांची. झारखंड में नए मुख्यमंत्री की ताजपोशी हो गई है. चंपई सोरेन ने शुक्रवार को राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इस दौरान कांग्रेस कोटे से आलमगीर आलम और राजद कोटे से सत्यानंद भोक्ता ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली है. राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने सभी को पद और गोपनीयता पद की शपथ दिलाई है. राज्यपाल ने नई सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 10 दिन का वक्त दिया है. वहीं सत्तारुढ़ गठबंधन दल के विधायकों को चार्टर प्लेन से हैदराबाद भेजा गया है. ये सभी विधायक अब फ्लोर टेस्ट के दिन वापस आएंगे. वहीं ईडी की गिरफ्तारी के खिलाफ हेमंत सोरेन द्वारा दायर की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और हाईकोर्ट जाने को कहा. इसके अलावा रांची के पीएमएलए कोर्ट ने हेमंत सोरेन को 5 दिन के रिमांड पर भेज दिया.
राज्यपाल ने चंपई को सरकार बनाने का न्योता दिया है. साथ ही बहुमत साबित करने के लिए 10 दिन का समय भी दिया है. बता दें कि राज्यपाल के न्योता से पहले भी चंपई सोरेन ने उनसे मुलाकात की थी और सरकार बनाने का दावा पेश किया था. चंपई सोरेन ने दावा किया है कि उनके साथ 47 विधायकों का समर्थन है. कथित लैंड स्कैम केस से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सोरेन की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया और हाईकोर्ट जाने को कहा. हेमंत ने ईडी की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका दायर की थी. मनी लॉन्ड्रिंग यानी धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए गए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गुरुवार को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
दरअसल, याचिका पर सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन के वकील से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप पहले हाईकोर्ट क्यों नहीं गए, सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आ गए? न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने जेल में बंद झामुमो नेता हेमंत सोरेने की याचिका पर शुक्रवार सुबह 10.30 बजे सुनवाई की.
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई गिरफ्तारी के खिलाफ झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका प सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तीन न्यायाधीशों की एक विशेष पीठ का गठन किया था. विशेष पीठ का गठन प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ द्वारा किया गया है. उन्होंने दिन में इस बाबत उस वक्त टिप्पणी की थी, जब वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी ने सोरेन की याचिका की सुनवाई के लिए मामले का विशेष उल्लेख किया था.
साभार : न्यूज़18
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं