मुंबई. महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री हर्षवर्धन पाटिल ने सोमवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार (राकांपा-एसपी) का दामन थाम लिया। उन्होंने कुछ दिन पहले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) छोड़ी थी। हर्षवर्धन को पार्टी प्रमुख शरद पवार की मौजूदगी में राकांपा (एसपी) में शामिल कराया गया। इस दौरान हर्षवर्धन ने कहा कि उनके समर्थक चाहते हैं कि वह महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनाव में इंदापुर सीट (पुणे जिले में) से लड़ें, जहां से वह पहले प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इंदापुर बारामती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है और लोकतंत्र में राजनीतिक दल से अधिक लोग महत्वपूर्ण हैं। पाटिल वर्तमान में राष्ट्रीय सहकारी चीनी मिल संघ के अध्यक्ष हैं।
इससे पहले महाराष्ट्र भाजपा नेता हर्षवर्धन पाटिल ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि वह अपने समर्थकों के साथ एनसीपी (सपा) में शामिल होंगे। इससे एक दिन पहले उन्होंने मुंबई में पार्टी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी। मुलाकात गुरुवार को पवार से दक्षिण मुंबई में उनके सिल्वर ओक्स आवास पर मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने दावा किया कि शरद पवार ने उनसे उनकी पार्टी में शामिल होने और विधानसभा चुनाव लड़ने का आग्रह किया है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव अगले महीने होने की संभावना है।
इंदापुर से चुनाव लड़ना चाहते हैं हर्षवर्धन
इंदापुर सीट से चार बार विधायक चुने जा चुके हर्षवर्धन पाटिल फिर से इंदापुर से चुनाव लड़ना चाहते हैं। फिलहाल इस सीट का प्रतिनिधित्व भाजपा के गठबंधन सहयोगी एनसीपी के पास है। पार्टी स बार फिर से मौजूदा विधायक दत्तात्रेय भरणे को मैदान में उतार सकती है।
फडणवीस के आश्वासन के बाद भी नहीं माने
हर्षवर्धन ने शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि मैंने अपने राजनीतिक रुख को लेकर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की। हमने ढाई घंटे से अधिक समय तक विस्तृत चर्चा की। चूंकि, इंदापुर सीट महायुति के मौजूदा विधायक के पास जा रही है, इसलिए उन्होंने मुझे दूसरे विकल्प का आश्वासन दिया। हालांकि, यह विकल्प मेरे लिए संभव होता, लेकिन यह मेरे समर्थकों और मेरे निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को स्वीकार्य नहीं होगा। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने समर्थकों के साथ बैठक की और उनके साथ एनसीपी (सपा) में शामिल होने का फैसला किया।
राजनीतिक करियर
हर्षवर्धन पाटिल 1995-99 के दौरान शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार में कृषि और विपणन राज्य मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। उन्होंने 1995 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी। वे 1999 से 2014 तक कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार के दौरान मंत्री थे। वे 2009 में कांग्रेस में शामिल हुए और सहकारिता और संसदीय मामलों के मंत्री बने थे।
साभार : अमर उजाला
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