चेन्नई. सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी 26 सितंबर को तमिलनाडु के पूर्व मंत्री वी सेंथिल बालाजी को 2014 के कथित ‘नकदी के बदले नौकरी’ घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दे दी. जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राहत देते हुए कठोर शर्तें रखी है.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रख लिया था सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सेंथिल बालाजी की ओर से पेश सीनियर अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
हाईकोर्ट ने जमानत देने से किया था इनकार
हाईकोर्ट ने सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि अगर उन्हें इस तरह के मामले में जमानत पर रिहा किया जाता है तो इससे गलत संकेत जाएगा और यह व्यापक जनहित के खिलाफ होगा. हाईकोर्ट ने कहा था कि चूंकि याचिकाकर्ता आठ महीने से ज्यादा समय से हिरासत में है, इसलिए विशेष अदालत को मामले को समय सीमा के भीतर निपटाने का निर्देश देना उचित होगा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चेन्नई हाईकोर्ट को निर्देश दिया जाएगा कि वह इस आदेश की कॉपी प्राप्त होने की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर मामले का निपटारा करे.” हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक, दिन-प्रतिदिन के आधार पर मुकदमा चलाया जाएगा.
पिछले साल सेंथिल बालाजी को किया गया था गिरफ्तार
सेंथिल बालाजी की पिछले साल गिरफ्तारी सेंथिल बालाजी को पिछले साल 14 जून को ईडी ने कथित नकदी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था. ईडी ने पिछले साल 12 अगस्त को बालाजी के खिलाफ 3,000 पन्नों का आरोप पत्र दायर किया था. स्थानीय अदालत भी तीन बार उनकी जमानत याचिका खारिज कर चुकी है.
साभार : जी न्यूज़
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