बेंगलुरु. मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लोकायुक्त की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए सिद्धारमैया के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किया है। पिछले हफ्ते बंगलूरू की एक विशेष अदालत ने इस मामले में सिद्धारमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस को जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
सिद्धारमैया ने पिछले हफ्ते कहा था कि उन्हें मुडा मामले में विपक्ष की ओर से निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि वे उनसे डरे हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि यह उनके खिलाफ राजनीतिक मामला है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि वह जांच के आदेश के बाद भी इस्तीफा नहीं देंगे, क्योंकि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है और वह इस मामले को कानूनी तरीके से लड़ेंगे।
कांग्रेस ने ईडी की ओर से सिद्धारमैया पर धनशोधन का मुकदमा दर्ज होने के बाद प्रतिक्रिया दी। पार्टी ने आरोपी लगाया कि यह जांच एजेंसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सियासी प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ धमकी और बदला लेने का उपकरण बन गई है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा, यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि ईडी अब प्रधानमंत्री द्वारा उनके राजनीतिक विरोधियो के खिलाफ प्रतिशोध का हथियार बन गई है। कर्नाटक की जनता ने मई 2023 में उन्हें नकार दिया था और वह उस अपमान भूल नहीं पाए हैं। कांग्रेस का मानना है कि प्रधानमंत्री और उनकी ईडी जल्द ही पूरी तरह से बेनकाब होंगे। हमें डरने की कोई जरूरत नहीं है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री को न्याय मिलेगा।
कथित मुडा भूमि घोटाला क्या है?
मुडा शहरी विकास के दौरान अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना लेकर आई थी। 50:50 नाम की इस योजना में जमीन खोने वाले लोग विकसित भूमि के 50% के हकदार होते थे। यह योजना 2009 में पहली बार लागू की गई थी। जिसे 2020 में उस वक्त की भाजपा सरकार ने बंद कर दिया। सरकार द्वारा योजना को बंद करने के बाद भी मुडा ने 50:50 योजना के तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा। सारा विवाद इसी से जुड़ा है। आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को इसी के तहत लाभ पहुंचाया गया।
मुख्यमंत्री की पत्नी का 50:50 योजना से क्या संबंध?
आरोप है कि मुख्यमंत्री की पत्नी की 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि मुडा द्वारा अधिग्रहित की गई। इसके बदले में एक महंगे इलाके में 14 साइटें आवंटित की गईं। मैसूर के बाहरी इलाके में यह जमीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2010 में उपहार स्वरूप दी थी। आरोप है कि मुडा ने इस जमीन का अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर तृतीय चरण की योजना विकसित कर दी। मुआवजे के लिए मुख्यमंत्री की पार्वती ने आवेदन किया जिसके आधार पर, मुडा ने विजयनगर III और IV फेज में 14 साइटें आवंटित कीं। यह आवंटन राज्य सरकार की 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,284 वर्ग फीट का था। जिन 14 साइटों का आवंटन मुख्यमंत्री की पत्नी के नाम पर हुआ उसी में घोटाले के आरोप लग रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि पार्वती को मुडा द्वारा इन साइटों के आवंटन में अनियमितता बरती गई है।
विपक्ष अनियमितता के क्या आरोप लगा रहा है?
आरोप है कि विजयनगर में जो साइटें आवंटित की गई हैं उनका बाजार मूल्य केसारे में मूल भूमि से काफी अधिक है। विपक्ष ने अब मुआवजे की निष्पक्षता और वैधता पर भी सवाल उठाए हैं। हालांकि, यह भी दिलचस्प है कि 2021 में भाजपा शासन के दौरान ही विजयनगर में सीएम की पत्नी पार्वती को नई साइट आवंटित की गई थी।
साभार : अमर उजाला
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