बेंगलुरु. जद (एस) के निलंबित सांसद प्रज्वल रेवन्ना को कोर्ट ने छह जून तक पुलिस हिरासत का आदेश दिया है. यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी प्रज्वल रेवन्ना गुरुवार की रात को जर्मनी से बेंगलुरु लौटे थे. इस मामले की जांच कर रही एसआईटी ने उन्हें रात को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार किए जाने के बाद शुक्रवार को उसे कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने छह जून तक पुलिस हिरासत का आदेश दिया है.
बता दें कि एक महीने पहले कर्नाटक के हासन में उनके कथित कृत्यों के वीडियो सामने आने के बाद वो देश छोड़कर चले गए थे. आरोपों की जांच कर रही एसआईटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की एक टीम ने प्रज्वल रेवन्ना का बेंगलुरु पहुंचने पर हिरासत में ले लिया था. शुक्रवार को मेडिकल जांच के बाद प्रज्वल रेवन्ना को बेंगलुरु की 42वीं एसीएमएम अदालत में पेश किया गया और हिरासत में लेने का अनुरोध किया गया. अदालत ने एसआईटी की याचिका स्वीकार कर ली और प्रज्वल रेवन्ना को छह जून तक तक के लिए एसआईटी की हिरासत में भेजने का आदेश दिया. एसपीपी अशोक नाइक ने एसआईटी की ओर से बहस की, जबकि अरुण नाइक ने प्रज्वल की ओर से दलील दी.
एसआईटी ने रेवन्ना को बताया विकृत व्यक्ति
एसआईटी की ओर से एसपीपी अशोक नाइक ने दलील दी कि सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर रेप का आरोप है. लोकसभा चुनाव से पहले उनका अश्लील वीडियो वायरल हुआ था. मामले में सौ से अधिक पीड़ित हैं. कुछ महीने पहले इसे मीडिया में प्रसारित करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. उसने जज के सामने तर्क दिया कि वह एक विकृत व्यक्ति है और उसने अपने अश्लील दृश्य का वीडियो टेप कर लिया.
जज के सवाल का जवाब देते हुए एसपीपी अशोक नाइक ने कहा कि वह वीडियो वायरल होने के बाद देश छोड़ दिया. उसे गिरफ्तार कर जांच की जाए तो सच्चाई पता चल जाएगी. मामले में कई पीड़ित हैं और उनका सामने आना अभी बाकी है. विदेश जाने का स्वभाव बहुतों का होता है. उससे भी पूछताछ के लिए उसकी गिरफ्तारी जरूरी है. वीडियो वायरल होने के बाद कई महिलाएं मुसीबत में हैं. महिलाओं के पति उन्हें शक की नजरों से देख रहे हैं.
एसपीपी अशोक नाइक ने कहा कि उन्होंने अपना सेक्स सीन खुद शूट किया. इसलिए उसे जांच करनी होगी. उसका मोबाइल फोन कब्जे में लिया जाए और उसमें मौजूद वीडियो हासिल किया जाए. ड्राइवर के पास से सिर्फ मोबाइल बरामद हुआ. उसके मोबाइल में लॉक सिस्टम है. इन सबकी जांच होनी चाहिए. दुर्व्यवहार के ऐसे मामले भी हैं जिनकी वीडियोग्राफी नहीं की जाती. अशोक नाइक ने अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि इनकी भी जांच होनी चाहिए.
प्रज्वल के वकील ने एसआईटी की अपील खारिज की
अधिवक्ता अरुण नाइक ने प्रज्वल रेवन्ना की ओर से दलील दी. उन्होंने कहा कि पीड़िता ने पहले बलात्कार की शिकायत नहीं की थी. मामले में पीड़ित की कोई भी उपस्थिति दर्ज नहीं की गई थी. शिकायत चार साल पुराना मामला है. सीआरपीसी 161 के बयान के बाद दुष्कर्म का अभियोग दर्ज किया गया. अभियोजकों ने इस मामले में निष्पक्षता से काम नहीं किया है. उन्होंने दलील दी कि जमानती मामले को गैर जमानती बना दिया गया है.
उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न के मामले को बलात्कार के मामले में बदल दिया गया. नियम है कि वीडियो रिकॉर्ड किया जाना चाहिए. लेकिन तैयार शिकायत स्वीकार कर ली गई है.. शिकायतकर्ता के बयान का कोई वीडियो नहीं बनाया गया. वे वीडियो में दिख रहे शख्स के चेहरे के आधार पर जांच कर रहे हैं. इसमें इतनी लंबी हिरासत की जरूरत नहीं होती. वकील अरुण ने अन्य मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि इस मामले में हिरासत नहीं मिल सकती. मुझे नहीं पता कि 15 दिन की पुलिस हिरासत की जरूरत क्यों है? प्रज्वल जांच में सहयोग करने को तैयार है.
साभार : टीवी9 भारतवर्ष
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