लेह. शहर में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। प्रशासन की ओर से बुधवार को कर्फ्यू में कुल आठ घंटे ढील दी गई थी। सुबह दस बजे से लेकर शाम छह बजे तक बाजार खुले। सड़कों और दुकानों पर चहल-पहल रही। स्कूल-कॉलेज बंद रहे। इंटरनेट सेवा भी फिलहाल कल तक के लिए बंद की गई है। उधर, लद्दाखी छात्रों के देश के अलग-अलग राज्यों में बने संगठनों ने गृह मंत्रालय को ज्ञापन भेजकर लेह हिंसा की न्यायिक जांच की मांग उठाई और मारे गए प्रदर्शनकारियों के परिवारों को उचित मुआवजे की मांग की।
इन संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि लेह हिंसा की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की देखरेख में होनी चाहिए। उन्होंने हिंसा में मारे गए लोगों के आश्रितों के लिए सम्मानजनक सरकारी रोजगार, उचित मुआवजे और घायलों के लिए पूर्ण चिकित्सा कवरेज की भी मांग उठाई। लद्दाख में विश्वास और सामान्य स्थिति बहाली के लिए प्रतिबंध हटाए जाने के साथ ही प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए लद्दाखी युवाओं को रिहा करने की मांग की। इन युवाओं का कहना था कि पर्यावरणविद् डॉ. सोनम वांगचुक की नजरबंदी उनके दुख और तनाव को बढ़ा रही है।
उनकी भी तत्काल रिहाई की जाएगी। उन्होंने कुछ लोगों के लद्दाखियों को टूलकिट का हिस्सा बताए जाने का भी पुरजोर विरोध किया। कहा कि यह लद्दाखियों की देशभक्ति का अपमान है। उन्होंने इसे मानहानि बताते हुए ऐसा करने वाले लोगों से माफी की मांग की।
गीतांजलि अंगमो ने राष्ट्रपति से की वांगचुक की रिहाई की मांग, कहा- वह किसी के लिए खतरा नहीं हो सकते
सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंगमो ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित पत्र में अपने पति को रिहा करने की अपील की है। वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वह जोधपुर जेल में बंद हैं। अंगमो ने आरोप लगाया कि जलवायु कार्यकर्ता के मनोबल को गिराने के लिए पिछले महीने से ही बड़े पैमाने पर कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि सोनम वांगचुक कभी भी किसी के लिए खतरा नहीं हो सकते, अपने राष्ट्र के लिए तो बिल्कुल नहीं। अंगमो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लेह जिला कलेक्टर को यह पत्र भेजा है। इस पत्र को उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा किया।
चार साल से रची जा रही साजिश
वांगचुक की पत्नी ने पिछले चार साल से और खास तौर पर बीते एक माह से उनके पति के खिलाफ साजिश रचे जाने का आरोप जड़ा। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या जलवायु परिवर्तन, पिघलते ग्लेशियरों, शैक्षिक सुधारों और जमीनी स्तर पर इनोवेशन के बारे में बोलना अपराध है? पिछले चार साल से गांधीवादी तरीके से पारिस्थितिक रूप से नाजुक, पिछड़े आदिवासी क्षेत्र के उत्थान के लिए आवाज उठाना क्या अपराध है? कम से कम ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा तो नहीं ही है।
साभार : अमर उजाला
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