नई दिल्ली. वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल किया है. केंद्र ने एकतरफा आदेश की आशंका से बचने के लिए कैविएट दाखिल किया. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से वक्फ कानून को लेकर दाखिल याचिकाओं पर उसका पक्ष सुने बिना आदेश न देने की मांग की है. अब तक इस मामले में 15 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं, जिन पर 15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है. बजट सत्र में सरकार ने वक्फ संशोधन बिल पेश किया था, जिसे दोनों सदनों में पारित कर दिया गया. संसद में पास होने के बाद बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजा गया और 5 अप्रैल को राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दे दी. इसके साथ ही यह कानून बन गया. हालांकि, कानून का विरोध अभी भी थमा नहीं है. जब से कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया गया, तब से लगातार कुछ लोग और संगठन इसका विरोध कर रहे हैं.
याचिकाकर्ताओं ने वक्फ कानून को संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (समानता), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) 26 (धार्मिक मामलों की व्यवस्था) और 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) जैसे मौलिक अधिकारों के विरुद्ध बताया है. याचिकाकर्ताओं ने कानून में बदलाव को अनुच्छेद 300A यानी संपत्ति के अधिकार के भी खिलाफ बताया है. 7 अप्रैल को याचिकाकर्ताओं की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और निजाम पाशा ने सुप्रीम कोर्ट से जल्दी सुनवाई की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई का आश्वासन दिया था. हालांकि, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने एडवोकेट कपिल सिब्बल से कहा था कि उन्हें अर्जेंट हियरिंग के लिए कोर्ट आने की जरूरत नहीं थी, उसके लिए अलग प्रक्रिया की व्यवस्था बनी हुई है. उन्होंने कहा था कि लिस्टिंग और तत्काल सुनवाई के लिए अलग से प्रक्रिया बनी है, जिसका पालन होना चाहिए.
कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि बिना किसी दबाव के उन्होंने सिर्फ तत्काल हियरिंग का उल्लेख किया था. इसके बाद सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा था कि मामले को जल्दी ही लिस्ट करेंगे. सप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर वक्फ कानून को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई की अनुमानित तारीख 15 अप्रैल लिखी है. हालांकि, कौन सी बेंच मामले को सुनेगी, इसे लेकर कोई जानकारी नहीं है.
ये हैं याचिकाकर्ता-
कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AMIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी, AAP विधायक अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, समस्त केरल जमीयतुल उलमा, मौलाना अरशद मदनी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, अंजुम कादरी, तैय्यब खान, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), कांग्रेस सांसद इमरान प्रतपगढ़ी, आरजेडी सांसद मनोज झा और जेडीयू नेता परवेज़ सिद्दीकी.
साभार : एबीपी न्यूज
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