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नरेन्द्र मोदी सरकार जन-आधारित और पारदर्शी शासन की प्रतीक है : जेपी नड्डा

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नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प से सिद्धि की गौरवशाली 11 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज केंद्रीय कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित किया। नड्डा ने कहा कि 2014 से पहले देश में भ्रष्टाचार से ग्रस्त सरकार थी, लेकिन पिछले 11 वर्षों में  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण के ऐसे कार्य किए हैं, जिन्हें स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की सुरक्षा सुदृढ़ होने के साथ ही “विकसित भारत” की संकल्पना सशक्त कदम से सिद्धि की ओर तेजी बढ़ रहा है। इस अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह, सुनील बंसल, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी और राष्ट्रीय मीडिया सह-प्रमुख डॉ. संजय मयूख उपस्थित रहे।

नड्डा ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा नीत वाली एनडीए सरकार 11 साल पूरे की है। 10–11 साल की अवधि को एक मात्र प्रेस कॉन्फ़्रेंस के माध्यम से जनता के समक्ष रख पाना एक बहुत ही कठिन कार्य है। विकसित भारत के अमृत काल के लिए  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 11 वर्षों से सेवा, सुशासन और गरीबों के कल्याण के लिए जो काम किया गया है, वह स्वर्ण अक्षरों में लिखे जाने योग्य है। क्योंकि जो कार्य किए गए हैं वह अकल्पनीय और अद्वितीय हैं। आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की राजनीतिक संस्कृति को बदलकर नया रूप दिया है। 11 साल पहले देश तुष्टिकरण की राजनीति में डूबा हुआ था। कुर्सी को सुरक्षित रखने के लिए तुष्टिकरण के साथ समाज को विभाजित करना ही राजनीतिक संस्कृति का प्रमुख हिस्सा बन गया था।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की राजनीतिक संस्कृति में बदलाव आया है, अब पॉलिटिक्स ऑफ परफ़ोर्मेंस, जवाबदेह और जिम्मेदार सरकार वाली राजनीतिक संस्कृति आई। रिपोर्ट कार्ड की राजनीति संस्कृति शुरू हुई, यानी ऐसी सरकार जो अपने कार्यों का लेखा-जोखा जनता के सामने प्रस्तुत करती है।

 राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में, आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत की राजनीतिक संस्कृति को बदलकर एक न्यू नॉर्मल, न्यू ऑर्डर स्थापित किया है। भाजपा की यह सरकार एक प्रभावशाली, असरदार सरकार है। यह सरकार मजबूत और निर्णायक है। पिछले 11 वर्षों में जो आर्थिक अनुशासन स्थापित किया गया और साहसिक निर्णय लिए गए, वे सभी जनता को साथ लेकर लिए गए। इन सभी विशेषताओं को समझना आवश्यक है। केंद्र में  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार एक जिम्मेदार, जनउत्तरदायी और जनता समर्थित सरकार है, अर्थात् जनता को साथ लेकर चलने वाली सरकार। जनभागीदारी को भी हमने बखूबी देखा है। हम सभी जानते हैं कि यह सरकार पिछले 11 वर्षों में पारदर्शिता की एक नई मिसाल बन चुकी है। यह एक पारदर्शी और भविष्यदृष्टि वाली, यानी भविष्यवादी सरकार है।

नड्डा ने कहा कि यह सरकार भविष्य को ध्यान में रखकर, देश को आगे की दिशा में ले जाने की सोच के साथ कार्य कर रही है। इसलिए आज हम विकसित भारत की बात करते हैं। इस अमृत काल और बीते 10–11 वर्षों ने विकसित भारत की नींव रखी है। इस नींव को मजबूत करने के लिए जो भी आवश्यक निर्णय थे, वे सभी लिए गए हैं। आज के समय में 2014 से पहले की ओर लौटने की जरूरत नहीं है, लेकिन यह याद रखना चाहिए कि 2014 से पूर्व की सरकार भ्रष्टाचार और घोटालों में डूबी हुई थी। उस समय नकारात्मकता का माहौल था, जिसमें “कुछ नहीं बदलने वाला” की सोच व्याप्त थी। लेकिन 2014 में आदरणीय नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आशावाद ने जगह बनाई। आज भारत का आम नागरिक कहता है कि “मोदी हैं तो मुमकिन है।”  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति यह धारणा बन चुकी है कि वे समस्याओं का समाधान करेंगे। यह आम नागरिक की सोच बन गई है। इसलिए हम कह सकते हैं कि आशावाद के साथ विकास, आविष्कार और नवाचार ये तीनों बातें जुड़ चुकी हैं। आज हम विकास कर रहे हैं, श्रेष्ठ कार्यपद्धतियाँ अपना रहे हैं और नवाचार भी कर रहे हैं, इस प्रकार विकास के कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं। आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों में, “विकसित भारत का आधार यही दशक बनेगा।” इसी कार्य के अंतर्गत उनके नेतृत्व में दी गई नीतियाँ – प्रदर्शन, परिवर्तन और सुधार, ये तीन बातें हर नीति में स्पष्ट दिखाई देती हैं। हर नीति में कुछ नया नजर आता है। पुरानी नीतियों में जो बदलाव हुए हैं, वे सुधार की आवश्यकता और परिवर्तन की मांग के कारण किए गए हैं और उनके लिए ठोस कार्य भी किए गए हैं। यह मूलभूत सिद्धांत पिछले 11 वर्षों में अपनाया गया है, जो  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच पर आधारित है – “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास।” अनेक चुनौतियाँ आईं, लेकिन इसके बावजूद हमारा मुख्य सिद्धांत हमेशा स्पष्ट और मजबूत रहा है।

 राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि अगर साहसिक निर्णयों की बात करें, तो 11 वर्षों में लिए गए सभी निर्णायक कदमों को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताना बेहद कठिन है। फिर भी कुछ फैसले ऐसे हैं, जिन्होंने भारतीय राजनीति में ऐतिहासिक मोड़ लाए हैं। अनुच्छेद 370 का हटाया जाना एक ऐसा राजनीतिक नैरेटिव था, जिसे देश मान चुका था कि यह संभव नहीं है। “यह नहीं हो सकता” की धारणा आम हो चुकी थी। लेकिन आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यह धारणा टूट गई, अनुच्छेद 370 समाप्त हुआ और आज हम इसके परिणाम देख रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव में 58.46 प्रतिशत और विधानसभा चुनाव में 63 प्रतिशत तक टर्नआउट पहुंचना स्पष्ट करता है कि ये परिवर्तन एक साहसी निर्णय का असर हैं। इसी तरह तीन तलाक की प्रथा, जो मानवता के लिए एक त्रासदी थी, पर वर्षों तक चुप्पी छाई रही। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी बात कही, लेकिन कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया गया। मोदी सरकार ने तीन तलाक को समाप्त कर यह साबित किया कि वह महिलाओं के सम्मान और अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध है। यह निर्णय और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब हम देखते हैं कि बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सीरिया, ईरान, इराक और मलेशिया जैसे इस्लामिक देशों में तीन तलाक जैसी व्यवस्था पहले ही खत्म हो चुकी थी, जबकि भारत में यह जारी था। इसे खत्म कर भारत ने मानवता की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया। वक्फ अधिनियम में सुधार की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। देश हित और समुदाय हित के लिए नया वक्फ अधिनियम लाया गया, जो देश की समरसता और पारदर्शिता की दिशा में एक ठोस प्रयास था। नागरिकता संशोधन अधिनियम, नोटबंदी, महिला आरक्षण, ये सभी ऐसे निर्णय हैं जिन पर वर्षों से चर्चा होती रही, लेकिन निर्णायक कदम नहीं उठाए गए। तीन दशकों से लंबित महिला आरक्षण को 33 प्रतिशत तक सुनिश्चित करना मोदी सरकार के साहसिक और निर्णायक नेतृत्व का उदाहरण है।

नड्डा ने कहा कि आर्थिक अनुशासन लाने के लिए मोदी सरकार ने योजनाबद्ध ढंग से फैसले लिए। बजट की प्रस्तुति को एडवांस किया गया, योजना और गैर-योजना व्यय के बीच के भेद को समाप्त किया गया और रेल बजट को मुख्य बजट में समाहित कर समेकित आर्थिक दृष्टिकोण अपनाया गया। इस आर्थिक दूरदर्शिता का परिणाम यह है कि आज भारत दुनिया की टॉप 5 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो चुका है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार भारत अब चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। यह लगातार चौथा वर्ष है जब भारत सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था रहा है। प्रति व्यक्ति आय में 67 प्रतिशत, विदेशी मुद्रा भंडार में 135 प्रतिशत, निर्यात में 825 अरब अमेरिकी डॉलर का रिकॉर्ड स्तर, एफडीआई में 106 प्रतिशत, टैक्सपेयर्स की संख्या में 127 प्रतिशत और डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में 238 प्रतिशत की वृद्धि यह दर्शाती है कि सरकार ने न केवल फैसले लिए, बल्कि उन फैसलों को ज़मीन पर उतारकर परिवर्तन भी लाया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष भारत को ‘ब्राइट स्पॉट’ कहता है, वर्ल्ड बैंक भारत को दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था कहता है और वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम यह तक कह चुका है कि भारत 2025 और 2026 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने जा रहा है। यह तब संभव हुआ है जब वैश्विक परिस्थितियां विपरीत थीं। भारत की अर्थव्यवस्था ने न केवल खुद को स्थिर बनाए रखा, बल्कि हर चुनौती का डटकर सामना किया।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि जब हम एक उत्तरदायी सरकार की बात करते हैं, तो यह समझना आवश्यक है कि यह सरकार केवल प्रतिक्रियात्मक नहीं रही, बल्कि हर परिस्थिति में सक्रिय रूप से कार्यरत रही है। ऑपरेशन गंगा के तहत यूक्रेन से न केवल भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस लाया गया, बल्कि अन्य देशों के नागरिकों को भी भारत के झंडे तले सुरक्षित निकासी मिली। कोविड काल में वंदे भारत मिशन के माध्यम से 67 लाख से अधिक लोगों को स्वदेश लाया गया। ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत अफगानिस्तान से नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया। यमन में चलाए गए ऑपरेशन राहत के अंतर्गत न सिर्फ 5 हजार भारतीय नागरिकों, बल्कि 1 हजार से अधिक अन्य देशों के नागरिकों को भी सुरक्षित बाहर लाया गया। नेपाल में आए भूकंप के दौरान भारत की राहत टीम सबसे पहले काठमांडू पहुंची और राहत कार्य प्रारंभ किया। वैक्सीन मैत्री के तहत भारत ने 150 से अधिक देशों को वैक्सीन प्रदान की, जिनमें से कम से कम 48 देशों को यह निःशुल्क दी कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी के दौरान भारत ने जिस तरह प्रतिक्रिया दी, वैसा उदाहरण दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिला। यह इस शताब्दी की सबसे बड़ी महामारी थी, जिसमें भारत ने वैज्ञानिक, प्रशासनिक और मानवीय दृष्टि से अद्वितीय नेतृत्व का परिचय दिया। आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यह लड़ाई सिर्फ सरकार तक सीमित नहीं रही, बल्कि जन-जन की लड़ाई बन गई। यही एक जिम्मेदार और जवाबदेह सरकार की पहचान है, जो निर्णय लेती है, उन्हें ज़मीन पर उतारती है और परिणाम लाकर दिखाती है।

नड्डा ने कहा कि भारत में  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड की लड़ाई जनता के साथ मिलकर लड़ी। उन्होंने यह तय किया कि इस संघर्ष में जनता को साथ लेकर चलना है, और इसी सोच से जनता कर्फ्यू जैसा अभिनव विचार सामने आया। जहां अन्य देशों में लॉकडाउन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए और वैक्सीनेशन का विरोध देखा गया, वहीं भारत अकेला ऐसा देश रहा जिसने 220 करोड़ से अधिक डोज़, वह भी डबल डोज़, पूरी तरह निःशुल्क लगाकर विश्व का सबसे बड़ा और सबसे तेज़ वैक्सीनेशन कार्यक्रम सफलतापूर्वक संचालित किया। यही एक उत्तरदायी और जवाबदेह सरकार की पहचान है, और कोविड के संदर्भ में यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है। पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार ने समाज के सभी वर्गों की चिंता की है, चाहे वे अनुसूचित जाति के भाई-बहन हों, अन्य पिछड़ा वर्ग हो या हमारे आदिवासी समुदाय के लोग। इनके लिए विशेष नीतियाँ, योजनाएँ और छात्रवृत्तियाँ प्रारंभ की गईं, जो पूरी तरह एससी, एसटी और ओबीसी समाज को समर्पित हैं। महिलाओं के लिए विशेष ध्यान देते हुए ‘वीमेन लेड गवर्नमेंट’ की भावना को केंद्र में रखा गया और महिलाओं को आगे लाने के लिए ठोस प्रयास किए गए। स्वास्थ्य क्षेत्र में गर्भधारण से लेकर प्रसव तक और उसके बाद टीकाकरण तक सभी चरणों में भारत सरकार की योजनाएं सक्रिय रही हैं। मैटरनिटी लीव को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करना, वह भी वेतन सहित, एक बड़ा और संवेदनशील कदम रहा। इसी प्रकार प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अंतर्गत आर्थिक सहायता प्रदान कर महिलाओं को सशक्त किया गया। जब चंद्रयान की तस्वीरें सामने आईं, तो उसमें सबसे अधिक महिला वैज्ञानिक दिखाई दीं। आज महिलाएं पायलट से लेकर सेना में स्थायी कमीशन प्राप्त कर रही हैं। एनडीए में भी अब लड़कियों की भर्ती हो रही है और वे पास आउट भी हो रही हैं। देश के 73 सैनिक स्कूलों में अब लड़कियों को प्रवेश मिल रहा है। ‘लखपति दीदी’ योजना और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त किया जा रहा है। समाज के वे वर्ग, जिन्हें पहले केवल नजरअंदाज़ किया जाता था, आज उन्हें केंद्र में लाकर भरोसा दिया गया है। एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाएं, इन सभी की मुख्यधारा में भागीदारी सुनिश्चित की गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गरीब कल्याण को केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक क्रियान्वयन का विषय बनाया है। ‘गरीबी हटाओ’ जैसे पुराने नारों से आगे बढ़कर, इस सरकार ने गरीबों के कल्याण को साकार रूप दिया है। आंकड़े स्वयं इस बदलाव के साक्षी है,  25 करोड़ लोग अब तक गरीबी रेखा से ऊपर उठ चुके हैं। यह केवल हमारा दावा नहीं है, बल्कि नीति आयोग और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंचों द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़े हैं। भारत में अत्यधिक गरीबी में 80 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत 80 करोड़ लोगों को प्रति व्यक्ति 5 किलो गेहूं या चावल निःशुल्क उपलब्ध कराया गया, यह कोई साधारण उपलब्धि नहीं है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 4 करोड़ पक्के मकान बनाए जा चुके हैं और अगले 5 वर्षों में 3 करोड़ और मकानों के निर्माण का संकल्प लिया गया है, जिसे स्वीकृति मिल चुकी है। यदि आज आप गांवों की यात्रा करें, तो पहले जहां खपरैल और फूस के घर दिखाई देते थे, वहां अब पक्के मकान खड़े हैं। सड़क नेटवर्क के क्षेत्र में पहले जो सड़कें अधूरी और टूटी-फूटी रहती थीं, वे अब हाईवे में बदल चुकी हैं। इनकी गति और गुणवत्ता इतनी उन्नत हो चुकी है कि डायवर्जन लेने के लिए अब दो किलोमीटर पहले से ही सतर्क रहना पड़ता है। यह आज के आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का परिचायक है। उज्ज्वला योजना, 100% विद्युतीकरण और जल जीवन मिशन के अंतर्गत अब तक 364% की वृद्धि के साथ घरों में नल से जल कनेक्शन दिए जा चुके हैं। इन सभी योजनाओं और उनके प्रभावी निष्पादन से यह स्पष्ट होता है कि मोदी सरकार न केवल जवाबदेह और संवेदनशील है, बल्कि परिणाम देने वाली एक सक्रिय सरकार भी है।

नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से किसानों को देश की मुख्यधारा में लाया गया है। इसी तरह, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ने भी उन्हें आर्थिक सुरक्षा के दायरे में लाकर सशक्त किया है। 100% विद्युतीकरण की दिशा में सौभाग्य योजना, उज्ज्वला योजना और उजाला योजना के माध्यम से उल्लेखनीय प्रगति हुई है। बीमा योजनाओं की बात करें तो जीवन बीमा और दुर्घटना बीमा के अंतर्गत लगभग 40 करोड़ लोगों को कवर किया गया है। ये वे समाज के हाशिए पर खड़े लोग हैं जो पहले बीमा जैसी सुविधा लेने की स्थिति में नहीं थे। जनभागीदारी को विशेष प्राथमिकता दी गई है। इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण कोविड काल है, जब भारत में सरकार के साथ जनता ने भी समान रूप से मिलकर महामारी से लड़ाई लड़ी। कुछ राजनीतिक दलों ने डीमोनिटाईजेशन पर जनता को भड़काने की कोशिश की, तब भी देश का आम नागरिक शांतिपूर्वक घंटों बैंक की कतार में खड़ा रहा और डीमोनिटाईजेशन के निर्णय का समर्थन किया। यह इस बात का प्रमाण है कि जब नेतृत्व पर भरोसा होता है, तो जनता सक्रिय सहभागिता निभाती है। पहले शिक्षा नीति जैसे मुद्दों पर शिक्षा मंत्रियों की साझा बैठक तक नहीं हो पाती थी, लेकिन आज नई शिक्षा नीति 2020 व्यापक परामर्श और सर्वसम्मति से बनाई गई है। यही स्थिति 2017 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के साथ भी रही, वह भी बिना किसी विवाद के पारित हुई, क्योंकि इसमें भी समग्र दृष्टिकोण और संवाद की व्यापकता रही। स्वच्छ भारत मिशन केवल शौचालय निर्माण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने स्वास्थ्य संकेतकों में भी सुधार लाया है।

 राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पारदर्शी सरकार के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बताया कि आज डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से लेनदेन की संख्या में 130 गुना वृद्धि हुई है। JAM ट्रिनिटी (जनधन, आधार, मोबाइल) के जरिए लगभग 3.9 लाख करोड़ रुपये की लीकेज रोकी गई है। ‘प्रगति’ मंच के माध्यम से सभी योजनाओं और रुके हुए प्रोजेक्ट्स की निगरानी की जाती है, जिससे जनता को योजनाओं की वास्तविक स्थिति की जानकारी मिलती है। कोओपेरेटिव फेड्रलिस्म केवल नारा नहीं, बल्कि जीएसटी इसका प्रमुख उदाहरण है। जीएसटी लागू होने से पहले 17 कर और 13 उपकर थे, जिन्हें एक साथ समाहित किया गया और सभी राज्य एक साथ आए। अब टैक्स संग्रहण 20.8 लाख करोड़ रुपये प्रतिवर्ष तक पहुंच गया है। राज्यों को टैक्स डिवोल्यूशन में 283% की वृद्धि दी गई है, जबकि कुछ लोग राजनीतिक कारणों से राज्यों की अनदेखी का दावा करते हैं जबकि आंकड़े बताते हैं कि राज्यों के केंद्रीय शेयर में भारी इजाफा हुआ है। कोविड के दौरान 11 औपचारिक बैठकें आयोजित की गईं, जो को-ओपेरेटिव फेड्रलिस्म का उदाहरण हैं।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बार-बार कहा है कि देश को आगे बढ़ाने के लिए राज्यों को आगे बढ़ाना होगा। इसी संदर्भ में एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स की अवधारणा भी प्रस्तुत हुई, जिससे पिछड़े जिलों को मुख्यधारा में लाकर सशक्त बनाया जा रहा है। आज भारत एआई मिशन, योजनाओं का विस्तार, चंद्रयान-3, आदित्य एल-1 और गगनयान मिशन जैसे भविष्य की योजनाओं पर कार्य कर रहा है। ये सभी योजनाएं यह दर्शाती हैं कि देश को भविष्य की दृष्टि से किस तरह देखा जा रहा है और ये फ्यूचरिस्टिक सरकार के श्रेष्ठ उदाहरण हैं।

नड्डा ने कहा कि विकसित भारत की कल्पना को साकार करना हमारी प्रतिबद्धता है।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हर चुनौती का सामना सीधा किया है, कभी इधर-उधर की बात नहीं की। उरी हमले के बाद आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह स्पष्ट वक्तव्य था कि “इसका जवाब दिया जाएगा।” देश के इतिहास में पहली बार था जब किसी प्रधानमंत्री ने इतने स्पष्ट शब्दों में आतंकियों को सीधी चेतावनी दी और जिसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक हुआ। पुलवामा हमले के समय भी  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी है, इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा,” और फिर बालाकोट एयरस्ट्राइक हुआ। पहलगाम हमले के बाद बिहार की एक जनसभा में आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकियों को चेतावनी देते हुए कहा, “अब तुम्हें जवाब कल्पना से भी परे मिलेगा।” यह स्पष्ट करता है कि भारत की रणनीति में अब निर्णायकता और आक्रामकता एक ‘न्यू नॉर्मल’ बन गई है। यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह भी कहा है कि अब किसी भी आतंकवादी घटना को ऐक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा और ‘न्यूक्लियर युद्ध’ की गीदड़भभकी को भारत बर्दाश्त नहीं करेगा। आतंकवादी और उन्हें संरक्षण देने वालों के बीच कोई अंतर नहीं किया जाएगा। यह सरकार बीते 11 वर्षों में हर चुनौती चाहे वह आतंकी हमला हो या किसी अन्य प्रकार की सुरक्षा चुनौती का सीधा और निर्णायक जवाब देने में सक्षम रही है। यही एक सशक्त, आत्मविश्वासी और जवाबदेह राष्ट्र की पहचान है।

आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा पर बोलते हुए कहा कि लेफ्ट विंग एक्स्ट्रीमिज्म (वामपंथी उग्रवाद) और नक्सलवाद के खिलाफ सरकार ने निर्णायक कार्रवाई की है। नड्डा ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे स्वयं छह वर्षों तक छत्तीसगढ़ के प्रभारी रहे और कोंटा, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा जैसे नक्सल-प्रभावित जिलों का दौरा कर चुके हैं। पहले देश में 126 जिले नक्सल प्रभावित माने जाते थे, जो अब घटकर मात्र 18 रह गए हैं। हिंसा में 53% की कमी आई है, सुरक्षा बलों की हताहत संख्या में 72% की गिरावट दर्ज की गई है और कुल मृत्यु दर में 70% तक की कमी हुई है। इससे स्पष्ट है कि भारत अब नक्सलवाद को जड़ से समाप्त करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। पहले की सरकारों की सोच ऐसी थी कि सीमा पर सड़कें नहीं बननी चाहिए ताकि दुश्मन उसका लाभ न उठा सकें। लेकिन आज़ादी के 75 वर्षों में यह सोच बदली और अब  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सीमाओं को सुदृढ़ बनाने पर जोर दिया जा रहा है। अब तक लगभग 8 हजार किलोमीटर सीमा सड़कें और 400 से अधिक स्थायी पुल बनाए जा चुके हैं। आज अटल टनल, सेला टनल और श्रीकुंला टनल जैसे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण निर्माण किए जा रहे यह सब इस बात का प्रमाण है कि वर्तमान सरकार केवल शब्दों की नहीं, बल्कि कर्मों की राजनीति करती है, जो देश की सुरक्षा, विकास और स्थिरता के लिए आवश्यक है।

नड्डा ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में सड़कें, हवाई मार्ग, रेलवे और पुलों पर लंबी चर्चा हो सकती है लेकिन चुनावी संदर्भ में विशेष रूप से यह कहना जरूरी है कि नरसिंह राव के समय 1995 में चिनाब ब्रिज प्रोजेक्ट का शिलान्यास रखा गया था, जिसे बाद में श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी ने उसे एक राष्ट्रीय महत्व का प्रोजेक्ट घोषित किया। इसके बाद, आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 6 जून को, यानी अभी तीन दिन पहले, इसे सफलतापूर्वक पूरा किया। यह तथ्य हमें यह समझाता है कि मोदी सरकार ने समस्याओं को टालने के बजाय उनका समाधान किया है। सरकार ने समाज के हर वर्ग की चिंता की और उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए निरंतर प्रयास किया। पिछले 11 वर्षों में वह विकास हुआ जो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने विकसित भारत की दिशा में लंबी छलांग ली है, जिसमें सभी समाज वर्गों को साथ लेकर चलने पर जोर दिया गया। 11 साल के कार्यकाल में हुए इन महत्वपूर्ण कार्यों, नीतियों और कार्यक्रमों को समझाना आसान नहीं है, लेकिन यह स्पष्ट है कि यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता और नेतृत्व ने देश को नए मुकाम पर पहुंचाया है।

 

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