वाशिंगटन. 11 जून 2025 को दुनिया ने कुछ ऐसा देखा जो अब तक सभी से छिपा हुआ था. यूरोपीय स्पेस एजेंसी(ESA)और NASA के साझा मिशन Solar Orbiter ने पहली बार सूर्य के दक्षिणी ध्रुव की तस्वीरें भेजी हैं. इन तस्वीरों ने वैज्ञानिकों को सूर्य के नए और चौंकाने वाले नए रहस्य बताए हैं. अब तक हम सभी सूरज को उसके भूमध्य रेखा(Equator) के स्तर पर ही देखते आए हैं. सोलर ऑर्बिटर ने पहली बार 17 डिग्री के एंगल पर खुद को सूर्य के तल से थोड़ा ऊपर उठाया और सूरज के South Pole की तस्वीरें साझा की. अल्ट्रावॉयलेट इमेजर (EUI) ने इसे सूर्य के कोरोना से 1 Million डिग्री सेल्सियस तापमान पर किरणों को कैप्चर किया है.
साउथ पोल पर अजीब जगह
इस मिशन के तहत वैज्ञानिकों ने पहली बार साउथ पोल पर काफी अजीब एक जगह देखी है. यह ऐसा क्षेत्र है जहां दक्षिणी और उत्तरी Magnetic Areas का एक मोजेक मौजूद है. आसान शब्दों में कहें तो ये वह क्षेत्र है जो जिस जगह से सूरज का चुंबकीय क्षेत्र हर 11 साल में उल्टा हो जाता है. इसका मतलब है कि दक्षिणी ध्रुव चुंबकीय उत्तर बन जाता है और इसके उलट भी होता है. ये वहीं समय होता है जब सूर्य सबसे ज्यादा विस्फोटक एक्टिवीटीज से भरा होता है जैसे सोलर फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन. ESA के डायरेक्टर ऑफ साइंस के प्रो. कैरोल मंडेल का कहना है कि, ‘यह मानव जाति के लिए सूरज के रहस्यों की पहली झलक है’.
बहुत खास है मिशन
इस मिशन की शुरुआत साल 2020 में हुई थी. इसकी लागत की बात करें तो यह 1.3 बिलियन डॉलर की है. मार्च 2025 में जब सोलर ऑर्बिटर ने पहली बार सूर्य के भूमध्य रेखा से 15° नीचे की ओर खुद को झुकाया, तो यह ऐतिहासिक तस्वीर वैज्ञानिकों के सामने आई. वैज्ञानिक इसे तकनीकी चमत्कार मान रहे हैं क्योंकि अब तक धरती से सूरज के ध्रुवों को देखना बिल्कुल ही असंभव था. इस मिशन के तहत 2029 तक यह ऑर्बिटर 33 डिग्री और ऊपर उठेगा जिससे और भी बेहतर दृश्य सामने आने की उम्मीद है. Max Planck Institute for Solar System Research के निदेशक प्रो. सामी सोलांकी ने कहा, हमें जरा भी नहीं अंदाजा नहीं था कि इन ध्रुवों से क्या देखने को मिलेगा. यह हमारे लिए बिल्कुल Terra Incognita(अज्ञात भूमि)जैसा है.
मैग्नेटिक डांस
धरती ठोस है लेकिन सूरज नहीं, उसका भूमध्य क्षेत्र हर 26 दिन में एक बार घूमता है और ध्रुवीय क्षेत्र 33 दिन में घूमता है. स्पीड में होने वाले इस फासले के कारण सूरज के मैग्नेटिक फील्ड में मरोड़ और ऐंठन आती है. एक वक्त पर तो यह इतना अस्थिर हो जाता है कि पूरी सोलर एक्टिविटी का पैटर्न ही बदल जाता है. आने वाले अगले 5 से 6 सालों में सूरज अपने अगले सोलर मिनिमम पर पहुंचेगा. इससे उसकी गतिविधियां सबसे कम होंगी और Magnetic Field सबसे अधिक बैलेंस्ड होगा.
साभार : जी न्यूज
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