संचार मंत्रालय में दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने 19 से 21 जून 2025 तक चेन्नई के आईआईटी मद्रास रिसर्च पार्क में दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीटीडीएफ) परिचर्चा 2025 का सफल आयोजन किया। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में निधि लाभार्थियों को एक साथ आने, आपस में तालमेल की संभावनाएं तलाशने और अपने अनुसंधान एवं विकास प्रयासों को आगे बढ़ाने में सहयोगी मार्गों की पहचान करने का मौका मिला जिसके न केवल सफल परिणाम सुनिश्चित हुए बल्कि पूरे नवाचार परितंत्र के लिए व्यापक लाभ भी सुनिश्चित हुए।
इस परिचर्चा में 500 से अधिक हितधारकों ने भाग लिया, जिनमें टीटीडीएफ की वित्त पोषित अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं के प्रधान अन्वेषक सहित दूरसंचार विभाग, भारत 6जी गठबंधन, टीएसडीएसआई, सी-डॉट, सीओएआई और अग्रणी दूरसंचार कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे।
सचिव (दूरसंचार) डॉ. नीरज मित्तल ने परिचर्चा का शुभारम्भ करते हुए, आत्मनिर्भर भारत और जय अनुसंधान के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप, दूरसंचार क्षेत्र में स्वदेशी अनुसंधान, नवाचार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
परिचर्चा की मुख्य बातें:
- लगभग 120 स्वीकृत टीटीडीएफ परियोजनाओं की ओर से प्रस्तुतियां दी गईं, जिनमें 6जी, क्वांटम संचार, आईओटी के लिए एआई/एमएल, गैर-स्थलीय नेटवर्क (एनटीएन), पुनर्संयोज्य बुद्धिमान सतहें (आरआईएस) और सुरक्षित दूरसंचार प्लेटफॉर्म जैसे क्षेत्र शामिल थे।
- परियोजना कार्यान्वयन के तकनीकी, प्रशासनिक और वित्तीय पहलुओं पर मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए दूरसंचार विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समर्पित सत्र आयोजित किए गए।
- सलाहकारों ने प्रस्तुतियां दी जिनमें अंतर-परियोजना तालमेल, ज्ञान साझा करने में सक्षमता, तथा साझा बुनियादी ढांचे और खरीद आवश्यकताओं की पहचान पर जोर दिया गया।
- मल्टी-कोर फाइबर (एमसीएफ) परीक्षण सुविधा की तत्परता को प्रदर्शित किया गया, जो अब उन्नत अनुसंधान, परीक्षण और नवाचार के लिए शिक्षा और उद्योग द्वारा उपयोग के लिए उपलब्ध है।
टीटीडीएफ परिचर्चा 2025 का समापन 21 जून 2025 को डीडीजी (टीटीडीएफ), डीडीजी (एसआरआई) और दूरसंचार विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में हुआ। इस सत्र में, तीन दिवसीय परिचर्चा की अवधि में की गई चर्चाओं का सारांश हितधारकों को साझा किया गया। चर्चाओं में नवाचारों को आईपीआर में बदलने, लाभार्थियों के बीच सक्रिय सहयोग, अंतिम परिणामों के उपयोग और परियोजनाओं की व्यावसायीकरण रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
परिचर्चा के दौरान किए गए विचार-विमर्श से नवाचार में तेजी लाने और देश के लिए दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास परिणामों की समय पर प्रभावी प्राप्ति सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।