नई दिल्ली. राउस एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को 1984 के सिख दंगों से जुड़े मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार के खिलाफ सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. सज्जन कुमार का केस उसी FIR से जुड़ा हुआ है जो जनकपुरी और विकासपुरी थानों में 1984 के दंगों की घटनाओं पर दर्ज की गई थीं. कोर्ट ने मामले की फैसला सुनाने की तारीख 22 जनवरी तय की है. पहले सज्जन कुमार को 2023 में हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया था.
जनकपुरी मामले में 1 नवंबर 1984 को सोहन सिंह और उनके दामाद अवतार सिंह की हत्या की घटनाओं से जुड़ा है, जबकि विकासपुरी मामले में 2 नवंबर 1984 को गुरचरण सिंह को जलाने की घटना दर्ज है. स्पेशल जज दिग्विनय सिंह ने अभियोजन और सज्जन कुमार के वकीलों की अंतिम दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है. अभियोजन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक मनीष रावत और सज्जन कुमार की ओर से वकील अनिल कुमार शर्मा, अपूर्व शर्मा और एस. ए. हाश्मी पेश हुए हैं.
भीड़ को उकसाने वाले थे सज्जन कुमार?
कोर्ट ने पहले सज्जन कुमार पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं जैसे 147, 148, 149, 153A, 295, 307, 308, 323, 395 और 426 के तहत आरोप तय किए हैं. अदालत ने कहा कि शुरुआती तौर पर यह साफ होता है कि 1 नवंबर 1984 को गुलाब बाग, नवादा स्थित गुरुद्वारे के पास सैकड़ों लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई थी, जो हथियारों से लैस थी और उनका उद्देश्य गुरुद्वारे को जलाना, घरों और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना तथा स्थानीय सिखों की हत्या करना था. कोर्ट ने यह भी कहा कि सज्जन कुमार इस भीड़ का हिस्सा थे और अपराध को उकसाने वाला भी माना गया था.
कोर्ट ने 2 नवंबर 1984 की घटना के संबंध में सज्जन कुमार को हत्या और चोट पहुंचाने के आरोप से बरी कर दिया है. अदालत ने आदेश में यह साफ किया कि सज्जन कुमार को मुख्य उकसाने वाला माना गया क्योंकि वह अपराध स्थल पर मौजूद थे जब अन्य अज्ञात अपराधियों ने अपराध किए हैं. इस मामले में अदालत ने सभी साक्ष्यों और गवाहों के बयानों को ध्यान में रखते हुए फैसला सुरक्षित रखने का निर्णय लिया है.
साभार : जी न्यूज
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