
काशी. संघ शताब्दी वर्ष के निमित्त काशी उत्तर भाग के विश्वनाथ नगर (चांदमारी) में सकल हिन्दू समाज द्वारा आयोजित हिन्दू सम्मेलन में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वांत रंजन जी ने कहा कि विभिन्न जाति इकाईयों में रहने के बाद भी हम हिन्दू हैं। हम सबकी एक ही भारत माता है। सहभोज, सामूहिक विवाह, समरसता के माध्यम से हम अपना सामाजिक स्वरूप समय-समय पर प्रकट करते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत की जनता ने परकीय शासन को कभी स्वीकार नहीं किया। मुगल काल में भी जनता के राजा भगवान रामचन्द्र रहे। 1947 के भारत विभाजन की विभीषिका पर महर्षि अरविन्द के वक्तव्य का उदाहरण दिया, जिसमें कहा है कि – यह विभाजन कृत्रिम है, प्राकृतिक नहीं है।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वामपंथियों ने भारतीय इतिहास को विकृत किया। जिससे समाज में हीनता की भावना आई। अब भारत का हिन्दू समाज जागृत हुआ है, जिसके परिणाम स्वरूप अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर पुनर्स्थापित हुआ। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा। भारत के ज्ञान परंपरा की चर्चा करते हुए कहा कि भारत विश्व गुरु इसलिए कहा जाता था क्योंकि संपूर्ण विश्व से लोग ज्ञान अर्जित करने भारत में आते थे। भागलपुर का विक्रमशिला विश्वविद्यालय, वर्तमान पाकिस्तान में स्थित तक्षशिला विश्वविद्यालय गुजरात का वल्लभी विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान की कथा कहता है। आज आवश्यकता इस बात की है कि भारतीय अपनी ज्ञान परंपरा, संस्कार और वैभव को जानें।
मुख्य अतिथि स्वामी अड़गड़ानन्द जी महाराज के शिष्य स्वामी नारद जी ने कहा कि भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि मनुष्य मेरा विशुद्ध सनातन अंश है। जब प्रत्येक व्यक्ति इस भाव के साथ समाज में व्यवहार करेगा, तब छुआछूत, भेदभाव, जातिभाव स्वत: समाप्त हो जाएगा। विशिष्ट अतिथि समाजसेवी भावना अग्रवाल ने परिवार में मातृशक्ति को बच्चों में भारतीय संस्कार दिये जाने के लिए प्रेरित किया। संचालन आलोक एवं संयोजन सर्वेश सिंह ने किया।
कुटुम्ब का भाव ही हिन्दू समाज को संगठित रखता है – रमेश जी
काशी दक्षिण भाग के रोहनिया स्थित शिवधाम नगर में आयोजित कार्यक्रम में काशी प्रान्त प्रचारक रमेश जी ने कहा कि कुटुम्ब का भाव ही हिन्दू समाज को संगठित रखता है। जनवरी में आयोजित महाकुम्भ में 50 करोड़ लोगों ने विभिन्न पण्डालों एवं महामण्डलेश्वर के आश्रमों में भोजन ग्रहण किया। यह भारतीय परिवार प्रणाली का सशक्त उदाहरण है। प्राचीन भारत इतना सम्पन्न था कि व्यापार में सोने और चांदी के सिक्के प्रयोग में लाए जाते थे। बाद में हिन्दू समाज विखण्डित हुआ। इसी विखण्डन का लाभ लेते हुए अखण्ड भारत के टुकड़े किये गए। जिसमें लगभग दो करोड़ हिन्दुओं ने पलायन किया। वर्तमान में हिन्दू समाज की समस्या का समाधान एकता, समरसता, बन्धुता, परस्पर प्रेम तथा संगठित होने में है।
उन्होंने काशी मध्य भाग के लोहता के रामलीला मैदान एवं सिगरा के कल्याणी वाटिका में भी आयोजित हिन्दू सम्मेलन को सम्बोधित किया। शिवधाम नगर में मातृशक्ति ने कलश यात्रा निकाली।
काशी उत्तर भाग के गौतम नगर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र कार्यवाह वीरेंद्र जी ने कहा कि हिन्दू समाज को भगवान श्री राम और श्री कृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है। बौद्ध धर्मगुरु डॉ. के सिरी सुमेधा थिरो ने वसुधैव कुटुंबकम सिद्धांत पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. कमलेश झा जी ने की। डॉ. अशोक सोनकर जी ने समरसता एवं वंचित समाज विषय पर विचार रखे।
दक्षिण भाग के मानस नगर के दीनदयाल पार्क में आयोजित हिन्दू सम्मेलन में काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण जी ने कहा कि हिन्दू समाज को अपने सामर्थ्य के अनुसार प्रतिकार करना सीखना होगा। वाल्मीकि रामायण में “सत्यम परम धीमहि” का आश्रय लेकर ही वृद्ध पक्षी जटायु द्वारा रावण का प्रतिकार किया गया था। हिन्दू समाज की वर्तमान समस्याएं प्राचीन व्यवस्थाओं में संक्रमण दोष के कारण उत्पन्न हुई है। हिन्दू शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि भारत भूमि में जन्म लेने वाला भारत भूमि को मातृभूमि, पितृभूमि मानने वाला हिन्दू है। हिन्दू समाज के उत्थान में मातृशक्ति की चर्चा करते हुए वक्ता ने कहा कि वेदों में मातृ देवो भव कहकर माता को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। असिस्टेंट कमिश्नर जीएसटी कनक तिवारी जी ने नारी सम्मान की चर्चा करते हुए बताया कि सुभद्रा के सो जाने के कारण अभिमन्यु को चक्रव्यूह का पूरा ज्ञान नहीं हो पाया। अतः भारतीय समाज में माता को नींद से जागना ही होगा।
साभार : विश्व संवाद केंद्र
Matribhumisamachar






