भुवनेश्वर (मा.स.स.). ओडिशा के भुबनेश्वर में ”वायु: महत्वपूर्ण जीवन शक्ति” विषय पर 2 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन श्रृंखला का उद्घाटन आज ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल तथा केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, भूपेंद्र यादव ने किया। यह सम्मेलन आज़ादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में सम्मेलनों की एक श्रृंखला में से एक है। सम्मेलन का उद्देश्य सृष्टि के पांच आवश्यक तत्वों पंचमहाभूत की तुलना में दुनिया भर में भारतीय विचारों का प्रसार करन है।
राज्यपाल ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव देश और दुनिया को बड़े पैमाने पर वापस देने की एक पहल का प्रतीक है, क्योंकि दुनिया तेजी से व्यक्तिवादी होती जा रही है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन का उद्देश्य व्यक्तियों को ब्रह्मांड और मानवता के बीच मौजूद संबंध को महसूस करने में मदद करना है, क्योंकि ब्रह्मांड सहयोग और सह-अस्तित्व की भावना पर आधारित है। राज्यपाल ने कहा कि वायु तत्व को पंचमहाभूत के अन्य तत्वों से अलग नहीं किया जा सकता है और उन पर एक साथ विचार करना आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस सम्मेलन का सार आंतरिक जागृति है। उन्होंने पर्यावरण की रक्षा के लिए केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना की।
भूपेंद्र यादव ने इस अवसर पर बोलते हुए उद्घाटन सत्र की शोभा बढ़ाने के लिए ओडिशा के राज्यपाल का आभार व्यक्त किया। उन्होंने सम्मेलन में विद्यार्थियों की भागीदारी की सराहना की। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों को समझना महत्वपूर्ण है और हम में से प्रत्येक की देश और पृथ्वी ग्रह के प्रति जिम्मेदारी है। मंत्री ने कहा कि देश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में काफी प्रगति की है। इसमें अक्षय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि और ऊर्जा क्षेत्र के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना और वाहन क्षेत्र के लिए अनिवार्य इथेनॉल सम्मिश्रण, औद्योगिक क्षेत्रों के मामले में स्वच्छ ईंधन में रूपांतरण, एक बार उपयोग होने वाली प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाना आदि शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अक्टूबर 2022 में शुरू किए गए मिशन लाइफ़-लाइफस्टाइल फ़ॉर एनवायरनमेंट यानी पर्यावरण के लिए जीवन शैली के बारे में बोलते हुए यादव ने कहा कि न केवल कचरे को कंचन में परिवर्तित करने पर बल देने की आवश्यकता है, बल्कि कचरे के उत्पादन को कम करने पर भी बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां कार्बन बाजारों, कार्बन वित्त, शमन और अनुकूलन के लिए कार्रवाई शुरू की जा रही है, ऐसे में टिकाऊ खपत, टिकाऊ उत्पादन और पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करना ही भविष्य का मार्ग है।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन के दौरान आयोजित होने वाले तकनीकी सत्रों से उपयोगी जानकारी निकल कर सामने आएगी, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि चर्चा में नीति निर्माण, नीति निष्पादन, नवीन और वैज्ञानिक विकास, नैतिक मूल्यों और पारंपरिक ज्ञान को ध्यान में रखा जाए, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध एक प्रभावी लड़ाई लड़ने के लिए इन सभी तत्वों की आवश्यकता होगी। स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2022 के आधार पर वायु गुणवत्ता लक्ष्यों को प्राप्त करने और सुधारात्मक, निवारक तथा शमन कार्यों के कार्यान्वयन में 9 सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले शहरों को ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु शहर’ पुरस्कार प्रदान किए गए।
जनसंख्या के आधार पर शहरों की तीन श्रेणियों में पुरस्कार के चेक और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। शहरों की पहली श्रेणी में यानी 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में, लखनऊ को 1.5 करोड़ रुपये के नकद पुरस्कार के साथ प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। लखनऊ को वर्ष 2019-20 से 2021-22 तक औसत व्यापक पीएम 10 सांद्रता को 31 प्रतिशत कम करने और बायोमास तथा ठोस कचरे को जलाने से रोकने के लिए की गई कार्रवाई पर उच्च स्कोरिंग के लिए 1.5 करोड़ रुपये का यह पुरस्कार दिया गया। लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया ने ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशी लालतथा केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से चेक और प्रमाण पत्र प्राप्त किया।
शहरों की दूसरी श्रेणी में यानी 3 से 10 लाख के बीच की आबादी वाले शहरों में मुरादाबाद को 75 लाख रुपये के नकद इनाम के साथ प्रथम पुरस्कार मिला। मुरादाबाद को पीएम 10 सघनता को 36 प्रतिशत कम करने के लिए यह पुरस्कार मिला है। तीसरी श्रेणी के शहरों यानी 3 लाख से कम आबादी वाले शहरों में देवास को 37.5 लाख रुपये के नकद पुरस्कार के साथ प्रथम पुरस्कार मिला। इन पुरस्कारों से इन शहरों और पुरस्कार प्राप्त ना कर सके शहरों को एक स्वच्छ और हरित भारत प्राप्त करने की दिशा में अपने प्रयासों को बढ़ाने के लिए प्रेरित करने की आशा है।
उद्घाटन सत्र में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों ने व्यापक रूप से हिस्सा लिया। गैर-प्राप्ति वाले शहरों के निगमायुक्त, राज्य शहरी विकास विभागों के प्रतिनिधि, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/प्रदूषण नियंत्रण समितियां, वायु गुणवत्ता विशेषज्ञ, पीएसजी अधिकारी, शिक्षाविद और देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी भी इस समारोह में शामिल हुए।