गुवाहाटी (मा.स.स.). राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में गज उत्सव-2023 का उद्घाटन किया। इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि प्रकृति और मानवता के बीच एक बहुत ही पवित्र रिश्ता है। प्रकृति का सम्मान करने वाली संस्कृति हमारे देश की पहचान हमेशा सेरही है। भारत में प्रकृति और संस्कृति आपस में जुड़े हुए हैं और एक-दूसरे का पोषण करते हैं। हमारी परंपरा में हाथियों का बहुत सम्मान किया जाता है। भारत में इसे समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह देश का राष्ट्रीय धरोहर पशु है, इसलिए हाथियों की रक्षा करना हमारे लिएअपनी राष्ट्रीय धरोहर को संरक्षित करने वाली हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जो काम प्रकृति और पशु-पक्षियों के हित में हैं, वही मानवता और धरती माता के हित में भी हैं। हाथी अभ्यारण वाले जंगल और हरित क्षेत्र बहुत प्रभावी कार्बन अवशोषक होते हैं।इसलिए कहा जा सकता है कि हाथियों का संरक्षण करने से हम सभी लोगों को लाभ प्राप्त होगा और इससे जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में भी मदद मिलेगी। ऐसीकोशिशों के लिए सरकार और समाज दोनों की भागीदारी बहुत आवश्यक है। राष्ट्रपति ने कहा कि हाथियों को बहुत ही बुद्धिमान और संवेदनशील पशु माना जाता है। वह मनुष्यों की तरह ही एक सामाजिक प्राणी हैं। उन्होंने कहा कि हमें हाथियों और अन्य जीवित प्राणियों के लिए सहानुभूति और सम्मान की भावना रखनी चाहिए,जिस प्रकार की भावना हम मनुष्यों के लिए रखते हैं। उन्होंने कहा कि हम जानवरों और पक्षियों से निस्वार्थ प्रेम की भावना सीख सकते हैं।
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि ‘मानव-हाथी संघर्ष’ सदियों से एक ज्वलंत मुद्दा रहा है लेकिन जब हम इस संघर्ष का विश्लेषण करते हैं, तो निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि हाथियों के प्राकृतिक आवास या आवागमन में उत्पन्न होने वाली बाधाएं ही इसका मूल कारण है। इसलिए, इस संघर्ष की जिम्मेदारी मानव समाज की है। उन्होंने कहा कि हाथी परियोजना का मुख्य उद्देश्य हाथियों की रक्षा करना, उनके प्राकृतिक आवासों को संरक्षितकरना और हाथी गलियारों को बाधा मुक्त बनानाहै। मानव-हाथी संघर्ष की समस्याओं का समाधान करना भी इस परियोजना का एक उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि ये सभी उद्देश्य आपस में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि असम के काजीरंगा और मानस राष्ट्रीय उद्यान न केवल भारत में बल्कि वैश्विक रूप में अमूल्य धरोहर हैं। यही कारण है कि इन्हें यूनेस्को द्वारा ‘विश्व धरोहर स्थल’ का दर्जा प्रदान किया गया है।उन्होंने कहा कि असम में जंगली हाथियों की आबादी देश में जंगली हाथियों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। इसलिए गज-उत्सव का आयोजन करने के लिए काजीरंगा एक बहुत ही उपयुक्त स्थान है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रोजेक्ट एलीफेंट और गज-उत्सव की सफलता के लिए सभी हितधारकों को एक साथ मिलकर काम करना होगा।
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