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कनाडा को भारत में कम करने ही होंगे अपने राजनयिक : भारतीय विदेश मंत्रालय

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नई दिल्ली. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कनाडा से अपने राजनयिकों की संख्या सीमित करने के आह्वान को दोहराया। कनाडा से राजनयिकों की संख्या सीमित करने को कहने के मामले में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हमने भारत में कनाडा की राजनयिक उपस्थिति में समानता की मांग की है। इस संबंध में चर्चा जारी है। उन्होंने आगे कहा कि भारत का प्राथमिक ध्यान दो चीजों पर है, पहला कनाडा में ऐसा माहौल होना, जहां भारतीय राजनयिक ठीक से काम कर सकें और दूसरा कूटनीतिक ताकत के मामले में समानता हासिल कर सकें। गौरतलब है कि बीते महीने भी भारत ने कनाडा के आंतरिक मामलों में राजनयिक हस्तक्षेप का हवाला दिया था। साथ ही कहा था कि राजनयिक कर्मचारियों की संख्या में समानता होनी चाहिए।

यूके में विरोध प्रदर्शन पर ये बोले बागची
उन्होंने आगे कहा कि यूके में दो अक्तूबर को एक विरोध प्रदर्शन हुआ था और हमने निश्चित रूप से वहां राजनयिकों और परिसरों की सुरक्षा पर अपनी चिंताओं को यूके के अधिकारियों के सामने उठाया है। यह एक सतत बातचीत रही। हमारा मुद्दा सुरक्षा का है और यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि हमारे राजनयिक सामान्य रूप से कार्य करने में सक्षम हैं। हमारे परिसर सुरक्षित हैं और समुदाय को लक्षित नहीं किया गया है।

अफगान दूतावास को बंद करना उनका अपना निर्णय 
इस दौरान उन्होंने नई दिल्ली में अफगानिस्तान के दूतावास द्वारा एक अक्तूबर से परिचालन बंद करने पर भी प्रतिक्रिया दी।  इस मुद्दे पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हमारी समझ यह है कि नई दिल्ली में दूतावास काम कर रहा है या काम करना जारी रखेगा। हम वहां मौजूद अफगान राजनयिकों और मुंबई और हैदराबाद में वाणिज्य दूतावासों में मौजूद अफगान राजदूत के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि, हमें पिछले सप्ताह कथित तौर पर दूतावास से संचार प्राप्त हुआ था, जिसमें संकेत दिया गया था कि वह सितंबर के अंत में परिचालन को निलंबित करने का इरादा रखते है।

बेशक, ऐसा निर्णय यह एक विदेशी मिशन का आंतरिक मामला है। हालांकि, हमने नोट किया है कि मुंबई और हैदराबाद में अफगान वाणिज्य दूतावासों ने उस निर्णय या ऐसे निर्णय पर अपनी आपत्ति व्यक्त की है। हम यह भी जानते हैं कि राजदूत की लंबे समय से अनुपस्थिति रही है और हाल के दिनों में बड़ी संख्या में अफगान राजनयिकों ने भारत छोड़ दिया है। हम उम्मीद करेंगे कि छात्रों सहित भारत में बड़ी संख्या में अफगान नागरिक आवश्यक कांसुलर समर्थन प्राप्त करना जारी रख सकेंगे। हम अपनी ओर से अफगानिस्तान के लोगों की सहायता के लिए अपने प्रयास जारी रखेंगे।

साभार : नवभारत टाइम्स

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