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मणिपुर में दो गुटों में हिंसक झड़प के दौरान 13 लोगों की मौत

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इंफाल. मणिपुर में सोमवार सुबह 10:30 बजे दो गुटों के बीच हुई गोलीबारी में 13 लोगों की मौत हो गई। घटना म्यांमार बॉर्डर से लगे कुकी बहुल इलाके टेंग्नौपाल​​​​​​ जिले के लीथू गांव की है। असम राइफल्स के मुताबिक, इलाके के एक विद्रोही समूह ने म्यांमार जा रहे उग्रवादियों पर ये हमला किया है। मारे गए लोगों की पहचान नहीं हो पाई है।

मणिपुर सरकार ने 3 दिसंबर को कुछ इलाकों को छोड़कर राज्य में मोबाइल इंटनेट सेवाएं 18 दिसंबर तक के लिए बहाल की थीं। इसके बाद गोलीबारी की यह पहली घटना है। राज्य में कुकी और मैतेई समूह के बीच आरक्षण को लेकर 3 मई से हिंसा जारी है। हिंसक घटनाओं में अब तक 200 लोग मारे गए हैं। 50 हजार लोग रिलीफ कैंप्स में रह रहे हैं।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

मणिपुर के सबसे पुराने विद्रोही आर्म्ड ग्रुप यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) ने 29 नवंबर को दिल्ली में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह ग्रुप हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमत हो गया है। UNLF ने यह फैसला केंद्र सरकार की ओर से ग्रुप पर कई साल पहले लगे बैन को पांच साल बढ़ाने के बाद लिया।

भारतीय सेना के ईस्टर्न कमांड चीफ राणा प्रताप कलीता ने कहा है कि मणिपुर की समस्या राजनीतिक है, इसलिए इसका समाधान भी राजनीतिक होना चाहिए। कलीता ने ये बात 21 नवंबर को गुवाहाटी के प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात करते हुए कही। उन्होंने कहा- हमारी कोशिश है कि हिंसा रुके। राजनीतिक समस्या का शांतिपूर्ण समाधान निकालना होगा।

साभार : दैनिक भास्कर

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