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बसपा ने कानपुर से कुलदीप को उतारा, एक दिन में दूसरी लिस्ट जारी

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लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने रविवार को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से नौ उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की है. इसके पहले 16 उम्मीदवारों की पहली सूची की घोषणा थी. यूपी में आठ चरणों में मतदान होगा. बीएसपी ने कानपुर से कुलदीप भदौरिया को उम्मीदवार बनाया है, जबकि आगरा से पूजा अमरोही को उम्मीदवार बनाया है.

बीएसपी ने हाथरस (एससी) से हेमबाबू धनगर और मथुरा से कमल कांत उपमन्यू को उम्मीदवार बनाया है. मथुरा से बीजेपी की सांसद हेमा मालिनी हैं. कमलकांत उपमन्यू का हेमा मालिनी से मुकाबला होगा. फतेहपुर सीकरी से राम निवास शर्मा, फिरोजाबाद से सतेंद्र जैन सौली, इटावा (एससी) से सारिका सिंह बघेल, अकबरपुर (कानपुर) से राजेश कुमार द्विवेदी और जालौन (एससी) से सुरेंद्र चंद्र गौतम को उम्मीदवार बनाया गया है.

बीएसपी ने सुबह जारी थी थी 16 उम्मीदवारों की सूची

रविवार की सुबह को ही बीएसपी 16 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की थी. बीएसपी ने अनीस अहमद खान उर्फ फूल बाबू को पीलीभीत से, शौकत अली को संभल से,आबिद अली को आंवला से और नगीना से सुरेंद्र सिंह पाल को टिकट दिया है. बुलन्दशहर से गिरीश चन्द्र जाटव, शाहजहांपुर से दोदराम वर्मा, मोहम्मद इरफान सैफी को मुरादाबाद से, मुजफ्फरनगर से दारा सिंह प्रजापति, कैराना से श्रीपाल सिंह को, गौतमबुद्धनगर से राजेन्द्र सिंह सोलंकी को , मुजाहिद हुसैन को अमरोहा से, माजिद अली को सहारनपुर से, जीशान खान को रामपुर से, बिजनोर से विजेन्द्र सिंह, बागपत से प्रवीण बंसल और मेरठ से देवरत त्यागी को उम्मीदवार बनाया है.

मायावती का सोशल इंजीनियरिंग पर फोकस

विशेषज्ञों का कहना है कि मायावती दलितों-मुसलमानों-ओबीसी-उच्च जातियों को लेकर चल रही हैं, जिसमें पश्चिमी यूपी की सीटों के लिए पार्टी द्वारा घोषित 16 उम्मीदवारों में से सात मुस्लिम हैं. इससे मुस्लिम बहुल रोहिलखंड क्षेत्र में विपक्षी भारतीय गुट पर असर पड़ने की संभावना है, जहां मुसलमानों का वोट 20%-40% है. साथ ही पश्चिम यूपी के मेरठ क्षेत्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन पर भी असर पड़ेगा.

पार्टी के एक नेता ने कहा, बसपा प्रमुख ने मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकटों का एक बड़ा हिस्सा दिया है. उन्होंने कहा कि अगर 19 फीसदी मुस्लिम भी बसपा का समर्थन करते हैं तो भी पार्टी लोकसभा और विधान सभा में अपनी सीटें बढ़ाने में सक्षम होगी.

विशेषज्ञों का कहना है कि मुस्लिम, उच्च जाति और ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट देकर मायावती यह संदेश देना चाहती हैं कि एक दलित-आधारित पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव में उनका समर्थन पाने के लिए सभी समुदायों को टिकट दिया है. सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले पर काम करते हुए बसपा ने 2007 के विधानसभा चुनाव में बहुमत की सरकार बनाई थी.

2019 में सपा के साथ मिलकर लड़ा था चुनाव

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी (एसपी) के साथ गठबंधन में 37 संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ने वाली बसपा ने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीएसपी ने उत्तर प्रदेश में सहारनपुर, बिजनौर, अंबेडकर नगर, श्रावस्ती, लालगंज, घोसी, नगीना, अमरोहा, जनुपुर और गाजीपुर सहित 10 सीटें जीतीं थी, लेकिन इस चुनाव में बीएसपी और समाजवादी पार्टी अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. बीएसपी इंडिया गठबंधन का भी हिस्सा नहीं है.

साभार : टीवी9 भारतवर्ष

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