कोलकाता. आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या (Kolkata doctor rape-murder case) के बाद कोलकाता पुलिस सवालों के घेरे में है. पीड़ित परिवार ने एक बार फिर पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़े किए हैं. पीड़िता के माता-पिता ने आरोप लगाया है कि वे शव को संरक्षित करना चाहते थे. लेकिन उन्हें दाह संस्कार के लिए मजबूर किया गया. ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता और रिश्तेदार सरकारी अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. स्थानीय मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, पीड़िता के पिता ने शहर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब उनकी बेटी का शव उनके सामने था तो एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने उन्हें पैसे की पेशकश की.
पीड़िता के माता-पिता ने कहा कि हम शव को सुरक्षित रखना चाहते थे. लेकिन बहुत दबाव बनाया गया. लगभग 300-400 पुलिसकर्मियों ने हमें घेर लिया. हम घर लौटे और देखा कि लगभग 300 पुलिसकर्मी बाहर खड़े थे. उन्होंने ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि हमें उसका अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर होना पड़ा. उन्होंने यह भी कहा कि दाह संस्कार जल्दबाजी में किया गया और इसका खर्च परिवार से नहीं लिया गया. कुछ पुलिस अधिकारियों ने एक खाली कागज पर उनके हस्ताक्षर लेने की कोशिश की. मैंने इसे फाड़कर फेंक दिया. ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता ने कहा कि जब मेरी बेटी का शव हमारे घर पर था, तो डीसी नॉर्थ ने हमें कुछ पैसे देने की कोशिश की. हमने उसे तुरंत जवाब दिया. अपने मित्र और सहकर्मी के लिए न्याय की मांग को लेकर आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को पूरा समर्थन व्यक्त करते हुए, पीड़िता की मां ने कहा, “मुझे नींद नहीं आ रही है. मैं चाहती हूं कि अपराधियों की भी नींद टूटे. जब तक हमें न्याय नहीं मिलता तब तक विरोध जारी रहना चाहिए.
पीड़िता के पिता ने सवाल उठाया कि अस्पताल के अधिकारियों ने शव की जांच से पहले ही उन्हें क्यों बताया कि उनकी बेटी की मौत आत्महत्या से हुई है. हमें अपनी बेटी का चेहरा देखने के लिए साढ़े तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ा. उसकी मां हमें उसे देखने देने के लिए उनके पैरों पर गिर पड़ी. शव परीक्षण में देरी क्यों हुई? पुलिस ने अप्राकृतिक मौत का मामला क्यों दर्ज किया? मैंने शिकायत दर्ज की ताला पुलिस स्टेशन में शाम 7 बजे के आसपास एफआईआर 11.45 बजे क्यों दर्ज की गई? अस्पताल के सेमिनार हॉल में डॉक्टर का शव मिलने के बाद का घटनाक्रम बार-बार अदालतों में सवालों के घेरे में आ गया है, जबकि कोलकाता पुलिस ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि पीड़िता के माता-पिता को सेमिनार हॉल में ले जाने से पहले सिर्फ 10 मिनट तक इंतजार करना पड़ा, जहां शव मिला था, माता-पिता ने इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने तीन घंटे से अधिक समय तक इंतजार किया और विनती की.
कलकत्ता उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने भी सवाल उठाया है कि अस्पताल प्रशासन ने पुलिस में शिकायत क्यों दर्ज नहीं की, जिसके बाद पुलिस ने अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया. एफआईआर दर्ज करने में देरी पर भी सवाल उठे हैं. “क्या कारण है कि (शव) मिलने के लगभग 14 घंटे बाद एफआईआर दर्ज की गई?” सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस बात पर जोर दिया कि पुलिस ने प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया. पीड़िता के माता-पिता ने पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद मामले की जांच सीबीआई को स्थानांतरित कर दी गई थी.
9 अगस्त की घटना के खिलाफ कोलकाता में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन जारी है. पीड़िता के लिए न्याय की मांग को लेकर कल रात शहर के निवासियों ने एक घंटे के लिए अपनी लाइटें बंद कर दीं. विरोध प्रदर्शन के तहत विक्टोरिया मेमोरियल और राजभवन जैसे स्थलों पर भी लाइटें बंद कर दी गईं. राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राजभवन में मोमबत्तियाँ जलाईं और एक्स पर दृश्य साझा किए. कैप्शन में लिखा है, “जब प्रकाश भय है, अंधेरा प्रिय है.”
साभार : एनडीटीवी
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