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संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन में डॉ. जितें‍द्र सिंह ने की विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ता

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अंतरराष्ट्रीय डेस्क (मा.स.स.). केन्या और पुर्तगाल सरकार की मेजबानी में 5 दिवसीय संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन आज शुरू हुआ। दुनिया भर के 130 देशों के नेता दुनिया के महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों की रक्षा पर एक अंतरराष्ट्रीय समझौते की संभावना का पता लगाने के लिए पांच दिन विचार-विमर्श करेंगे।

इस बीच, 5 दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन, भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्‍‍व कर रहे केन‍द्रीय मंत्री डॉ. जितें‍द्र सिंह ने बैठक में भाग लेने वाले विभिन्न देशों के कई मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता की, उनके साथ भारतीय प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्य भी शामिल हुए। डॉ. जितें‍द्र सिंह संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण बैठक से पहले कल भारत का बयान पेश करने वाले हैं। इसमें विदेश मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान और मत्स्य पालन, पशुपालन आदि मंत्रालयों के भारतीय प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्य भी मौजूद रहेंगे।

महासागर सम्मेलन एक निर्णायक समय पर हो रहा है क्योंकि दुनिया एसडीजी लक्ष्य 14 को प्राप्त करने के लिए संरचनात्मक परिवर्तनों और नवीन तथा हरित समाधानों की आवश्यकता वाली अनेक चुनौतियों का समाधान करने की कोशिश कर रही है, जिसमें महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण एवं स्‍‍थायी उपयोग का आह्वान किया गया है। संयुक्त राष्ट्र कई मौकों पर जोर देकर कहा चुका है कि मानव गतिविधियों के परिणामस्वरूप पृथ्‍‍वी पर महासागरों को गंभीर खतरों का सामना करना पड़ रहा है और दुनिया की आबादी बढ़ने तथा मानव गतिविधियों में वृद्धि के साथ इसके बदतर होने की संभावना है।

मीडिया से बात करते हुए, डॉ. जितें‍द्र  सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत ने पहले ही हरित प्रौद्योगिकी में एक बड़ी बढ़त ले ली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2030 के लक्ष्य के अनुसार देश के बिजली कोष में 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन को जोड़कर भारत के उत्सर्जन को 45 प्रतिशत तक कम करना है, इससे हमारा कार्बनडाइक्‍‍साइड उत्सर्जन लगभग एक बिलियन टन कम हो जाएगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने यह भी बताया कि भारत ने हाल ही में तटीय क्षेत्रों से प्लास्टिक और अन्य कचरे को साफ करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान चलाया और यह मिशन जल्द ही एक जन आंदोलन बन जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत ने समुद्री और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र, मैनग्रोव और मूंगा चट्टानों की रक्षा के लिए अनेक पहल, कार्यक्रम और नीतिगत हस्तक्षेप किए हैं।

यह भी पढ़ें : सरकार एमएसएमई के समग्र विकास और आत्मनिर्भरता के लिए प्रतिबद्ध : नारायण राणे

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