नई दिल्ली (मा.स.स.). नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने दक्षिणी नौसेना कमान, कोच्चि में समुद्री प्रशिक्षण ले रहे किंग फहद नौसेना अकादमी, सऊदी अरब के कैडेटों के साथ वार्तालाप किया। रॉयल सऊदी नेवल फोर्स (आरएसएनएफ) के 55 कैडेट पांच निर्देशक स्टाफ के साथ भारतीय नौसेना के पोत प्रशिक्षण के हिस्से के रूप में प्रथम प्रशिक्षण स्क्वाड्रन जहाजों, आईएनएस तिर और आईएनएस सुजाता से जुड़े हुए हैं। नौसेना प्रमुख को वर्तमान में जारी बंदरगाह और जलपोत प्रशिक्षण गतिविधियों से अवगत कराया गया, जिसमें जानकारी से परिपूर्ण समुद्री उड़ानें शामिल हैं। नौसेना प्रमुख को प्रशिक्षण अवधि के दौरान प्रशिक्षुओं द्वारा की गई प्रगति के बारे में भी जानकारी दी गई।
प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के अंग के रूप में, समुद्री प्रशिक्षण चरण में जाने से पहले कैडेटों के लिए सिम्युलेटर प्रशिक्षण प्रारम्भ किया गया था। कैडेटों ने भारतीय नौसेना के जहाजों पर समुद्र में 10 दिन पूरे कर लिए हैं। समुद्री उड़ानों के दौरान, उन्हें नेविगेशन और सीमैनशिप के व्यावहारिक पहलुओं पर कठोर प्रशिक्षण से अवगत कराया गया, जिसमें समुद्र में विमान संचालन, लंगर डालना, तटीय नेविगेशन, समुद्र में पुनःआपूर्ति, समुद्री नौकाओं, अग्निशमन और आपातकालीन अभ्यास में नेविगेशन पर जोर दिया गया। कैडेटों के लिए पाल प्रशिक्षण पोत आईएनएस सुदर्शिनी पर दो दिवसीय बंदरगाह प्रशिक्षण की भी योजना बनाई गई है ताकि उन्हें एक पाल जहाज पर भी जीवन की कठोरतम परिस्थितियों से परिचित कराया जा सके।
कैडेटों ने नौसेना प्रमुख के साथ किसी भी युद्धपोत पर पहली बार नौकायन के अपने प्रशिक्षण अनुभवों को साझा किया। विचार-विमर्श के दौरान, निदेशक स्टाफ ने उच्च गुणवत्तायुक्त प्रशिक्षण और भारतीय नौसेना के पोतों पर प्राप्त अनुभव की सराहना की। अपने संबोधन में, नौसेना प्रमुख ने भारत में आरएसएनएफ प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए पुष्टि की कि भारतीय नौसेना द्वारा सऊदी कैडेटों का प्रथम प्रशिक्षण सऊदी अरब और भारत के साथ-साथ दोनों नौसेनाओं के बीच बढ़ती मित्रता का प्रमाण है। उन्होंने हाल ही में सूडान से भारतीय नागरिकों को निकालने के दौरान सऊदी अरब सरकार से प्राप्त सहायता की भी सराहना की।
दोनों नौसेनाओं के बीच घनिष्ठ संबंधों और सहयोग पर बल देते हुए, नौसेना प्रमुख ने पुष्टि की कि आरएसएनएफ के साथ संयुक्त अभ्यास, कार्मिकों का आपसी संवाद और प्रशिक्षण आदान-प्रदान पिछले कुछ वर्षों में बेहतर तरीके से आगे बढ़े हैं और यह दोनों नौसेनाओं के बीच मजबूत संबंध को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि दोनों देश समुद्री सुरक्षा के संबंध में समान विचार साझा करते हैं और क्षेत्र में सुरक्षा और सुरक्षित समुद्र सुनिश्चित करने के लिए एक दूसरे के साथ निकटता से कार्य करते हैं।
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं